तो मैं जीवन में उम्मीद को कैसे समझूँ ? मैं उम्मीद को कैसे पूरा करूँ ? बहुत आसान है। अब चार बिन्दु हैं और मैने इन चार बिंदुओं के बारे में सोवेटो में भी बात की थी।
खुद को जानने से शांति मिलेगी। और बाकी तीन बिंदु आपके जीवन की गुणवत्ता बढ़ाएंगे। आपको ख़ुशी देंगे।
तो दोबारा, पहला अंक है — खुद को जानना।
दूसरा अंक है — जीवन में कृतज्ञता होना।
तीसरा अंक होगा — दूसरे लोग क्या सोचते हैं, इसके बारे में मत सोचिये।
तो "हे भगवान!" जानते हैं, आपको समझना होगा, वो इंसान आपके बारे में नहीं सोच रहा। जानते हैं क्या सोच रहा है ? वो ये सोच रहा है कि बाकी लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं। वो आपके बारे में नहीं सोच रहे। और बस आप इस खेल में फंसे हुए हैं कि वो इंसान आपके बारे में क्या सोच रहा है। उन्हें फर्क नहीं पड़ता। उन्हें वाकई फर्क नहीं पड़ता। पर हम ये सब बना लेते हैं। तो जो भी...
और फिर चौथी चीज़ है — हर बार आप विफल हों, विफलता को अपनाइये नहीं। ये है उम्मीद के बारे में और लोग मुझसे पूछते हैं हर बार, "जब मैं विफल होता हूँ, मुझे उसे अपनाना नहीं? पर मैं विफलता को पूरे जीवन अपनाता आया हूँ। मैं कैसे न अपनाऊं उसे ?"
बात ये है, जब आप बचपन में चलना सीख रहे थे, आप कई बार गिरे। कई बार, क्योंकि ये एक अजीब स्थिति है। आप, आप सीखना ... आप सीखना चाहते थे कि कैसे चलें। बिलकुल, आप पढ़ नहीं सकते और आपको अपनी माँ की आवाज़ पसंद है पर समझते नहीं हैं कि वो क्या कह रही है। और आप यहां हैं। आपको वो करना है जो आपने पहले कभी नहीं किया। और आपको कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। आप नहीं जा सकते अपने iPad पर या YouTube पर और लिखने की कोशिश करें "मुझे चलना सिखाइये"। क्योंकि आपको तो लिखना भी नहीं आता। और अब ये आपके ऊपर है। तो आप उठते हैं, हिलते हुए, काफी ज्यादा, क्योंकि अब तक आपकी टांगें, ये मांसपेशियाँ चलने लायक नहीं हुई हैं। आप उठते हैं और हिल रहे हैं, आप कदम लेने की कोशिश करते हैं और गिर जाते हैं।
और अगर यही आपको आज करना होता, आप कहते, "कोशिश की, मुझसे नहीं हुआ। मुझे उस बारे में बात नहीं करनी।"
है न ? बस, रुक जाते। विफलता स्वीकार लेते। ख़त्म। दरवाज़ा बंद।
"मुझे याद मत दिलाइये। ये बुरा दिन है, बहुत खराब दिन। मुझे याद नहीं करना। सफलता नहीं मिली।"
क्योंकि आपने विफलता को नहीं स्वीकारा, आपको उम्मीद नज़र आई और आप उठे और आपने फिर कोशिश की। फिर भी नहीं हुआ। आप फिर विफल रहे, पर फिर भी उसे नहीं अपनाया। आपके पास क्या बचा था ? जब आप विफलता को नहीं अपनाते, आपके पास क्या बचेगा ? बचेगी सिर्फ उम्मीद। और इस पूरे वक्त, क्योंकि आपने उम्मीद को अपनाया और विफलता को ठुकराया।
जैसे ही आप विफलता से "विफल" हटा लेते हैं, विफल खुद में इतना ताकतवर शब्द नहीं है, पर अगर विफलता और विफल को साथ रखते हैं तो वो सबकुछ है। सबकुछ है!
पर आप असफल होंगे, क्योंकि जीवन में हर काम के लिए अनुदेश नहीं है। जीवन में ऐसी बातें होंगी आपके साथ और आपके आस-पास जिनका आप सामना करेंगे, जो आपने पहले नहीं देखीं हैं। और या तो आप जल्दबाज़ी में हों, वो फैसला लेते हैं या फिर बिना जानते ही आप फैसला ले सकते हैं, जो गलत हो और आप विफल हो जाएं। और विफल हुए, और ये ठीक है दुनिया में कुछ नहीं बदला। दुनिया में किसी ने कुछ नहीं कहा। नहीं, कुछ नहीं बदला। उठिये और चलिए, ये आप पर है या वहीं रहिये, ये भी आप पर है।
— प्रेम रावत