जहां घना जंगल होता है, वहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती है, क्योंकि पेड़ रोशनी को रोक लेते हैं और अंधेरा ही अंधेरा हो जाता है। हमारे विचार, हमारे ख्याल भी उसी वृक्ष की तरह हैं, जिसने सारी रोशनी रोकी हुई है। जब हम अपने विचारों या कल्पना के जंगल से बाहर निकलेंगे, तब रोशनी दिखाई देगी। जीवन-यात्रा में जो बोझ हमने अपने कंधों पर उठाया हुआ है, यह छोटा-मोटा बोझ नहीं है। जो हमने अपनी विचारों की दुनिया बनाई हुई है, क्या सचमुच में इससे निकलकर के हम ऐसी जगह आ सकते हैं जहां ज्ञान की रोशनी हो ?
अगर किसी पक्षी को छोटे पिंजरे से निकाल करके बड़े पिंजरे में डाल दिया जाए, तो क्या उस पक्षी को स्वतंत्रता मिल गयी ? जब तक हम अपने आपको जानेंगे नहीं, तब तक हम स्वतंत्र नहीं हो सकते। हम सब अपने आपको मानते हैं कि हम तो स्वतंत्र हैं! पर किस चीज से स्वतंत्र हैं ? स्वतंत्रता है कहां ? ऐसी स्वतंत्रता जो ख्यालों में नहीं हो, कल्पना में नहीं हो। क्योंकि 'परम स्वतंत्रता' की सचमुच कोई सीमा नहीं है। इस जीवन को सफल करने के लिए एक ऐसी स्वतंत्रता की जरूरत है, जो सबके हृदय में व्याप्त है। वह है असली स्वतंत्रता! ऐसी स्वतंत्रता, जिसे कोई छीन नहीं सकता है।
अज्ञानता ने आपका हाथ पकड़ा हुआ है। वह अज्ञानता ही आपको सताती है, वह अज्ञानता ही आपको अशांत करती है। क्या आप जानते हैं कि आपका असली स्वरूप क्या है ? यह चेहरा आपका असली स्वरूप नहीं है। उम्र के साथ यह चेहरा बदलता रहेगा। जो आँखें बचपन में अच्छा देख लेती थीं, वे देख नहीं सकेंगी। कानों के साथ भी यही होगा। जो अच्छा सुनाई देता था, वह भी धीरे-धीरे खत्म हो जायेगा। पर असली चीज क्या है ?
सबसे बड़ी अज्ञानता यह है कि आपके अंदर स्थित जो चीज है, आप उस तक नहीं पहुंच पाते हैं। हमारे अंदर जो तराजू का पलड़ा है, उसमें एक तरफ तो हृदय है, आनंद है और दूसरी तरफ सारी दुनिया है। एक तरफ सत्य है, दूसरी तरफ असत्य है; एक तरफ ज्ञान है , एक तरफ अज्ञान है; एक तरफ परम स्वतंत्रता है, दूसरी तरफ माया-मोह रूपी पिंजरा है। एक तरफ दुनिया की जगमगाहट है, चाहे वह कितनी ही नकली क्यों न हो, परंतु फिर भी मनुष्य को फंसा लेती है। तराजू के दूसरे पलड़े में है सिर्फ हृदय, जिसकी भाषा सब लोग नहीं समझते हैं। उसमें सिर्फ आनंद और वह कृपा महसूस होती है। यह हृदय आपका ही एक हिस्सा है। यह आपसे अलग नहीं है। जिस दिन इस हृदय की पुकार को सुनना शुरू करेंगे, उस दिन मालूम पड़ेगा कि स्वतंत्रता क्या होती है। तब जीवन में असली आनंद आएगा।
वह एक ऐसी स्वतंत्रता है कि उसे कोई छीन नहीं सकता है। वह एक ऐसी शांति है कि चाहे कितना भी भयानक युद्ध हो, उसे कोई भंग नहीं कर सकता है। चाहे कैसा भी संकट आये, एक ऐसी सच्चाई है कि कोई भी इस संसार के अंदर उस सत्य को झूठ नहीं बना सकता है। उस अच्छाई को समझ करके जियो। उस शांति का अनुभव करके जियो, चाहे कैसी भी परिस्थिति हो।
जीवन में असली स्वतंत्रता को पहचानिये। आपका हृदय रूपी पक्षी उड़ना चाहता है, उस अनंत आकाश में! पल दो पल के लिए नहीं, जीवन भर के लिए वह उस स्वतंत्रता को महसूस करना चाहता है, जहां चिंताएं नहीं, बल्कि सिर्फ आनंद ही आनंद हो! अगर आपने उसकी पुकार को अनसुना कर दिया तो यह जीवन भी सुना-सुना रहेगा। क्या हम विचार करते हैं कि यही मौका है, यही अवसर है ?
- प्रेम रावत