
एक झलक:
एक ताकत है इस संसार के अंदर। इस बात को अगर तुम समझ जाओ तो बहुत कुछ तुम्हारे लिए सरल हो जाएगा। और वो ताकत ये है — एक जलता हुआ दीया और एक बुझा हुआ दीया!
अगर तुम बुझे हुए दीये को, जलते हुए दीये के पास ऐसे लाओगे तो क्या होगा ?
जलते हुए दीये की बत्ती, बुझे हुए दीये को जला देगी या बुझे हुए दीये की बत्ती, जलते हुए दीये को बुझा देगी ?
नहीं मालूम तुमको? मालूम है न? तो एक स्वर में बोलो न !
तो ये है ताकत। ये समझ जाओ। तुम इसको चमत्कार नहीं मानते हो, मैं इसको चमत्कार मानता हूं। तुम इसको कुछ नहीं मानते हो, मैं इसको भगवान की देन मानता हूं। क्योंकि यही एक चीज है, यही एक कानून है कि इस बुझते हुए दीये में प्रकाश हो जाये।
- श्री प्रेम रावत

प्रेम का सन्देश : प्रेम रावत के साथ विशेष उत्सव — प्रेम रावत के विश्व भर में आंतरिक शांति सिखाने के संकल्प के 52 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में। वेबसाइट और ऐप दोनों पर उपलब्ध।
हमारी शुभ कामनाओं सहित प्रेम रावत का व्यक्तिगत संदेश देखे।
इस विशेष उत्सव के पूरे वीडियो या ऑडियो का आनंद लें।
यह विशेष वीडियो भारत की प्राचीन परंपरा के सम्मान में है जो एक शिक्षक और शिष्य के सम्बन्ध को दर्शाती है और इसी दिन प्रेम रावत जी के मात्र आठ वर्ष की आयु में आत्मज्ञान का शिक्षक बनने का स्मरण भी कराती है।
प्रेम पिछले पांच दशकों में विश्व भर में शांति और मानवता के लिए किये गए अपने अथक प्रयासों को व्यक्त करते हैं, जिनमें लाखों लोग उनसे लाइव कार्यक्रमों, टेलीविज़न, रेडियो, इंटरनेट और उनके साहित्यिक कार्यों के माध्यम से जुड़े हुए हैं ।
वीडियो और ऑडियो हिंदी में है, जो इंग्लिश और स्पेनिश अनुवाद में भी उपलब्ध है।
नोट : यदि आप कार्यक्रम से पहले का वीडियो छोड़ना चाहते हैं तो कृपया नोट करें कि प्रेम का मुख्य सम्बोधन 14 मिनट 18 सेकण्ड से शुरू होगा।

प्रेम का सन्देश : प्रेम रावत के साथ विशेष उत्सव — प्रेम रावत के विश्व भर में आंतरिक शांति सिखाने के संकल्प के 52 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में। वेबसाइट और ऐप दोनों पर उपलब्ध।
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यह विशेष वीडियो भारत की प्राचीन परंपरा के सम्मान में है जो एक शिक्षक और शिष्य के सम्बन्ध को दर्शाती है और इसी दिन प्रेम रावत जी के मात्र आठ वर्ष की आयु में आत्मज्ञान का शिक्षक बनने का स्मरण भी कराती है।
प्रेम पिछले पांच दशकों में विश्व भर में शांति और मानवता के लिए किये गए अपने अथक प्रयासों को व्यक्त करते हैं, जिनमें लाखों लोग उनसे लाइव कार्यक्रमों, टेलीविज़न, रेडियो, इंटरनेट और उनके साहित्यिक कार्यों के माध्यम से जुड़े हुए हैं ।
वीडियो और ऑडियो हिंदी में है, जो इंग्लिश और स्पेनिश अनुवाद में भी उपलब्ध है।
नोट : यदि आप कार्यक्रम से पहले का वीडियो छोड़ना चाहते हैं तो कृपया नोट करें कि प्रेम का मुख्य सम्बोधन 14 मिनट 18 सेकण्ड से शुरू होगा।

