प्रेम रावत:
कितने ही बीज हैं, जो काफी समय से बारिश का इंतज़ार करते हैं। रेगिस्तान में जमीन में बीज पड़े रहते हैं और वे बारिश की इंतज़ार करते हैं। जब बारिश होगी, तब वह बीज उगेगा। उसी प्रकार जब हमारे पास कोई ऐसा व्यक्ति आये, जो अनुभव की बात कहे, हम तैयार रहें।
अनुभव के संबंध में एक दृष्टांत है —
एक राजा था। उसके दरबार में कोई आम लाया। उस राजा ने अपनी जिंदगी में कभी आम नहीं खाया था। इसलिए उसने पूछा, "यह क्या है ?"
जो व्यक्ति आम लाया था, उसने कहा कि, "महाराज! यह आम है। यह बहुत ही अच्छा फल है, आप इसे खाकर देखिये।"
राजा ने कहा, "मुझे नहीं खाना है। मेरे दरबार में जो लोग बैठे हैं, इनको खिलाओ। ये खाकर मुझे बताएंगे कि यह आम कैसा है?"
एक ने खाया और उसने कहा, "महाराज! यह बहुत मीठा है।"
राजा ने कहा, "मुझे अभी समझ में नहीं आया कि आम क्या है।"
उसने अपने प्रधानमंत्री को दिया कि तुम खाओ। उसने भी खाया, उसने कहा, "महाराज! यह तो बहुत बढ़िया है। यह तो नरम है, मीठा है और इसमें रस भी है।"
कहा, "अभी भी मुझे समझ में नहीं आया।"
उस दरबार में एक विद्वान सज्जन को आम मिला तो वे खाने के बजाय सीधा राजा के पास ले गए और कहे कि, "राजा! इसको आप खाइये। जबतक आप नहीं खायेंगे, तबतक दूसरों के खाने से आपको कुछ पता नहीं लगेगा कि यह क्या चीज है ? यह व्यक्तिगत अनुभव की बात है।"
तब राजा ने उस आम को चखा और चखने के बाद वह कहता है कि "हां! अब समझ में आ गया कि आम क्या होता है।"
उसी प्रकार आज इस संसार में शांति की चर्चा करने वाले बहुत लोग हो चुके हैं, परन्तु जबतक आप शांति का स्वयं अनुभव नहीं कर लेंगे, तबतक यह सिर्फ एक शब्द मात्र है। हमको शांति का अनुभव करने की जरूरत है। चाहे हमारे पास कितना भी पैसा हो, परन्तु आंतरिक शांति के अभाव में हम गरीब के गरीब हैं। जबतक हमारे अंदर सब कुछ खाली है, तबतक हमारे लिए कुछ भी नहीं है। जिस दिन हमारे अंदर शांति का अनुभव हो जायेगा, हमें शांति-शांति चिल्लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।