लॉकडाउन 17

प्रेम रावत जी द्वारा हिंदी में सम्बोधित (9 अप्रैल, 2020)
Apr 09, 2020
"आपको आपके साथ रहना है! प्रश्न मेरा सबसे यह है कि 'क्या आप अपने साथ रह सकते हैं?' " —प्रेम रावत (9 अप्रैल, 2020) यदि आप प्रेम रावत जी से कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं, तो आप अपने सवाल PremRawat.com (www.premrawat.com/engage/contact) या TimelessToday (customercare@timelesstoday.com) के माध्यम से भेज सकते हैं।

प्रेम रावत जी:

सभी श्रोताओं को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार!

आज मैं एक दोहे से चालू करना चाहता हूं वह दोहा है कि —

कर्म कुहाड़ा अंग वन, काटत बारंबार।

अपने हाथों आप को, काटत है संसार।।

तो कहने का अभिप्राय इस दोहे का यही है कि मनुष्य आज जिस हालत में है वह उसी की बनाई हुई है। अपने आप को ही वह नुकसान पहुंचा रहा है। अब कई लोग हैं जो कहेंगे कि "ऐसा तो नहीं है जी! यह कोरोना वायरस जो आया, यह तो हमने नहीं बनाया। यह तो कहीं और से आया है।" ठीक बात है, पर यह भी विचारने की बात है कि जिस माहौल में रह करके हम परेशान हो रहे हैं, इस कोरोना वायरस की वजह से यह किसने बनाया ? जो गरीब लोग हैं उनके लिए और भी मुश्किल है। यह बड़े-बड़े शहर जो बन गए जिनमें रहने के लिए ठीक ढंग से इंतजाम नहीं है लोगों का, यह किसने बनाया ? तो यह तो मनुष्य ने ही बनाया है। यह तो हम लोगों ने ही बनाया है और यह जब बन गया और इसमें फिर — जब मकान लोगों ने बनाए, मकान लोगों ने खरीदे; मकानों में लोग रहते हैं। परंतु जब यह हो गया कि “नहीं तुमको रहना ही है यहां” तो वही मकान — जो अच्छा मकान है; यह मेरा मकान है; यह सब बढ़िया है; यह ठीक है; वह ठीक है। वही मुश्किल की बात बन गयी।

तो हम लोगों को थोड़ा-सा समझना चाहिए कि "यह हुआ क्यों है!" और सबसे बड़ी बात अगर हम उस तरफ जायें भी ना कि "यह हुआ क्यों है; क्यों हुआ है यह सबकुछ!" फिर भी हमको किस प्रकार रहना है हम क्या करें ऐसी परिस्थितियों में?

मैंने पहले ही कहा है कि डरने से तो कुछ होगा नहीं, हिम्मत से काम लेना है। और सबसे बड़ी चीज जो एक फैक्ट (fact) है, जो एक बात है, असलियत है, वह यह है कि “आपको आपके साथ रहना है, आपको आपके साथ रहना है!” प्रश्न सबसे बड़ा — प्रश्न तो मेरे पास बहुत आ रहे हैं, पर सबसे बड़ा प्रश्न मेरा सबसे यह है कि "क्या आप अपने साथ रह सकते हैं?" और किसी के साथ की बात नहीं कर रहा हूं — अपने साथ क्योंकि —

चलती चक्की देख कर, दिया कबीरा रोए।

दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए।।

यह चक्की जो है यहां चल रही है; चल रही है; चल रही है; चल रही है; चल रही है। यह जो कानों के बीच की आवाज़ है, यह बंद ही नहीं हो रही है। तो कोई कुछ सोच रहा है; कोई कुछ सोच रहा है; कोई कुछ सोच रहा है; यह क्या होगा; क्या होगा। लोग ऐजटैटड (agitated) हैं, गुस्सा आ रखा है लोगों को। जहां शांत होना चाहिए क्योंकि जो मनुष्य अपने साथ नहीं रह सकता वह किसी और के साथ क्या रहेगा। जो मनुष्य — जिसको उसकी संगत पसंद नहीं है, खुद की संगत पसंद नहीं है वह और किसी के साथ क्या रहेगा!

