MC: ग्रैहम रिचर्ड्स
सवाल है “आप खुद से प्यार कैसे करें जब आप मानने लगें हैं कि आप बदसूरत हैं और एक विफलता ?”
प्रेम रावत:
अब, खुशकिस्मती से यह तथ्य नहीं, यह बस हमारी मान्यता है। मान्यता बदल सकती हैं।
मान्यता ऐसी होती है — और हां मैं एक बात कहता था। अगर मैं किसी के साथ बैठा हूं, कह सकता हूं, “सोचिये कि यहाँ एक गाय है, कोई दिक्कत नहीं; बस मान लीजिये कि यहाँ एक गाय है और यह गाय बहुत दूध देती है। बस मान लीजिये, ओके ?”
कोई परेशानी, नहीं ना ? पर अगर मुझे चाहिए चाय, असली चाय और कुछ दूध चाहिए। बात है कि इस मानी हुई गाय से असली चाय के लिए दूध नहीं मिलेगा। अब अगर मैंने मानी हुई चाय ली है, तो यह सोची हुई गाय थोड़ा सा दूध दे सकती है मेरी मानी हुई चाय के लिए, पर अगर मुझे असली चाय चाहिए तो ये काम नहीं करेगी।
‘मानने’ के बाद भी एक पड़ाव है, उसे कहते हैं 'जानना।' सच्चाई में जीना, और बस — क्योंकि कई लोग मुझसे कहते हैं जब मैं अपनी बात उनसे कहता हूँ कि “बस भी करिये; सच्चाई कहिये!” और बात ये है उनके डर के साथ वो लोग असल में सच्चाई से दूर हैं। वो लोग झूठ में जी रहे हैं।
आप जो चाहे वो मान सकते हैं। पर सच्चाई है क्या ? सच्चाई क्या है ? सच्चाई है कि अंधकार रोशनी से दूर नहीं होता।
पिछली बार जब आपने स्विच जलाया और अँधेरे कमरे में रोशनी की, कितनी देर लगी अंधकार को जाने में ? आपने लाइट बल्ब जलाया और बस हो गया। जजजजजजजजजजज...., जैसे जानते हैं एक ड्रेन ? बिलकुल नहीं, एकदम से, एकदम से!
अंधकार कभी रोशनी से दूर नहीं; रोशनी कभी अंधकार से दूर नहीं। जो ख़ुशी कभी उदासी से दूर नहीं और उदासी कभी भी ख़ुशी से दूर नहीं। ये साथ में रहते हैं।
जब आप बाथरूम में जाकर, दरवाजा बंद करते हैं, प्राइवेसी के लिए, आपको लगता है ये प्राइवेट है ? नहीं! आपका गुस्सा, आपका डर, आपका शक़, आपके साथ आये हैं। हालांकि आप अपने लिए बस या एयरोप्लेन में एक ही सीट बुक करते हैं, आपका गुस्सा, आपका डर, आपका शक़ हमेशा साथ में चलते हैं। हमेशा! हमेशा!
पर रहती है करुणा भी, रहती है समझ, रहती है कृतज्ञता। ये चीजें भी हैं क्योंकि ये सिक्के का दूसरा पहलू है।
आपको यह जानना है — अगर आपने सिर्फ अपनी बदसूरती का तज़ुर्बा किया है, फिर आपने सिक्का पलट कर नहीं देखा। आपको सिक्के को पलटना है। क्योंकि सिक्के की दूसरी तरफ कमाल की सुंदरता है।
सुंदरता क्या है ? क्या है सुंदरता ? कोई ऐसा जो सामान आकर का हो ? कोई फिल्म स्टार ? सुंदरता क्या है ? क्योंकि आप जानते हैं सच्चाई को, कितने फिल्मस्टार्स बेहद सुन्दर होते हैं, वो कई-कई घंटो तक खुद को शीशे में निहारते हैं कि “हे भगवान! क्या मैं हूं ये ? ये मैं हूं ? ये मैं हूं ?”
आप हैं रखवाले, अगर महसूस करें खुद में और देखें। मैं इस पर जाता रहता हूं और ये कमाल का सवाल है, क्योंकि इससे मुझे अपनी किताब के लिए बहुत कुछ मिलेगा — इसलिए आपको खुद को जानना होता है।
सॉक्रटीज़ ने कहा — "खुद को जानें!” आपको खुद को जानना है। आपको खुद को क्यों जानना है ? क्योंकि तभी तो आप खुद की असल सुंदरता को महसूस कर पाएंगे। इसलिए आपको खुद को जानना चाहिए।
अरबों वज़ह हैं मेरे मुताबिक, इस धरती पर 7.5 अरब वज़ह हैं, खुद को जानने की, कि आपको खुद को जानना क्यों है ? क्योंकि अगर सब जानें तो मुझे लगता है दुनिया की स्थिति काफी अलग होती। अगर वो सुंदरता जो आपके मन में है, वो असल सुंदरता से भिन्न है।
आंखों को देखिये! इस कमाल को देखिये! ये बच्चे सुन्दर हैं, ये कुछ बढ़िया देखते हैं और हैरान होते हैं, बिल्कुल हैरान! और बिल्कुल, बेवकूफ माँ-बाप कहते हैं — “ये चाँद है।” उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता। वो अपने बेवकूफ पिता के कहने से पहले ही चाँद से प्यार करने लगे थे या बेवकूफ माँ ने कि “ये चाँद है।” उन्होंने चाँद देखा, उसका नाम जाने बिना और उससे प्यार कर बैठे। ये है सुंदरता! और आपमें वो सुंदरता है, चाहे और कोई कुछ भी कहे। आप उनसे कहीं बुरे हैं, क्योंकि आप खुद को लगातार बताते रहते हैं कि मैं सुन्दर नहीं, मैं सुन्दर नहीं…।
ये सुंदरता एक दिन चली जायेगी। वही लोग, जिसे लोग आकर चूमते हैं, वो कहेंगे, “आह! ये क्या हुआ ?”
तो ये नहीं है, ये सुंदरता वाला हिस्सा नहीं — सुंदरता का हिस्सा यहाँ है, आपके हृदय में! आपमें!