
इतिहास साक्षी रहा है, सदा से ऐसे मार्गदर्शक हुए हैं जिन्होंने लोगों को बताया है कि उनके भीतर की शांति को कैसे प्रकट किया जाए। 8 नवंबर श्री हंस जी महाराज के पावन जन्मोत्सव हंस जयंती के रूप में सम्पूर्ण विश्व में मनायी जाती है। श्री हंस जी महाराज प्रेम रावत जी के पिता और मार्गदर्शक थे।
सदियों से चली आ रही इस गुरु-शिष्य परंपरा में एक कड़ी और जुड़ चुकी है — श्री हंस जी महाराज और प्रेम रावत जी की। यह एक ऐसा विलक्षण कार्यक्रम है जो व्यक्तिगत शांति पाने में सहायक है। इस अनुपम कार्यक्रम के पुनः प्रसारण का आनंद लें।

"थोड़ा सा प्रकाश एक टन अँधेरे को मिटा सकता है, परन्तु टनों टन अँधेरा थोड़े से प्रकाश को नहीं मिटा सकता।"
अमारू 2018 के पाँचवे एपिसोड में प्रेम की टिप्पणी
पिछले साल, क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में प्रेम रावत के साथ हुए अंतर्राष्ट्रीय रिट्रीट में दिल को छू लेने वाली इस बातचीत में प्रेम ने श्रोताओं द्वारा लिखकर भेजे हुए प्रश्नों का उत्तर दिया। इसके अलावा प्रेम ने विपत्ति के समय स्पष्टता की ताकत पर ज़ोर दिया। "अपने अंदर उस रोशनी को खोजो", उन्होंने ज़ोर दे कर कहा और अपने जीवन में बाधाओं को नहीं, साफ़ रास्ते को खोजो।
अमारू 2018 के नौ भागों वाली श्रंखला के पाँचवे एपिसोड के साथ "यहाँ नीचे" यात्रा करें

सभी लोगों को नए साल की मुबारकबाद देना चाहता हूँ मैं।
नया साल आ रहा है, और इस साल में लोगों की ख़्वाहिशें हैं कि कुछ ऐसा होना चाहिए, कुछ ऐसा होना चाहिए। परन्तु एक ख़्वाहिश हृदय की भी है। और जो हृदय की ख़्वाहिश है, अगर उसको हम किसी तरीके से पूरा कर पायें, क्योंकि उस हृदय की ख़्वाहिश में है शांति। उस हृदय की ख़्वाहिश में है सच्चा प्यार, उस हृदय की ख़्वाहिश में है आनंद। कैसा आनंद? परमानन्द का आनंद कि हमारे जीवन के अंदर हम उन चीज़ों का अनुभव कर पाएं, जो सचमुच में असली हैं, जो वास्तविकता रखती हैं।
बहुत कुछ होता है बाहर। हम अखबार पढ़ते हैं, आजकल अखबारों की कमी नहीं है। न्यूज़ की कमी नहीं है, जहां देखो न्यूज़ आ रही है। पहले तो यह था कि सबेरे का अखबार सबेरे पढ़ते थे, शाम का अखबार शाम को पढ़ते थे। अब जो नई-नई devices हैं, उनमें सारे दिन खबर आ रही है। तो ऐसी दुनिया के अंदर अगर कोई चाहे भी, तो क्या उसकी चाहत होनी चाहिए नए साल के लिए ? कि हमारे जीवन में आनंद हो। बंटवारा न हो हमारा। हमारे जीवन में आनंद हो, और हम सब मनुष्य जो इस पृथ्वी पर हैं, एक साथ होकर के आगे बढ़ पाएं। ताकि इसमें सभी का भला हो।
आजकल लोगों का भला, लोग सिर्फ इसी दृष्टि से देखते हैं कि "हमारा भला कैसे हो?" दूसरे का भला नहीं। परन्तु वो भला, जो हमारा भी भला हो और दूसरों का भी भला हो। वो है असली भला। और वही, उसी की ख़्वाहिश हृदय को है।
तो अगर ये हमारी चाहतें रहीं अगले साल के लिए, तो इसमें हमारी भी उन्नति होगी, और सारे संसार की भी उन्नति होगी। और यही कहकर के मैं... आप सभी लोगों को, ये wish करना चाहता हूँ कि नया साल जो आ रहा है, इसमें आपकी बहुत उन्नति हो, आपके जीवन के अंदर प्यार बढ़े, आपके जीवन के अंदर शान्ति बढ़े, और आपके जीवन के अंदर आनंद ही आनंद हो।
- प्रेम रावत

"थोड़ा सा प्रकाश एक टन अँधेरे को मिटा सकता है, परन्तु टनों टन अँधेरा थोड़े से प्रकाश को नहीं मिटा सकता।"
अमारू 2018 के पाँचवे एपिसोड में प्रेम की टिप्पणी
पिछले साल, क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में प्रेम रावत के साथ हुए अंतर्राष्ट्रीय रिट्रीट में दिल को छू लेने वाली इस बातचीत में प्रेम ने श्रोताओं द्वारा लिखकर भेजे हुए प्रश्नों का उत्तर दिया। इसके अलावा प्रेम ने विपत्ति के समय स्पष्टता की ताकत पर ज़ोर दिया। "अपने अंदर उस रोशनी को खोजो", उन्होंने ज़ोर दे कर कहा और अपने जीवन में बाधाओं को नहीं, साफ़ रास्ते को खोजो।
अमारू 2018 के नौ भागों वाली श्रंखला के पाँचवे एपिसोड के साथ "यहाँ नीचे" यात्रा करें

अमारू 2018 के चौथे एपिसोड में प्रेम अपने श्रोताओं को स्वयं देखने और महसूस करने के लिए ज़ोर देते हैं - बजाय इसके कि हम अनुमान लगायें, कि इस जीवन रुपी डिब्बे में क्या है? और इस जीवन के मूल का (आशीर्वाद का) अनुभव करना।
आत्म विरोधी हास्य से लेकर निरंतर बढ़ती प्रेरणा तक: चौथा एपिसोड पूरी लय-ताल से चलता है। हालाँकि प्रेम हज़ारों लोगों से बात कर रहे हैं, परन्तु महसूस यह होता है जैसे वह सिर्फ आपसे ही बात कर रहे हैं, एक-एक व्यक्ति से, एक हृदय से दूसरे हृदय तक।
पिछले साल, क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में प्रेम रावत के साथ हुए अंतर्राष्ट्रीय रिट्रीट के नौ भागों की श्रंखला के इस एपिसोड को देखना न भूलें ।

अमारू 2018 के चौथे एपिसोड में प्रेम अपने श्रोताओं को स्वयं देखने और महसूस करने के लिए ज़ोर देते हैं - बजाय इसके कि हम अनुमान लगायें, कि इस जीवन रुपी डिब्बे में क्या है? और इस जीवन के मूल का (आशीर्वाद का) अनुभव करना।
आत्म विरोधी हास्य से लेकर निरंतर बढ़ती प्रेरणा तक: चौथा एपिसोड पूरी लय-ताल से चलता है। हालाँकि प्रेम हज़ारों लोगों से बात कर रहे हैं, परन्तु महसूस यह होता है जैसे वह सिर्फ आपसे ही बात कर रहे हैं, एक-एक व्यक्ति से, एक हृदय से दूसरे हृदय तक।
पिछले साल, क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में प्रेम रावत के साथ हुए अंतर्राष्ट्रीय रिट्रीट के नौ भागों की श्रंखला के इस एपिसोड को देखना न भूलें ।