मैं कौन हूं ? मैं हूं, ये मेरे को मालूम है, क्योंकि मैं स्वांस लेता हूं, मैं सोच सकता हूं, मैं देख सकता हूं। सुख और दुःख का मैं अनुभव कर सकता हूं।
ये सारी चीजें जो मेरी जिंदगी के अन्दर होती रहती हैं, ये क्यों ? क्योंकि मैं जीवित हूं। मुझे मालूम है कि अगर मैं जीवित नहीं रहता तो न मेरे को सुख का अनुभव होगा, न दुःख का अनुभव होगा।
हम अपने बारे में भूल जाते हैं कि हम कौन हैं ? मैं यहां क्यों हूं ? क्या कर रहा हूं ? क्या मैं हासिल कर सकता हूं अपने जीवन के अन्दर ?
ये है स्टेज। ये है स्टेज और स्टेज में — स्टेज के ऊपर आप हैं। और आप क्या करेंगे, क्या है आपका हिस्सा ? नाचने का है ? गाने का है ? एक्टिंग करने का है ? नहीं, एक्टिंग करने का है ? क्या करने का है ? audience कौन-सी है ? कौन हैं audience में बैठे लोग ? दुनिया कहेगी कि दुनिया है। संसार बैठा हुआ है। संसार नहीं बैठा है। कुछ लोग समझते हैं कि संसार बैठा है audience में और संसार को please करना है। संसार clap करेगा। अगर हम अच्छी एक्टिंग करें, अच्छा गाना गाएं तो संसार clap करेगा। संसार रूपी अगर कोई है तो वो अंधा है, वो कुछ नहीं देख सकता। और बहरा है, कुछ नहीं सुन सकता। और गूंगा है, कुछ नहीं बोल सकता। और न उसके हाथ हैं।
तो कौन बैठा है audience में ?
मैं आपको बताता हूं, कौन बैठा है audience में। audience में बैठा है आपका हृदय। आपका अपना हृदय जिसको प्यास है अपने बनाने वाले को देखने की। अपने अन्दर स्थित, अपने अंदर स्थित जो परमात्मा है उसको जानने की, उसका अनुभव करने की। और अगर वो प्रकट हो जाए इस show में तो आपका हृदय आपको applaud करेगा।
घट घट मोरा सांइया, सूनी सेज ना कोय।
बलिहारी उस घट की, जिस घट प्रगट होय।।
जब इस ड्रामे में जिसमें tragedy भी है — मैं नहीं कहता tragedy नहीं है, tragedy है, अज्ञान है, crises है, रोना है, सबकुछ है। पर एक possibility, एक संभावना और है। और वो संभावना है कि इस play में वो, जो अविनाशी हंस हमारे अन्दर बैठा है वो प्रकट हो। अगर वो हो गया, आपने जान लिया, आपने पहचान लिया तो बात ही दूसरी है।
एक joke है, चुटकुला है कि एक बुड्ढा आदमी रोड के पास बैठा हुआ रो रहा था। रो रहा था, रो रहा था, रो रहा था, किसी ने पूछा — क्यों रो रहा है ?
कहा कि मेरी अभी-अभी नई शादी हुई है और वो भी बहुत जवान लड़की से और बहुत खूबसूरत है वो।
तो आदमी ने कहा — भाई इसमें रोने की क्या बात है ? तेरे को तो खुश होना चाहिए।
कहा — भाई, यही नहीं, मेरा अभी नया-नया घर बना है और बहुत ही अच्छा घर है, बहुत ही सुन्दर घर है। सब जगह marble है, granite है, air-conditioned है। बहुत ही सुन्दर घर बना है।
कहा — तेरे को तो खुश होना चाहिए।
कहा — यही नहीं, मैंने अभी-अभी नई कार खरीदी है और बहुत ही बढ़िया कार है।
तो आदमी ने कहा कि भाई, ये सारी चीजें तेरे पास हैं, तो तेरे को बहुत ही खुशी होनी चाहिए। तू रो क्यों रहा है ?
तो बुड्ढा कहने लगा कि मेरे को मालूम नहीं कि मैं रहता कहां हूं। मैं ये भूल गया कि मैं रहता कहां हूं।
ये तो वो वाली बात हो गयी कि कोई आकर कहे कि मेरी याददाश्त बहुत तेज है, ये तो एक बात मेरे को मालूम है और दूसरी चीज मैं भूल गया।
तो क्या याद रखा ? क्या याद है कि तुम भी कुछ हो ?
सारी technologies हैं, जहां technology की बात है, technology से हमको बहुत प्रेम है। I love technology, latest, greatest everything, read up magazines हैं। परन्तु एक ऐसी भी तो technology होगी, जो मेरे को मेरे तक पहुंचाए। जिस technologies की मैं आज बात कर रहा हूं, जो बाहर की technologies हैं, ये तो बदलती रहेंगी। ये तो बदलती रहेंगी।
एक technology जो इस स्वांस तक मिला दे। एक technology जो उस चीज तक मिला दे, जो हमारी जिंदगी के अन्दर सबसे जरूरी है। जिसके बिना हमको नहीं मालूम कि हम रहते कहां हैं। सबकुछ होने के बावजूद भी हम भूल गए कि हम रहते कहां हैं। हम हैं कौन। और अगर यही होता रहेगा हमारी जिंदगी के अन्दर, तो हम अपनी जिंदगी के अन्दर दिशा कैसे पा सकेंगे ?
तो इस जीवन के अन्दर — इस जीवन के अन्दर, अगर हम किसी चीज को समझ सकते हैं, तो उस चीज को समझें कि हमको उस बनाने वाले ने क्या दिया है। इस स्वांस के अन्दर क्या छिपा है। इस जीवन के अन्दर क्या छिपा है।
बहुत सारे जवान लोग हैं वो कहते हैं कि हमारा टाइम नहीं है अभी। हमारा टाइम है, मस्ती लेने का। जब बुड्ढे होंगे, तब इन चीजों के बारे में सोचेंगे। ये आपका प्लान है या उसका प्लान है ? ये आपका प्लान है ? आपके प्लान में — इतने समय से इतने समय तक आप ये करेंगे, इतने समय से इतने समय तक आप मस्ती करेंगे, इतने समय से इतने समय तक आप ये करेंगे। इसके बाद आप वृद्ध होंगे। इसके बाद आप retirement लेंगे। इसके बाद आप इस संसार से जाएंगे। ये आपका प्लान है, क्योंकि वहां एक department है और उसका अपना प्लान है और जो उसका प्लान है, वही होता है। जो आपका प्लान है वो नहीं होगा। अरे! मस्ती करनी है अगर इस संसार के अन्दर, तो करो पर ऐसी मस्ती करो कि जिसमें सचमुच मस्त हो जाओ। सचमुच मस्त हो जाओ। और वो मस्ती बाहर की नहीं है। वो मस्ती है तुम्हारे अन्दर! वो सुख!
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय।
जो सुख साधु संग में, वो बैंकुंठ न होय।।
ये है! ये है वो बात! असली सुख की बात कर रहे हैं। असली आनन्द की बात कर रहे हैं।
- प्रेम रावत: