ऐंकर : हर पल को खूब जीओ, ये तो सब कहते हैं, लेकिन हर पल को जी भर के कैसे जिया जा सकता है ? ये दूसरा सवाल है।
प्रेम रावत जी : अगर तुम हर पल को जीना चाहते हो तो ‘पल’ क्या है, इसको समझने की कोशिश करो! ‘पल’, इस ‘पल‘ में से — अगर इसको समझना चाहते हो कि ये ‘पल‘ क्या है, जो अभी-अभी, अभी आया तुम्हारे पास। अभी-अभी आया। गया! अब गया! और अभी-अभी आया है! तो इसको अगर समझना चाहते हो तो इस ‘पल‘ में से ‘बीते वाले पल‘ को निकाल दो! और ‘आने वाले पल‘ को भी इस ‘पल‘ से निकाल दो! तो जो बचेगा वो है तुम्हारा असली ‘पल‘।
- प्रेम रावत, मुंबई
अपनी दिनचर्या से छुट्टी लें और 2018 में क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में प्रेम रावत के साथ हुए इस अंतर्राष्ट्रीय रिट्रीट के नौ भागों की श्रंखला में दूसरे एपिसोड का आनंद लें। हम हर हफ्ते, एक एपिसोड का प्रसारण कर रहे हैं, यह नौ हफ्तों तक ज़ारी रहेगा।
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एक चीज आपके पास पहले से ही है। उसका नाम है — शांति। जब आप खोजना शुरू करेंगे उसे बाहर नहीं, अंदर — उन चीजों को लेना शुरू करेंगे, जो आपके पास पहले से ही हैं तो आपको शांति भी उसमें जरूर मिलेगी। क्योंकि वो आपके अंदर पहले से ही है।
एक चीज आपके पास पहले से ही है। उसका नाम है — शांति। जब आप खोजना शुरू करेंगे उसे बाहर नहीं, अंदर — उन चीजों को लेना शुरू करेंगे, जो आपके पास पहले से ही हैं तो आपको शांति भी उसमें जरूर मिलेगी। क्योंकि वो आपके अंदर पहले से ही है।
इतिहास साक्षी रहा है, सदा से ऐसे मार्गदर्शक हुए हैं जिन्होंने लोगों को बताया है कि उनके भीतर की शांति को कैसे प्रकट किया जाए। 8 नवंबर श्री हंस जी महाराज के पावन जन्मोत्सव हंस जयंती के रूप में सम्पूर्ण विश्व में मनायी जाती है। श्री हंस जी महाराज प्रेम रावत जी के पिता और मार्गदर्शक थे।
सदियों से चली आ रही इस गुरु-शिष्य परंपरा में एक कड़ी और जुड़ चुकी है — श्री हंस जी महाराज और प्रेम रावत जी की। यह एक ऐसा विलक्षण कार्यक्रम है जो व्यक्तिगत शांति पाने में सहायक है। इस अनुपम कार्यक्रम के पुनः प्रसारण का आनंद लें।