
एक झलक:
आप जानते हैं कि आपमें क्या-क्या चीज अच्छी नहीं हैं। आप जानते हैं कि आपमें क्रोध है। क्रोध बाहर से नहीं आता है। क्रोध आपके अंदर से आता है और जहां आप जाते हैं, आपका क्रोध आपके साथ जाता है। आपका संशय भी आपके साथ जाता है। परंतु जैसे सिक्के का एक side नहीं हो सकता। एक तरफ अंधेरा है तो दूसरी तरफ उजाला है। एक तरफ अगर doubt है तो दूसरी तरफ clarity है। एक तरफ अगर anger है तो दूसरी तरफ compassion है। इन सारे attributes को आप जानते हैं ये आपके अंदर है। जब आपको कहीं गुस्सा होना पड़ता है तो ये थोड़े ही है कि वो एस.एम.एस. के रूप में आपके फोन में आता है ? नहीं! वो तो आपके अंदर है! कहीं भी। पर क्या आप जानते हैं कि उसके दूसरी तरफ क्या है ? उस गुस्से के दूसरी तरफ compassion है। पर हम अपने जीवन में इस बात पर कभी ध्यान नहीं देते हैं।
- श्री प्रेम रावत

एक झलक:
आप जानते हैं कि आपमें क्या-क्या चीज अच्छी नहीं हैं। आप जानते हैं कि आपमें क्रोध है। क्रोध बाहर से नहीं आता है। क्रोध आपके अंदर से आता है और जहां आप जाते हैं, आपका क्रोध आपके साथ जाता है। आपका संशय भी आपके साथ जाता है। परंतु जैसे सिक्के का एक side नहीं हो सकता। एक तरफ अंधेरा है तो दूसरी तरफ उजाला है। एक तरफ अगर doubt है तो दूसरी तरफ clarity है। एक तरफ अगर anger है तो दूसरी तरफ compassion है। इन सारे attributes को आप जानते हैं ये आपके अंदर है। जब आपको कहीं गुस्सा होना पड़ता है तो ये थोड़े ही है कि वो एस.एम.एस. के रूप में आपके फोन में आता है ? नहीं! वो तो आपके अंदर है! कहीं भी। पर क्या आप जानते हैं कि उसके दूसरी तरफ क्या है ? उस गुस्से के दूसरी तरफ compassion है। पर हम अपने जीवन में इस बात पर कभी ध्यान नहीं देते हैं।
- श्री प्रेम रावत

एक झलक:
कितने लोग हैं, जिनको अच्छा लगता है, जब उनको छुट्टी मिलती है? {श्रोतागण हाथ उठाते हैं!}
तकरीबन-तकरीबन सबको अच्छा लगता है।
तो एक दीवाल है, जिससे तुम आए और एक दीवाल है, जिससे तुमको जाना है। तो सोचो! इस दीवाल से पहले तुम क्या थे ? इस दुनिया में सबसे ज्यादा चीज क्या है ? जानते हो ? धूल! धूल! ये पृथ्वी धूल की बनी है। ये जो पत्थर देखते हो, ये धूल को कम्प्रेस किया हुआ है, उसके पत्थर हैं ये! उससे पत्थर बनते हैं।
तो समझ लो सारा विश्व, सारा-सारा संसार, सारा यूनिवर्स धूल, धूल, धूल, धूल, धूल, धूल से बना हुआ है। तुम क्या थे इससे पहले ? धूल थे! और जब उस दीवाल से जाओगे तो जानते हो क्या होगा ? फिर धूल बन जाओगे।
तो बनाने वाले ने तुमको धूल होने से छुट्टी दी है। ये तुम्हारी छुट्टी है! यह जीवन तुम्हारा, यह तुम्हारी छुट्टी है! तो मैं तो सिर्फ यह कहना चाहता हूं — तुम अपनी छुट्टी का मज़ा ले रहे हो या नहीं ?
- श्री प्रेम रावत, नई दिल्ली, भारत

एक झलक:
कोई ऐसी चीज मैं देना चाहता हूं आपको वचनों के द्वारा, जिससे आपके जीवन के अंदर सुख आये। मैं कुछ ऐसी चीज देना चाहता हूं आपको अपने वचनों के द्वारा कि आप विचार करें कि सचमुच में आप कितने भाग्यशाली हैं! ये स्वांस जो आपके अंदर आ रहा है, ये उस चीज का एक witness (गवाह) है कि आप पर उस परमपिता परमेश्वर की कृपा अभी भी है।
- श्री प्रेम रावत, देहरादून, उत्तराखंड, भारत

एक झलक :
शांति कब होगी ? शांति कब होगी ?
जब यह हृदय रूपी चिराग जलेगा, तब जाकर के यह अंधेरा हटेगा, उससे पहले नहीं। यह इतना घोर अंधेरा है, क्योंकि यह अंधेरा है अज्ञानता का। अज्ञानता का अंधेरा है। और जब तक यह अंधेरा रहेगा, तुम देख नहीं सकोगे, ठोंकरे खाते फिरोगे, क्योंकि तुम देख नहीं सकते हो। और जिस दिन यह हृदय रूपी चिराग, इसमें उजाला होगा, तब जाकर के तुमको दिखाई देगा कि असलियत क्या है।
- श्री प्रेम रावत

एक झलक
एम् सी:
प्रेम जी, आप दुनिया के कोने कोने में जाकर लोगों से मिले हैं। उनको नज़दीक से जानने और समझने का मौका मिला है। क्या सबका दुःख, दर्द एक जैसा ही होता है ? क्या हर किसी को शांति की तलाश है ? क्या आपका संदेश उन सबके लिए एक ही है ?
श्री प्रेम रावत:
ये भी एक बड़ा अच्छा सवाल है। क्योंकि बनाने वाले को अच्छी तरीके से मालूम था, लोग कहेंगे "मैने कोने कोने में ढूँढा"। इसीलिए भगवान् ने इस सृष्टि को, इस पृथ्वी को गोल बना दिया, ताकि कोना है ही नहीं इसमें।
दुःख के कारण अलग अलग हैं। दुःख के कारन अलग अलग हैं। पर दुःख का एहसास वही है।