ऐंकर मीनल : प्रेम जी! मुझे बताइए! एक इंसान अपनी जिंदगी में पीस कैसे प्राप्त कर सकता है ?
प्रेम रावत जी : सबसे बड़ी बात यही है कि हम जब शांति के बारे में सोचते हैं तो हम यही सोचते हैं कि कहीं और से आएगी हमको प्राप्त करना है।
ऐंकर मीनल : जी!
प्रेम रावत जी : सबसे बड़ी बात तो यह है और यही लोगों को बड़ी अचम्भे की बात भी लगती है, जब मैं लोगों से ये कहता हूं कि शांति तो पहले से ही आपके अंदर है। आपको कहीं खोजने की जरूरत नहीं है। आपको अपने आपको पहचानने की जरूरत है कि आप हैं कौन ?
"सॉक्रटीज़ ने कहा था कि — Know thyself." आज उसका मायने क्या है ?
आज मनुष्य हर एक चीज को जानने की कोशिश करता है, पर अपने आपको जानने की कोशिश नहीं कर रहा है। उसके सर्कल में बहुत सारे फ्रैण्ड्स हैं, ट्विटर में हैं, फेसबुक में हैं, व्हाट्सअप में हैं, परंतु उसमें क्या ऐसा भी कुछ है कि जिसमें वो इन्क्लुडेड है ? और अपने आपको समझने की कोशिश कर रहा है, अपने आपको जानने की कोशिश कर रहा है। अगर मनुष्य अपने आपको जानने की कोशिश करे तो उसको शांति अपने ही अंदर मिलेगी।
ऐंकर मीनल : प्रेम जी! मुझे बताइए! एक इंसान अपनी जिंदगी में पीस कैसे प्राप्त कर सकता है ?
प्रेम रावत जी : सबसे बड़ी बात यही है कि हम जब शांति के बारे में सोचते हैं तो हम यही सोचते हैं कि कहीं और से आएगी हमको प्राप्त करना है।
ऐंकर मीनल : जी!
प्रेम रावत जी : सबसे बड़ी बात तो यह है और यही लोगों को बड़ी अचम्भे की बात भी लगती है, जब मैं लोगों से ये कहता हूं कि शांति तो पहले से ही आपके अंदर है। आपको कहीं खोजने की जरूरत नहीं है। आपको अपने आपको पहचानने की जरूरत है कि आप हैं कौन ?
"सॉक्रटीज़ ने कहा था कि — Know thyself." आज उसका मायने क्या है ?
आज मनुष्य हर एक चीज को जानने की कोशिश करता है, पर अपने आपको जानने की कोशिश नहीं कर रहा है। उसके सर्कल में बहुत सारे फ्रैण्ड्स हैं, ट्विटर में हैं, फेसबुक में हैं, व्हाट्सअप में हैं, परंतु उसमें क्या ऐसा भी कुछ है कि जिसमें वो इन्क्लुडेड है ? और अपने आपको समझने की कोशिश कर रहा है, अपने आपको जानने की कोशिश कर रहा है। अगर मनुष्य अपने आपको जानने की कोशिश करे तो उसको शांति अपने ही अंदर मिलेगी।