
सारांश: आज विश्व के कई देशों की जेलों में प्रेम रावत अपना मानवता व शांति का संदेश दे रहे हैं, चाहे वे अमेरिका में हों या आस्ट्रेलिया में, भारत में हों या साउथ अमेरिका में। उनके संदेश ने कई कैदियों के जीवन में आशा की रोशनी जगाई है और वे पीस एजुकेशन में भाग लेकर जेल में रहते हुए भी शांति को महसूस कर रहे हैं।
हाल ही में प्रेम रावत जी ने पुणे स्थित येरवडा मध्यवर्ती कारागृह में कैदियों को सम्बोधित किया। यह संदेश जितना उन कैदियों के लिए प्रेरणादायक है, उतना ही हम सब लोगों के लिए भी। आशा है आप इस ऑडियो का भरपूर लाभ उठायेंगे।

सईद नक़वी : हैलो! मैं सईद नक़वी हूं। पत्रकार था, टेलीविज़न का प्रेज़ेंटर भी हूं, एंकर भी हूं और कॉलम्निस्ट भी हूं। मैंने, इंटरनेशनल अफेयर्स पर मेरी रुची सबसे ज्यादा रही। नेल्सन मंडेला का सबसे पहला इंटरव्यू मेरा था। फिदेल कास्त्रो हुए, गद्दाफ़ी मुअम्मर गद्दाफ़ी, प्रेज़िडेंट जिआ-उल-हक़, बेनज़ीर भुट्टो, ये सब से मैंने इंटरव्यूज़ लिए और यही मेरा काम रहा कि सारी ज़िन्दगी मैं टेलीविज़न के लिए और प्रिंट के लिए। कई अखबारों के लिए काम किया, विलायत में संडे टाइम्स के लिए काम किया। अमेरिका में बोस्टन ग्लोब का फॉरेन एडिटर रहा मैं।
जब मेरे पास लोग आए कि मैं एक, मेरी समझ में नहीं आया कि प्रेम रावत जी क्या हैं ? गॉड मैन हैं, स्प्रीचुवल लीडर हैं, साधू हैं, संत हैं तो भई किसके लिए मैं अपने आप को तैयार करूं।
सईद नक़वी : इस प्रोग्राम में, मैं आपको क्या कह के, आपको क्या कहूं कि आप गुरु जी हैं, आप महाराजी हैं, आप फ़लसफी हैं, फिलॉसफर हैं, आप हैं क्या ? और आपको दुनिया इतना जो पूछती है, उसकी वजह क्या है ? ये जादू क्या है ?
प्रेम रावत : मैं तो मनुष्य हूं। और मेरा नाम मेरे मां-बाप ने प्रेम पाल सिंह रावत रखा था और लोग मेरे को कई नामों से पुकारते हैं। पर मैं वही हूं जो हूं। अब घर में भी बच्चों को कोई किसी नाम से पुकारता है, कोई किसी नाम से पुकारता है। पर इसका मतलब नहीं है कि वो बदल जाता है। मैं मनुष्य हूं, और ये मैंने पहली चीज़ समझी है। और अगर मैं अपनी मानवता को नहीं समझता हूं, अपनी मनुष्यता को नहीं समझता हूं तो मैं कुछ भी नहीं समझता हूं। अगर सिर्फ नाम ही में अटका रहूंगा तो मेरे को पता नहीं लगेगा कि मैं कौन हूं, मैं क्या हूं। और जो कुछ भी लोग मेरे को सम्मान देते हैं, सबकुछ देते हैं, और मैंने, ये मैं सबसे कहता हूं कि ठीक है, आप मेरे को सम्मान दे रहे हैं और मैं स्वीकार करता हूं परंतु ये सम्मान मेरा नहीं है। ये सम्मान सबके लिए है। हमलोग...

