17 जून, 2021 को, बर्मिंघम, यूनाइटेड किंगडम में प्रेम रावत जी के 50 वर्षों से, शांति की कामना करने वालों तक शांति के उपहार को पहुंचाने के अथक प्रयासों की सराहना के उपलक्ष्य में एक सामाजिक दूरी रखते हुए लाइव कार्यक्रम हुआ।
स्वतंत्रता और समानता का अनुभव करने को लालायित आज की युवा पीढ़ी, कैथोलिक नन, विश्व भर में कारागार/ बंदीगृह के बंदी, क्षेत्रीय संघर्षों में योद्धा, अथवा कोई भी इच्छुक व्यक्ति - वे सभी जीवन यात्रा में प्रेम रावत जी की अंतर्दृष्टि से लाभान्वित होते हैं।
अपने घर के आराम से मांग पर पुनः प्रसारण सुने या देखें।
17 जून, 2021 को, बर्मिंघम, यूनाइटेड किंगडम में प्रेम रावत जी के 50 वर्षों से, शांति की कामना करने वालों तक शांति के उपहार को पहुंचाने के अथक प्रयासों की सराहना के उपलक्ष्य में एक सामाजिक दूरी रखते हुए लाइव कार्यक्रम हुआ।
स्वतंत्रता और समानता का अनुभव करने को लालायित आज की युवा पीढ़ी, कैथोलिक नन, विश्व भर में कारागार/ बंदीगृह के बंदी, क्षेत्रीय संघर्षों में योद्धा, अथवा कोई भी इच्छुक व्यक्ति - वे सभी जीवन यात्रा में प्रेम रावत जी की अंतर्दृष्टि से लाभान्वित होते हैं।
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प्रेम रावत जी के साथ जन्मदिन का उत्सव मनाइये और इस पुनः प्रसारण के द्वारा उनके जन्मदिन के सन्देश का आनंद लीजिये।
अब हिंदी और अंग्रेजी में
0:00:00 - 0:04:32 - गीत (इंडी रूट्स)
0:04:32 - 0:10:33 - गीत (जमात खान)
0:10:33 - 0:11:45 - एम् सी द्वारा श्री प्रेम रावत जी का स्वागत
0:11:45 - 1:26:31 - श्री प्रेम रावत
प्रेम रावत जी के साथ जन्मदिन का उत्सव मनाइये और इस पुनः प्रसारण के द्वारा उनके जन्मदिन के सन्देश का आनंद लीजिये।
अब हिंदी और अंग्रेजी में
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0:11:45 - 1:26:31 - श्री प्रेम रावत
पचपन वर्ष पूर्व जुलाई में, प्रेम रावत जी ने, मानवता तक आत्मज्ञान पहुँचाने के अपने पिता के दृष्टिकोण का उत्तरदायित्व स्वीकार किया था। उनके अथक प्रयासों के सुखद प्रभावों की सराहना करते हुए, 23 जुलाई, 2021 को हिंदी में प्रेम रावत जी के संबोधन का सीधा प्रसारण किया गया।
ऐप्प और वेबसाइट के माध्यम से टाइमलेस टुडे क्लासिक या प्रीमियर सदस्यता के साथ इस पुनः प्रसारण का आनंद लें।
एक अंश:
