"जिस चीज को आप ढूंढ़ रहे हैं, वह आपके अंदर है", यह बहुत बढ़िया खुशखबरी है और यह मेरा सौभाग्य है कि मैं इसे लोगों तक पंहुचा रहा हूं।
जो यूथ हैं, वो सचमुच में अपना और अपने देश का फ्यूचर ब्राइट करने की पॉसिबिलिटी जानते हैं। आपके पास एक ऐसा उत्साह है, आपके पास एक ऐसी क्षमता है, आपके पास एक ऐसी समझ है कि आप सचमुच में हिन्दुस्तान को ही नहीं, सारी दुनिया को बदल सकते हैं।
एक झलक:
ऐंकर : सर! आपकी जिंदगी का कोई ऐसा incident, जिसने आपकी लाइफ को change कर दिया हो ?
प्रेम रावत जी : हां! एक तो था, पर मेरे को याद नहीं है वो। पर मैं जानता हूं कि वो हुआ है जब मैंने पहला स्वांस लिया। मेरी सारी जिंदगी को बदल दिया।
ऐंकर : अरे सर! {हँसने लगते हैं}
प्रेम रावत जी : मेरे को जीवित कर दिया! उससे पहले मैं क्या था ? अब, मैं स्वांस तो ले नहीं रहा था! जब मैं बाहर आया तो किसी न किसी तरीके से — या तो मेरे को उल्टा पकड़ा होगा या कुछ किया होगा, परंतु मेरे को अच्छी तरीके से मालूम है, क्योंकि मैंने देखा है बच्चों का जन्म होते हुए, मेरे अपने, कि उस समय, जब बच्चा बाहर आता है तो ख्याल एक ही चीज पर जाता है। ये नहीं कि वो लड़का है या लड़की है; ये कैसा है, कैसा नहीं है! सिर्फ एक चीज पर जाता है — स्वांस ले रहा है या नहीं ?
चाहे वो किसी भी धर्म का हो, किसी भी मजहब का हो; अमीर हो, गरीब हो — स्वांस ले रहा है या नहीं ? और जैसे ही — अगर वो स्वांस नहीं ले रहा है तो डॉक्टर उसको उल्टा पकड़ता है और एक देता है पीछे से, जबतक वो स्वांस लेना शुरू न कर दे। और जब वो स्वांस लेना शुरू करता है तो वो घर आ सकता है। और अगर वो स्वांस नहीं लेगा तो वो घर नहीं आएगा। अस्पताल से ही कहीं और जाएगा। हां! जबतक वो स्वांस ले रहा है, उसके लिए — उसके चाचा होंगे, उसके मामा होंगे, उसकी मां होगी, उसके बाप होंगे, उसके भाई होंगे, उसके दोस्त होंगे, उसके दुश्मन होंगे, उसके सबकुछ होगा। और जिस दिन वो स्वांस लेना बंद कर देगा, उसको अपने ही घर से ले जाएंगे।
वहां रह नहीं सकते। ये स्वांस का चमत्कार है! और इसको नहीं समझेंगे अगर — तो यही एक चीज है, जो हुई मेरे भी जीवन के अंदर! और आज भी वो चीज मेरे अंदर आ रही है और जा रही है।