जिस बात की यहां चर्चा हो रही है, वह किसी कागज के पन्ने पर स्याही से नहीं लिखी है। यह आपके हृदय रूपी कागज पर लिखी हुई है, आपके अंदर लिखी हुई है। यह किसी मनुष्य की कृति नहीं है। यह कृति है आपके बनाने वाले की, जिसने सारे संसार की रचना की है। इस संसार के रचयिता ने अपने हाथों से आपकी हृदय की पुस्तक में कुछ लिखा है। बात यह है कि हम जीवन में अन्य पुस्तकों को तो खूब पढ़ते हैं, पर हृदय की पुस्तक को पढ़ने की कभी कोशिश नहीं करते।
इस हृदय की पुस्तक में नया लिखा हुआ है ? इस पुस्तक में लिखा हुआ है उन समस्याओं का हल, जिन्हें गवर्नमेंट हल नहीं कर सकती, जिन्हें कोई आर्मी या एयरफोर्स हल नहीं कर सकता, कोई वैज्ञानिक हल नहीं कर सकता। वह समस्या क्या है ? वह समस्या है मनुष्य के अंदर की अशांति। वह सबसे बड़ी समस्या है! किसी को धनवान बनाना आसान है, किसी को निर्धन बनाना आसान है, पर किसी के हृदय में शांति पैदा करना यह आसान काम नहीं है। इसमें आपको स्वयं भाग लेना पड़ेगा। यह आपकी जिंदगी का प्रश्न है।
अगर किसी पुस्तक को खोलो तो वह अक्सर एक तरफ मोटी और दूसरी तरफ पतली होती है। फिर पन्ने पलटते रहो तो पतला वाला हिस्सा मोटा हो जायेगा और मोटा वाला हिस्सा पतला हो जायेगा। एक-एक करके उस पुस्तक के सारे पन्ने इधर से उधर हो जायेंगे। यह जीवन भी एक ऐसी ही पुस्तक है, जिसके पन्ने एक तरफ से दूसरी तरफ तो पलटे जा सकते हैं, पर दूसरी तरफ से वापस पीछे नहीं पलटे जा सकते। इस जीवन की पुस्तक में जो कुछ भी लिखा है, अगर उसे पढ़ना है तो बड़े ध्यान से पढ़ना चाहिए। क्योंकि इसमें जो लिखा है, वह दुःख के लिए नहीं, बल्कि सुख पाने के लिए लिखा है। उस परम आनंद, परम शांति के लिए लिखा है, जो पहले से आपके अंदर मौजूद है, पर आप उससे अनभिज्ञ हैं।
प्यास भी हमारे हृदय के अन्दर है और शांति भी हमारे हृदय के अंदर है। लोग पूछते हैं कि "हृदय क्या होता है ?” वह हमारे ही पास है और हमें नहीं मालूम है। आप जरा आंखें खोलें तो प्रश्न उठेगा कि कौन-सी ऐसी चीज है, जिसने आपको शांति पाने के लिए प्रेरित किया है ? वह है आपका हृदय। हृदय अंदर से प्रेरित करता है कि अपने जीवन को सफल बनाओ। अपने अंदर जो शांति है, उसका अनुभव करो ताकि यह जीवन आनंद से भर उठे — असली आनंद से, नकली आनंद से नहीं। ऐसा आनंद नहीं, जो आज है और कल नहीं रहेगा। ऐसा आनंद कि जब भी जरूरत पड़े, तो अपने अंदर जाकर, उस फव्वारे के नीचे बैठकर, उसके शीतल जल में स्नान किया जा सके। ऐसी जगह मिल जाये तो बस आनंद ही आनंद है। यह सबकुछ मनुष्य के अंदर है। कोई ऐसी चीज नहीं है, जिससे आपके बनाने वाले ने आपको वंचित किया हो।
हृदय के अंदर राजनीति नहीं चलती है। हृदय के अंदर गवर्नमेंट की नहीं चलती है। हृदय के अंदर कोई अमीर नहीं है, हृदय के अंदर कोई गरीब नहीं है। हृदय के अंदर कोई छोटा नहीं है, हृदय के अंदर कोई बड़ा नहीं है। हृदय के अंदर सिर्फ हृदय है और उसके अंदर अपार शांति है, उसके अंदर अपार आनंद है! सबके हृदय के अंदर वह आनंद भरा हुआ है! जब हम उस आनंद तक पहुंच जायेंगे, तब हृदय की प्यास मिटेगी। उससे पहले नहीं। हृदय की प्यास किताबों से नहीं मिटेगी। हृदय की प्यास बातों से नहीं मिटेगी। यह बात सभी मनुष्यों के लिए सामान रूप से लागू है। आप यह जानते तो हैं, पर पहचानते नहीं हैं। आपको मालूम है कि आपका जीवन अमूल्य है, परन्तु आप इसे पहचानते नहीं हैं। जिस दिन पहचानने लगेंगे, उस दिन जीवन धन्य हो जायेगा। प्रश्न है कि हम पहचानेंगे कैसे ?
आप उस आनंद को ढूंढिए, खोजिये जैसे भी हो हृदय की पुस्तक को पढ़ना आना चाहिए। यह संभव होना चाहिए, क्योंकि तभी आप जीवन का असली मजा ले सकेंगे। अगर आपको सफलता न मिले तो इस हृदय की पुस्तक को पढ़ने में आपकी मदद हो सकती है। आपका हृदय आपसे क्या कह रहा है ? दुनिया की सारी बातें तो सुन लीं, पर अगर आप अपने हृदय की बात नहीं सुन पाए तो अपने आपको कभी समझ नहीं पाएंगे। वह पुकार जो आपके अंदर से आ रही है, जब तक उसे नहीं समझ पाए तो यह जीवन कैसे सफल होगा। अगर सबसे मित्रता कर ली, पर अपने से अजनबी बने रहे, तो फिर तो वही हाल हो जायेगा कि खाली हाथ आये थे और खाली हाथ इस संसार से जाना पड़ेगा।
हर एक मनुष्य का हृदय है और हर एक मनुष्य के हृदय में वह आनंद समाया हुआ है। जब बात हृदय से आती है, जब बात अनुभव से आती है, तभी बात स्पष्ट होती है। तब अज्ञानता का अंधेरा दूर होने लगता है। क्योंकि जो हृदय की चीज है, जो हृदय की बात है, जो आनंद की बात है, उससे आदमी की अज्ञानता दूर होती है। उससे आदमी के संशय दूर होते हैं। उससे आदमी के प्रश्न समाप्त होते हैं। एक तो वह चीज है, जिसे पढ़ने से आदमी के प्रश्न बढ़ते हैं और एक वह चीज है जिसको समझने से आदमी के प्रश्न काम होते हैं। विचार कीजिये कि अपने जीवन में आप क्या अपनाना चाहते हैं?