
एक चीज आपके पास पहले से ही है। उसका नाम है — शांति। जब आप खोजना शुरू करेंगे उसे बाहर नहीं, अंदर — उन चीजों को लेना शुरू करेंगे, जो आपके पास पहले से ही हैं तो आपको शांति भी उसमें जरूर मिलेगी। क्योंकि वो आपके अंदर पहले से ही है।

अच्छा, बुरा, सही, गलत, स्वर्ग, नरक - नियमों और मान्यताओं को स्वीकार करने के बजाय, अमारू 2018 के तीसरे एपिसोड में प्रेम हमें अपनी आजादी पाने और बस जीवित रहने का एहसास करने के लिए आमंत्रित करते है।
2018 में क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में प्रेम रावत के साथ हुए इस अंतर्राष्ट्रीय रिट्रीट के नौ भागों की श्रंखला के नए एपिसोड को देखिये, यह आपकी सदस्यता में शामिल है (और आप इसका ऑडियो डाउनलोड कर, ऐप में ही सेव कर सकते हैं, ताकि बिना इंटरनेट के भी आप इसका आनंद ले सकें।

अच्छा, बुरा, सही, गलत, स्वर्ग, नरक - नियमों और मान्यताओं को स्वीकार करने के बजाय, अमारू 2018 के तीसरे एपिसोड में प्रेम हमें अपनी आजादी पाने और बस जीवित रहने का एहसास करने के लिए आमंत्रित करते है।
2018 में क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में प्रेम रावत के साथ हुए इस अंतर्राष्ट्रीय रिट्रीट के नौ भागों की श्रंखला के नए एपिसोड को देखिये, यह आपकी सदस्यता में शामिल है (और आप इसका ऑडियो डाउनलोड कर, ऐप में ही सेव कर सकते हैं, ताकि बिना इंटरनेट के भी आप इसका आनंद ले सकें।

भूले मन समझ के लाद लदनियां।
थोड़ा लाद, बहुत मत लादे, टूट जाए तेरी गरदनियां।।
आनंद लेना शुरू करो अपने जीवन का। और लालच तुम्हारा जाएगा, गर्दन तुम्हारी बच जाएगी। टूटेगी नहीं और तुमको दुःखी नहीं होना पड़ेगा। और उस सुख में, उस आनंद में रह करके यह जीवन तुम बिता सकते हो।
- प्रेम रावत: बरैली, भारत

भूले मन समझ के लाद लदनियां।
थोड़ा लाद, बहुत मत लादे, टूट जाए तेरी गरदनियां।।
आनंद लेना शुरू करो अपने जीवन का। और लालच तुम्हारा जाएगा, गर्दन तुम्हारी बच जाएगी। टूटेगी नहीं और तुमको दुःखी नहीं होना पड़ेगा। और उस सुख में, उस आनंद में रह करके यह जीवन तुम बिता सकते हो।
- प्रेम रावत: बरैली, भारत

ऐंकर : हर पल को खूब जीओ, ये तो सब कहते हैं, लेकिन हर पल को जी भर के कैसे जिया जा सकता है ? ये दूसरा सवाल है।
प्रेम रावत जी : अगर तुम हर पल को जीना चाहते हो तो ‘पल’ क्या है, इसको समझने की कोशिश करो! ‘पल’, इस ‘पल‘ में से — अगर इसको समझना चाहते हो कि ये ‘पल‘ क्या है, जो अभी-अभी, अभी आया तुम्हारे पास। अभी-अभी आया। गया! अब गया! और अभी-अभी आया है! तो इसको अगर समझना चाहते हो तो इस ‘पल‘ में से ‘बीते वाले पल‘ को निकाल दो! और ‘आने वाले पल‘ को भी इस ‘पल‘ से निकाल दो! तो जो बचेगा वो है तुम्हारा असली ‘पल‘।
- प्रेम रावत, मुंबई