और फिर मन है, मन चंचल है और मन कहता है, "नहीं मैं यहां जाना चाहता हूँ, मैं वहां जाना चाहता हूँ।" वह सब जगह, जो तुम जाना भी नहीं चाहते होगे अगर तुमको स्वतंत्रता हो तो! परंतु नहीं है तो फिर विचार आते हैं कि "वहां भी जाना चाहिए; वहां भी जाना चाहिए, वहां भी जाना चाहिए, यह भी करना चाहिए, वह भी करना चाहिए!" यह सारी चीजें इनसे परेशान होने की आपको कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि विचारिये कि जब आप अपनी संगत से ही परेशान हैं तो फिर कैसे काम चलेगा, फिर कैसे काम चलेगा? फिर यह जिंदगी क्या हो गयी ? फिर कैसे आगे बात चलेगी ?

जो औरों की चीज को देख करके कि "उसके साथ यह है, उसके साथ यह है, उसके साथ यह है, और मेरे साथ क्या है, मेरे पास क्या है?" — मैं उसी बात की चर्चा कर रहा हूं कि जो मेरे को एक प्रश्न किसी ने लिखकर दिया कि "मेरे दोस्त जो हैं उनके पास लैटेस्ट गैजेट रहते हैं, नए फोन रहते हैं, यह रहता है, वह रहता है और मेरे पास ये सब चीजें नहीं हैं मेरे को जलन होती है, मेरे को ईर्ष्या होती है!"

पर जो तुम्हारे पास है क्या तुम उसको जानते हो, वह क्या है ? वह है सुख और शांति जो तुम्हारे अंदर है। तुम उसको क्यों नहीं लैटेस्ट गैजेट कहते हो, वह तो बिलकुल ही लैटेस्ट गैजेट है। सबसे बढ़िया चीज है वह। उसको देखो, उसको अपनाओ। और जब उसको अपना सकोगे तो तुममें वह हिम्मत आएगी कि तुम किसी भी चीज का संघर्ष कर सकते हो, किसी भी चीज से और तुमको हार मानने की जरूरत नहीं पड़ेगी अपने जीवन में। क्योंकि जब मनुष्य अपने आपको जानता है तो उसको मालूम है कि मैं कौन हूं और उसमें फिर वह शक्ति आती है जानने से, समझने से कि "हां मेरे अंदर वह चीज विराजमान है, जो सब जगह व्यापक है। जो सब जगह है। वह मेरे अंदर भी है।” फिर उसको इस बात का दुख नहीं होता है कि मेरे को इस संसार से जाना है। जाने-आने का चक्कर तो इस संसार के अंदर हमेशा लगा ही रहता है। बात यह है कि क्या हर दिन जो बीत रहा है उसमें आप कुछ सीख रहे हैं ? उसमें कुछ समझ रहे हैं ? एक कहानी है और मैंने सुनाई है पहले भी।

तो भगवान राम के समय की कहानी है। सभी देवी-देवता भगवान राम के पास आए और कहा — "प्रभु अब समय हो गया है जिस चीज के लिए आप आए थे वह सारी चीजें पूरी हो गई हैं। रावण का वध हो गया है, दानवों का नाश हुआ है और सब कुछ ठीक है इस समय और आप जिस काम के लिए इस पृथ्वी पर आए थे वह काम पूरा हो गया है आपका। अब आइए वापस और बैकुंठ में आइए और सब कुछ ठीक है। जो आपका असली, जो आपका मकान है, घर है उसको आप सम्भालिये, वहां आ जाइये आप।"

तो भगवान राम ने कहा, "ठीक है मैं आने के लिए तैयार हूँ और मैं इससे सहमत हूं। जिस चीज के लिए मैं आया था वह सब हो गया और लव-कुश मेरा सिंहासन संभालेंगे, वह आगे चलाएंगे और मेरा काम हो गया मैं आने के लिए तैयार हूं।"

तो तुम यमराज को बोलो कि वह मेरे को लेने के लिए आ जाये। तो सभी देवी-देवता यमराज के पास गए कि भगवान राम का समय अब पूरा हो गया है उनको लेने के लिए जाओ और वह वापस बैकुंठ जाएंगे।

यमराज ने कहा — "मैं नहीं जा रहा भगवान राम को लेने के लिए और इसलिए नहीं जा रहा कि वहां हनुमान है और वह हनुमान जो हैं वह मेरे को भगवान के नजदीक थोड़े ही आने देंगे, तो मैं नहीं जा रहा।"