एक झलक:
जिस मिट्टी पर तुम बैठे हो, उस मिट्टी के तुम बने हो। जिस मिट्टी को तुम धोते हो, उस मिट्टी के तुम बने हो।
जिस मिट्टी से तुमको नफरत है, उस नफरत से तुम बने हुए हो। उसी मिट्टी से तुम बने हुए हो। जिसमें तुम अंतर देखते हो, उसमें अंतर है नहीं।
तो ये मिट्टी किसी वजह से आज बोलती है, सुनती है, देखती है, सूंघती है। ये मिट्टी खाना भी बनाती है और ये मिट्टी खाना भी खाती है। और ये मिट्टी खाना नहीं बनाती है, सिर्फ खाना ही नहीं बनाती है, ये मिट्टी तो उस गेहूं को लेकर पूरी भी बनाती है, परांठें भी बनाती है। रोटी भी बनाती है, फुलका भी बनाती है। ये ऐसी-वैसी मिट्टी नहीं है। ये बहुत कुछ करती है। ये शांति का पात्र भी बन सकती है और यह अशांति का कारण भी — तुम्हारी ही जिंदगी के अंदर अशांति का कारण भी बन सकती है। बात यह है सबसे पहला निर्णय तो तुमको यह लेना है, तुम अपने जीवन में चाहते क्या हो ?
- प्रेम रावत, खारघर, मुंबई

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जिस मिट्टी पर तुम बैठे हो, उस मिट्टी के तुम बने हो। जिस मिट्टी को तुम धोते हो, उस मिट्टी के तुम बने हो।
जिस मिट्टी से तुमको नफरत है, उस नफरत से तुम बने हुए हो। उसी मिट्टी से तुम बने हुए हो। जिसमें तुम अंतर देखते हो, उसमें अंतर है नहीं।
तो ये मिट्टी किसी वजह से आज बोलती है, सुनती है, देखती है, सूंघती है। ये मिट्टी खाना भी बनाती है और ये मिट्टी खाना भी खाती है। और ये मिट्टी खाना नहीं बनाती है, सिर्फ खाना ही नहीं बनाती है, ये मिट्टी तो उस गेहूं को लेकर पूरी भी बनाती है, परांठें भी बनाती है। रोटी भी बनाती है, फुलका भी बनाती है। ये ऐसी-वैसी मिट्टी नहीं है। ये बहुत कुछ करती है। ये शांति का पात्र भी बन सकती है और यह अशांति का कारण भी — तुम्हारी ही जिंदगी के अंदर अशांति का कारण भी बन सकती है। बात यह है सबसे पहला निर्णय तो तुमको यह लेना है, तुम अपने जीवन में चाहते क्या हो ?
- प्रेम रावत, खारघर, मुंबई

एक झलक:
एक जगह है, जहां असली रोशनी है और वह आपके अंदर है। और जबतक आप उसको नहीं जानोगे, तबतक आप अपने आपको नहीं पहचानोगे, क्योंकि आपका स्वरूप और कुछ नहीं, वो है! और जबतक अपने आपको नहीं जानोगे, आपके जीवन के अंदर शांति हो ही नहीं सकती।
"पीस एम्बेसडर" कहा था मेरे को, मेरे ख्याल से किसी ने।
पीस एम्बेसडर, पीस एम्बेसडर, पीस एम्बेसडर — पता नहीं क्या पीस एम्बेसडर ?
एक बार मैं था रेडक्रॉस ब्लड डोनर्स ड्राईव, इटली में — मैंने कहा कि सभी लोगों को "पीस एम्बेसडर" होना चाहिए। सभी लोगों को! शांति की बात करता हूं मैं, परंतु शांति तब तक संभव नहीं होगी, जबतक तुम अपने आपको नहीं पहचानोगे। हो ही नहीं सकती।
जब तक ये नहीं जानोगे कि शांति तुम्हारी चाह नहीं है, तुम्हारी जरूरत है।
- प्रेम रावत, बैंगलूरु, कर्नाटक