प्रेम रावत:
सबसे बड़ी बात है कि आप लोग यहां आये और आप शांति में दिलचस्पी रखते हैं। यह अपने में एक बहुत बड़ी बात है। छोटी बात नहीं है। मैं कुछ चीजें आपको कहूंगा जिन पर आप विचार करिये। अगर इस सारे संसार को देखा जाये तो मनुष्य को क्या-क्या चाहिए, मनुष्य की जरूरतें क्या हैं ? असली जरूरत। मैं उन चीजों की बात कर रहा हूं जिनके बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकेगा। सो, एक तो उसको भोजन चाहिए क्योंकि अगर उसको दो हफ्ते, तीन हफ्ते, अगर उसको भोजन नहीं मिला तो यह शरीर जो है, शट डाउन, गया। उसको हवा चाहिए अगर उसको हवा नहीं मिली, स्वांस, तीन मिनट, चार मिनट, पांच मिनट। अब कई लोग हैं, जो कहते हैं कि हम तो इससे ज्यादा रोक सकते हैं। परंतु उनको कहिए कि अच्छा, रोकिये, तो वो बड़ी स्वांस लेंगे पहले। नहीं, सारी स्वांस निकाल कर के रोकिये। क्योंकि अगर जब आपने इतने अपने लंग्स भर लिए हैं ऑक्सीजन से, तो आप अभी भी हवा सप्लॉय कर रहे हैं अपनी बॉडी को, अपने शरीर को। और उसको क्या चाहिए ? उसको पानी की जरूरत है। मनुष्य को पानी की जरूरत है। तीन दिन, चार दिन, पांच दिन पानी न मिले तो वो गया। मैं फिजीकल नीड्स की बात कर रहा हूं जिसके बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकेगा। मैं टेलीविज़न की बात नहीं कर रहा हूं क्योंकि अगर कोई बिना भोजन के मर गया तो उसके लिए मेडिकल टर्म है — ‘स्टारवेशन’। वो मरा स्टारवेशन से। कोई अगर पानी के बिना मर गया तो उसके लिए भी मेडिकल टर्म है, वो मर गया ‘डि-हाइड्रेशन’ से। और अगर कोई मर गया बिना हवा के, ऑक्सीजन के तो उसके लिए भी मेडिकल टर्म है — ‘सफोकेशन’। पर अगर कोई मर गया बिना टी वी देखने के तो उसके लिए कोई मेडिकल टर्म नहीं है, क्योंकि वो इम्पॉर्टेन्ट नहीं है। मैं बात कर रहा हूं आपकी जरूरतें और आपकी चाहतों की। आपकी चाहतें हैं — आप टी वी देखें, आप मूवीज़ में जाएं, आप रेस्टोरेन्ट्स में जाएं, आप पार्टीज़ में जाएं, आप ये करें, वो करें, सोशल फंक्शन में जाएं, उस सोशल फंक्शन में जाएं पर आपके शरीर की जो नीड हैं, वो अलग हैं।

प्रेम रावत:
सबसे बड़ी बात है कि आप लोग यहां आये और आप शांति में दिलचस्पी रखते हैं। यह अपने में एक बहुत बड़ी बात है। छोटी बात नहीं है। मैं कुछ चीजें आपको कहूंगा जिन पर आप विचार करिये। अगर इस सारे संसार को देखा जाये तो मनुष्य को क्या-क्या चाहिए, मनुष्य की जरूरतें क्या हैं ? असली जरूरत। मैं उन चीजों की बात कर रहा हूं जिनके बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकेगा। सो, एक तो उसको भोजन चाहिए क्योंकि अगर उसको दो हफ्ते, तीन हफ्ते, अगर उसको भोजन नहीं मिला तो यह शरीर जो है, शट डाउन, गया। उसको हवा चाहिए अगर उसको हवा नहीं मिली, स्वांस, तीन मिनट, चार मिनट, पांच मिनट। अब कई लोग हैं, जो कहते हैं कि हम तो इससे ज्यादा रोक सकते हैं। परंतु उनको कहिए कि अच्छा, रोकिये, तो वो बड़ी स्वांस लेंगे पहले। नहीं, सारी स्वांस निकाल कर के रोकिये। क्योंकि अगर जब आपने इतने अपने लंग्स भर लिए हैं ऑक्सीजन से, तो आप अभी भी