सभी देवी-देवता बड़े परेशान हुए कि क्या होगा अब! तो फिर गए भगवान राम के पास और कहा — "भगवान! हमने तो यमराज को कहा कि वह आपको आएं, ले जाएं। पर यमराज ने मना कर दिया कि जबतक हनुमान है, मैं नहीं आऊंगा।"

तो भगवान राम ने कहा — "ठीक है! तुम यमराज को कहो कि मैं हनुमान को ऐसी चीज में लगा दूंगा कि वह व्यस्त रहेगा और वह उनसे लड़ाई नहीं कर पाएगा, उनसे कुछ कह नहीं पाएगा, वह वहां होगा भी नहीं। मैं ऐसी कोई चीज दे दूंगा हनुमान को करने के लिए।

तो भगवान राम ने अपनी अंगूठी ली और उसको एक, जहां वह लेटे हुए थे, बैठे हुए थे वहां एक दरार थी उस दरार के अंदर डाल दिया, क्रैक (crack) के अंदर डाल दिया। और हनुमान को बुलाया कि "हनुमान मेरी अंगूठी जो है इस क्रैक में चली गई है जरा लाना वापिस!"

तो हनुमान ने एक छोटा-सा रूप लिया और उस रिंग के पीछे, उस अंगूठी के पीछे वह चल दिया। अब चलते-चलते, खोजते-खोजते,खोजते-खोजते,खोजते-खोजते वह पाताल लोक में पहुँचा। पाताल लोक में पहुँचा, तो उसने देखा कि वहां सभी जो पाताल के वासी थे वहां हैं और एक बड़े-बड़े कमरे बने हुए हैं। जब हनुमान को देखा पाताल के लोगों ने तो कहा — "आइये, आइये आप! आये हैं आप! कहिये हम आपकी कैसे सेवा कर सकते हैं ?"

कहा — "भाई! मैं भगवान राम की अंगूठी लेने के लिए आया हूं, वह कहीं उस दरार में गिर गई, तो यहां पहुंच गई होगी।"

कहा — “हां,हां! आप उस कमरे में जाइये, पहले वाले कमरे में जाइये और देखिये वहां आपको अंगूठी मिल जायेगी।”

जब वह — हनुमान जी गए और उन्होंने वह खोला, दरवाजा खोला तो देखा एक अंगूठी नहीं, हजारों-हजारों अंगूठियाँ वहां पड़ी हुईं। तो हनुमान ने कहा — 'मेरे को तो एक अंगूठी चाहिए। पर यहां तो हजारों-हजारों अंगूठियाँ और एक-सबके सब वैसे ही हैं। मेरे को तो एक चाहिए, तो वह कौन-सी है ?

तब पाताल वासियों ने कहा — "जी यह तो होता ही रहता है। यह तो हर समय जब भगवान आते हैं तो वह अपनी अंगूठी यहां गिराते हैं और आप अंगूठी को लेने के लिए आते हैं और यही चर्चा होती है कि यह काहे के लिए?"

कहा — "दूसरे जो कमरे हैं वह काहे के लिए हैं ?"

कहा — "वह और अंगूठियों के लिए हैं। यह तो होता ही रहेगा, होता ही रहेगा, होता ही रहेगा, होता ही रहेगा।"

मेरे को यह कहानी पसंद है। परन्तु मैं एक प्रश्न भी पूछता हूं इस कहानी को सुनाने के बाद और प्रश्न मेरा यह है कि "ठीक है यह जो कुछ भी हो रहा है, यह होता रहेगा, होता रहेगा, होता रहेगा, हो या ना हो वह बात अलग है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि आपने इससे सीखा क्या ? यह जो हो रहा है इससे आपने सीखा क्या ?"

एक तो वह वाली बात है कि खुद ही मनुष्य मरीज बन गया, "अजी! मेरे से कुछ नहीं होगा। मैं तो यहां बैठा हुआ हूं, यह हो रहा है, यह ठीक नहीं है, वह ठीक नहीं है, ऐसा है, वैसा है।" फिर सीखा क्या ?

