प्रेम रावत :
चार चीजें बहुत जरूरी हैं इस जीवन के अंदर और इन चार चीजों में तो मैं किताब भी लिखने जा रहा हूं। और ये जो चार चीजें हैं — एक कि तुम अपने आपको जानो। जब तक तुम अपने आपको नहीं जानोगे, तुमको नहीं पता तुम्हारी शक्तियां क्या हैं और तुम्हारी कमजोरी क्या हैं? तुमको यह नहीं मालूम रहेगा कि तुम यहां आये क्यों हो? तुमको यह नहीं मालूम पड़ेगा कि मनुष्य होता क्या है, जब तक तुम अपने आपको नहीं जानोगे।
और दूसरी चीज कि अपने जीवन में — अपने जीवन में सदैव यह हृदय आभार से भरा रहे। और भरेगा तभी, जब आप हर दिन के लिए धन्यवाद अदा करने योग्य होंगे। ये नहीं है कि सुबेरे उठ करके — आहह! नहीं, उठ करके — मैं जीवित हूं। मैं जीवित हूं। असली सफलता तो वह है। असली चीज तो वह है, जिसका तुम अनुभव कर सको।
तो आभार कैसे होगा? जब तक सचमुच में दिल भरेगा नहीं और जब तक जो असलियत है उसको हम स्वीकार नहीं करेंगे अपने जीवन के अंदर ।
और तीसरी चीज कि तुम्हारे बारे में लोग क्या सोचते हैं, इसको तुम छोड़ दो। मैं जानता हूं... हैंऽऽऽ ये कैसे होगा । क्या मतलब क्योंकि जो कुछ भी तुम बैठे-बैठे यही तुम्हारे दिमाग में चलता रहेगा कि — “वो क्या सोच रहा है मेरे बारे में, वो क्या सोच रहा है मेरे बारे में, वो क्या सोच रहा है मेरे बारे में, वो क्या सोच रहा है मेरे बारे में।” लोगों के जीवन तबाह हो जाते हैं इस बात को लेकर। तबाह! ये होना चाहिए, वो होना चाहिए ताकि मेरी नाक न कटे। नहीं कटेगी। अपने आप नहीं कटेगी, चक्कू से कटेगी। क्योंकि ऐसी प्रथा बना रखी है। ऐसी प्रथा बना रखी है। और ये कभी टूटेगी नहीं, लगी रहती है। साल के उसके बाद, उसके बाद, उसके बाद, उसके बाद, उसके बाद, उसके बाद इसी में, वो क्या सोचेंगे, वो क्या सोचेंगे, वो क्या सोचेंगे, वो क्या सोचेंगे। क्यों? उनके पास और कुछ सोचने के लिए नहीं है? है! उनके पास बहुत है सोचने के लिए। वो तुम्हारे बारे में — और वो तुम्हारे बारे में नहीं। अगर वो इतने ही खुदगर्ज हैं तो वो अपने बारे में सोच रहे होंगे।
कितना जरूरी है कि हम इन चीजों में न पड़ जायें और हमेशा हमारे जीवन के अंदर आशा बनी रहनी चाहिए। जब तक ये स्वांस चल रहा है, मनुष्य को निराश होने की जरूरत नहीं है। चाहे कुछ भी हो जाये, निराश नहीं होना है। निराश होने की कोई जरूरत नहीं है। इसे कहते हैं असली ताकत। ये है असली ताकत।
Text on screen:
चार जरूरी बातें
अपने आपको जानो।
हृदय आभार से भरा रहे।
लोग क्या सोचेंगे इसकी परवाह न करें।
जीवन के अंदर आशा बनी रहे।