आज गुरु पूर्णिमा का दिन है। आज के दिन और भी फर्ज़ बनता है मेरा कि मैं सभी लोगों को जो मेरी बात सुनना चाहते हैं, मैं उनको एक ऐसी बात सुनाऊं, उनको एक ऐसी बात समझाऊं जिससे उनका भला हो। तो मैं ऐसी बात सभी लोगों को समझाना चाहता हूं और वो यह है कि तुम किसकी नौकरी कर रहे हो ? अपनी ? अपनी ? क्योंकि अगर तुम अपने मालिक हो, तो कुछ मिलेगा नहीं। न यहां मिलेगा न वहां मिलेगा। कहीं नहीं मिलेगा। अगर इस दुनिया की नौकरी कर रहे हो, अगर कुछ मिल भी गया तब भी कुछ नहीं मिलेगा। जैसे, सिकंदर ने कहा, "खाली हाथ आया था, खाली हाथ जा रहा हूँ।" खाली हाथ आया था, खाली हाथ जा रहा हूँ। तो किसकी नौकरी कर रहे हो ? किसका चिंतन करते हो ? अपना ? माया का ? अगर माया का चिंतन करते हो, कुछ नहीं मिलने वाला। न अब, न बाद में, न रिटायरमेंट में, कुछ नहीं। अगर, अगर तुम उस सतनाम की चिंता करते हो, उस सतनाम की नौकरी कर रहे हो, तो तुम्हारे पास इतनी जगह नहीं है जितना तुमको मिल रहा है। मिलने वाला नहीं, मिल रहा है। उसको तुम बटोर नहीं सकते। पर उसकी, उस करेंसी की एक ही पहचान है और वह है 'परमानन्द — आनंद।' अभी मैंने सुनाया था परमानैंट (Permanent) — परमानंद। बहुत नजदीक-नजदीक हैं। और वही एक चीज है जो परमानैंट है, परमानन्द।...
—प्रेम रावत
पचपन वर्ष पूर्व जुलाई में, प्रेम रावत जी ने, मानवता तक आत्मज्ञान पहुँचाने के अपने पिता के दृष्टिकोण का उत्तरदायित्व स्वीकार किया था। उनके अथक प्रयासों के सुखद प्रभावों की सराहना करते हुए, 23 जुलाई, 2021 को हिंदी में प्रेम रावत जी के संबोधन का सीधा प्रसारण किया गया।
ऐप्प और वेबसाइट के माध्यम से टाइमलेस टुडे क्लासिक या प्रीमियर सदस्यता के साथ इस पुनः प्रसारण का आनंद लें।
एक अंश:
आज गुरु पूर्णिमा का दिन है। आज के दिन और भी फर्ज़ बनता है मेरा कि मैं सभी लोगों को जो मेरी बात सुनना चाहते हैं, मैं उनको एक ऐसी बात सुनाऊं, उनको एक ऐसी बात समझाऊं जिससे उनका भला हो। तो मैं ऐसी बात सभी लोगों को समझाना चाहता हूं और वो यह है कि तुम किसकी नौकरी कर रहे हो ? अपनी ? अपनी ? क्योंकि अगर तुम अपने मालिक हो, तो कुछ मिलेगा नहीं। न यहां मिलेगा न वहां मिलेगा। कहीं नहीं मिलेगा। अगर इस दुनिया की नौकरी कर रहे हो, अगर कुछ मिल भी गया तब भी कुछ नहीं मिलेगा। जैसे, सिकंदर ने कहा, "खाली हाथ आया था, खाली हाथ जा रहा हूँ।" खाली हाथ आया था, खाली हाथ जा रहा हूँ। तो किसकी नौकरी कर रहे हो ? किसका चिंतन करते हो ? अपना ? माया का ? अगर माया का चिंतन करते हो, कुछ नहीं मिलने वाला। न अब, न बाद में, न रिटायरमेंट में, कुछ नहीं। अगर, अगर तुम उस सतनाम की चिंता करते हो, उस सतनाम की नौकरी कर रहे हो, तो तुम्हारे पास इतनी जगह नहीं है जितना तुमको मिल रहा है। मिलने वाला नहीं, मिल रहा है। उसको तुम बटोर नहीं सकते। पर उसकी, उस करेंसी की एक ही पहचान है और वह है 'परमानन्द — आनंद।' अभी मैंने सुनाया था परमानैंट (Permanent) — परमानंद। बहुत नजदीक-नजदीक हैं। और वही एक चीज है जो परमानैंट है, परमानन्द।...
—प्रेम रावत