हवा सप्लॉय कर रहे हैं अपनी बॉडी को, अपने शरीर को। और उसको क्या चाहिए ? उसको पानी की जरूरत है। मनुष्य को पानी की जरूरत है। तीन दिन, चार दिन, पांच दिन पानी न मिले तो वो गया। मैं फिजीकल नीड्स की बात कर रहा हूं जिसके बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकेगा। मैं टेलीविज़न की बात नहीं कर रहा हूं क्योंकि अगर कोई बिना भोजन के मर गया तो उसके लिए मेडिकल टर्म है — ‘स्टारवेशन’। वो मरा स्टारवेशन से। कोई अगर पानी के बिना मर गया तो उसके लिए भी मेडिकल टर्म है, वो मर गया ‘डि-हाइड्रेशन’ से। और अगर कोई मर गया बिना हवा के, ऑक्सीजन के तो उसके लिए भी मेडिकल टर्म है — ‘सफोकेशन’। पर अगर कोई मर गया बिना टी वी देखने के तो उसके लिए कोई मेडिकल टर्म नहीं है, क्योंकि वो इम्पॉर्टेन्ट नहीं है। मैं बात कर रहा हूं आपकी जरूरतें और आपकी चाहतों की। आपकी चाहतें हैं — आप टी वी देखें, आप मूवीज़ में जाएं, आप रेस्टोरेन्ट्स में जाएं, आप पार्टीज़ में जाएं, आप ये करें, वो करें, सोशल फंक्शन में जाएं, उस सोशल फंक्शन में जाएं पर आपके शरीर की जो नीड हैं, वो अलग हैं।

सईद नक़वी : हैलो! मैं सईद नक़वी हूं। पत्रकार था, टेलीविज़न का प्रेज़ेंटर भी हूं, एंकर भी हूं और कॉलम्निस्ट भी हूं। मैंने, इंटरनेशनल अफेयर्स पर मेरी रुची सबसे ज्यादा रही। नेल्सन मंडेला का सबसे पहला इंटरव्यू मेरा था। फिदेल कास्त्रो हुए, गद्दाफ़ी मुअम्मर गद्दाफ़ी, प्रेज़िडेंट जिआ-उल-हक़, बेनज़ीर भुट्टो, ये सब से मैंने इंटरव्यूज़ लिए और यही मेरा काम रहा कि सारी ज़िन्दगी मैं टेलीविज़न के लिए और प्रिंट के लिए। कई अखबारों के लिए काम किया, विलायत में संडे टाइम्स के लिए काम किया। अमेरिका में बोस्टन ग्लोब का फॉरेन एडिटर रहा मैं।
जब मेरे पास लोग आए कि मैं एक, मेरी समझ में नहीं आया कि प्रेम रावत जी क्या हैं ? गॉड मैन हैं, स्प्रीचुवल लीडर हैं, साधू हैं, संत हैं तो भई किसके लिए मैं अपने आप को तैयार करूं।
सईद नक़वी : इस प्रोग्राम में, मैं आपको क्या कह के, आपको क्या कहूं कि आप गुरु जी हैं, आप महाराजी हैं, आप फ़लसफी हैं, फिलॉसफर हैं, आप हैं क्या ? और आपको दुनिया इतना जो पूछती है, उसकी वजह क्या है ? ये जादू क्या है ?
प्रेम रावत : मैं तो मनुष्य हूं। और मेरा नाम मेरे मां-बाप ने प्रेम पाल सिंह रावत रखा था और लोग मेरे को कई नामों से पुकारते हैं। पर मैं वही हूं जो हूं। अब घर में भी बच्चों को कोई किसी नाम से पुकारता है, कोई किसी नाम से पुकारता है। पर इसका मतलब नहीं है कि वो बदल जाता है। मैं मनुष्य हूं, और ये मैंने पहली चीज़ समझी है। और अगर मैं अपनी मानवता को नहीं समझता हूं, अपनी मनुष्यता को नहीं समझता हूं तो मैं कुछ भी नहीं समझता हूं। अगर सिर्फ नाम ही में अटका रहूंगा तो मेरे को पता नहीं लगेगा कि मैं कौन हूं, मैं क्या हूं। और जो कुछ भी लोग मेरे को सम्मान देते हैं, सबकुछ देते हैं, और मैंने, ये मैं सबसे कहता हूं कि ठीक है, आप मेरे को सम्मान दे रहे हैं और मैं स्वीकार करता हूं परंतु ये सम्मान मेरा नहीं है। ये सम्मान सबके लिए है। हमलोग...