सीखा यह, सीखने की बात जो असली वह यह है कि जो मनुष्य को अहंकार होता है कि "मैंने यह काबू में कर लिया, मैंने यह काबू में कर लिया, मैंने यह कर लिया, मैंने वह कर लिया; मैंने यह देख लिया; मैंने वह देख लिया — वह कुछ नहीं हुआ है। वह सब व्यर्थ है। वह सब गलत है। क्योंकि असली चीज जो है वह यह है कि "तुम जीवित हो, तुम्हारे अंदर स्वांस आ रहा है, जा रहा है।" यह चीज है असली और कोई चीज नहीं है।

यह कोरोना वायरस भी एक दिन चली जाएगी। एक दिन ऐसा भी आएगा कि तुम भी यहां नहीं रहोगे। एक दिन ऐसा भी आएगा कि यह सारी सृष्टि, यह जो पृथ्वी है यह भी यहां नहीं रहेगी। चंदा भी जाएगा, सूरज भी जाएगा। सितारे भी जाएंगे। सबकुछ जाएगा। कल नहीं, परसों नहीं, अरबों साल की बात कर रहा हूं मैं। परंतु आज का सत्य, तुम्हारा जो सत्य है वह असली सत्य क्या है कि तुम्हारे अंदर यह स्वांस आ रहा है, जा रहा है। यह सीखना है कि इसका आदर कैसे किया जाए, इसका सत्कार कैसे किया जाए और अपने जीवन को सफल कैसे बनाया जाए। यह सीखने की बात है। अगर यह सीख लिया, यह जान लिया तो सबकुछ जान लिया। और यह नहीं जाना, तो कुछ नहीं जाना। यह सीख लिया, यह समझ लिया तो सबकुछ सीख लिया। और यह नहीं समझा, यह नहीं सीखा तो कुछ भी नहीं सीखा।

आप कुशल-मंगल रहिये! आनंद से रहिये! अपने साथ रहना सीखिए! चिंता में नहीं, आनंद में, क्योंकि जो मन है यह चिंता की तरफ ले जाता है। हृदय है वह आनंद की तरफ ले जाना चाहता है। आनंद की तरफ जाइये। आनंद से रहिए और सभी श्रोताओं को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार!

Log In / Create Account
Create Account




Log In with





Don’t have an account?
Create Account

Accounts created using Phone Number or Email Address are separate. 
Create Account Using
  
First name

  
Last name

Phone Number

I have read the Privacy Policy and agree.


Show

I have read the Privacy Policy and agree.

Account Information




  • You can create a TimelessToday account with either your Phone Number or your Email Address. Please Note: these are separate and cannot be used interchangeably!

  • Subscription purchase requires that you are logged in with a TimelessToday account.

  • If you purchase a subscription, it will only be linked to the Phone Number or Email Address that was used to log in at the time of Subscription purchase.

Please enter the first name. Please enter the last name. Please enter an email address. Please enter a valid email address. Please enter a password. Passwords must be at least 6 characters. Please Re Enter the password. Password and Confirm Password should be same. Please agree to the privacy policy to continue. Please enter the full name. Show Hide Please enter a Phone Number Invalid Code, please try again Failed to send SMS. Please try again Please enter your name Please enter your name Unable to save additional details. Can't check if user is already registered Please enter a password Invalid password, please try again Can't check if you have free subscription Can't activate FREE premium subscription Resend code in 00:30 seconds We cannot find an account with that phone number. Check the number or create a new account. An account with this phone number already exists. Log In or Try with a different phone number. Invalid Captcha, please try again.
Activate Account

You're Almost Done

ACTIVATE YOUR ACCOUNT

You should receive an email within the next hour.
Click on the link in the email to activate your account.

You won’t be able to log in or purchase a subscription unless you activate it.

Can't find the email?
Please check your Spam or Junk folder.
If you use Gmail, check under Promotions.

Activate Account

Your account linked with johndoe@gmail.com is not Active.

Activate it from the account activation email we sent you.

Can't find the email?
Please check your Spam or Junk folder.
If you use Gmail, check under Promotions.

OR

Get a new account activation email now

Need Help? Contact Customer Care

Activate Account

Account activation email sent to johndoe@gmail.com

ACTIVATE YOUR ACCOUNT

You should receive an email within the next hour.
Click on the link in the email to activate your account.

Once you have activated your account you can continue to log in

Do you really want to renew your subscription?
You haven't marked anything as a favorite so far. Please select a product Please select a play list Failed to add the product. Please refresh the page and try one more time.