लॉकडाउन 18

प्रेम रावत जी द्वारा हिंदी में सम्बोधित (10 अप्रैल, 2020)
Apr 09, 2020
""जो हो रहा है" वही सबकुछ है — वहीं सचमुच का आनंद है “जो हो रहा है।” यह स्वांस आ रहा है, जा रहा है — यह हो रहा है। “क्या हो गया” वहां नहीं, “क्या होगा” वहां भी नहीं, पर “क्या हो रहा है” वहीं सबकुछ है। बात ध्यान की है। ध्यान कहां है ?" —प्रेम रावत (10 अप्रैल, 2020) यदि आप प्रेम रावत जी से कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं, तो आप अपने सवाल PremRawat.com (www.premrawat.com/engage/contact) या TimelessToday (customercare@timelesstoday.com) के माध्यम से भेज सकते हैं।

प्रेम रावत जी:

मेरे श्रोताओं को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार!

चाह गयी चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह,

जिनको कछू न चाहिये, सोई शाहंशाह।

मैंने सोचा कि आज का जो यह कार्यक्रम है इस दोहे से चालू करता हूं। क्योंकि सभी को चिंता लगी हुई है, "क्या होगा; क्या नहीं हो रहा है; यह हो जाएगा; वह हो जाएगा!" परंतु जिसको चिंता नहीं है, जिसको कुछ नहीं चाहिए उसके लिए सबकुछ है, उसके लिए सबकुछ है।

सबसे बड़ी बात यही आती है कि आपके जीवन में यह जो आपको जीवन मिला है, यह जो समय है इसमें आप चाहतों पर लगे हुए हैं और चाहत क्या है आपकी ? सबसे बड़ी चाहत आपकी यह है कि जो औरों की चाहत है — सुनिए, सुनिए इस बात को। सबसे बड़ी चाहत आपकी यह है कि जो औरों की चाहत है आप उसको पूरा करें। जो और लोग आपके जिंदगी के अंदर चाहे वह आपके भाई हों; बहन हों; आपके मित्र हों; आपके माता हों; पिता हों; आपके रिश्तेदार हो; आपके बॉस हों; आपके, कहीं कोई भी हो जो उनकी, जो वो लोग, जो बाहर के लोग हैं और लोग हैं जो तुमसे अपेक्षा करते हैं तुम उस अपेक्षा को पूरा करने में लगे हुए हो। और होता क्या है ? होगा यही कि यही करते-करते, करते-करते, करते-करते, उनको खुश करते हुए सारा समय पूरा हो जाएगा और जब वह समय पूरा हो जाएगा तब कहेंगे कि मैं अपने आपको तो खुश नहीं कर पाया सबको खुश करने की कोशिश की, कोई खुश हुआ नहीं और अब समय सारा निकल गया है खाली हाथ आया था और खाली हाथ ही मैं यहां से जा रहा हूँ।

मैं चाहता हूं कि “यह ना हो।” सबसे बड़ी बात है कि “यह ना हो, हो तो वह हो, जो हो रहा है, जो होगा!” अभी इस कोरोना वायरस को लेकर सबको यह है कि "क्या होगा, क्या होगा, क्या होगा ?" जब यह कोरोना वायरस का जो सारा सिलसिला है जब यह खत्म हो जाएगा तब सबका ध्यान जाएगा — "क्या हुआ, क्या हुआ, क्या हुआ, क्या हुआ!" तो अभी लगा हुआ है कि “क्या होगा?” फिर जाएगा "क्या हो गया, क्या हो गया, क्या हो गया, क्या होगा ?" इन्हीं पर सबका ध्यान जाएगा। तो अभी "क्या होगा" फिर "क्या हो गया!" इसी में सभी लोग रहेंगे और "क्या हो रहा है" — इस पर किसी का ध्यान नहीं जाएगा।

तो समझने की बात है, समझने की बात है कि कैसे, किस प्रकार हम उस चीज तक पहुंच जायें “जो हो रहा है।” “जो हो रहा है” वही सबकुछ हो रहा है — वहीं आनंद है, वहीं सचमुच का आनंद है “जो हो रहा है।” क्या हो रहा है ? यह स्वांस आ रहा है, जा रहा है — यह हो रहा है। “क्या हो गया” वहां नहीं, “क्या होगा” वहां भी नहीं, पर “क्या हो रहा है” वहीं सबकुछ है और जबतक हम अपनी जिंदगी में इस बात को नहीं समझ लेंगे कि वह चीज कितनी जरूरी है — “जो हो रहा है” तबतक हमारा ध्यान कहीं और रहेगा।

बात तो ध्यान की है। ध्यान कहां था ? किस चीज को देख रहे थे ? क्या कर रहे थे ? अगर आप जा रहे हैं, बस में जा रहे हैं, कार में जा रहे हैं, कहीं भी जा रहे हैं और बहुत सुंदर-सी चीज है। पर, वह चीज जो है, जो सुंदर चीज है, वह कार के एक तरफ थी और आप कार के दूसरी तरफ देख रहे थे। कार की खिड़कियों से दूसरी तरफ देख रहे थे। जो चीज सुंदर थी, वह एक तरफ थी और जो आप देख रहे थे, वह दूसरी तरफ थी। किसी ने कहा — "तुमने वह देखा कि कितनी सुंदर थी ?" तुमने कहा — "नहीं!"

क्यों ? क्योंकि ध्यान कहीं और था।

ठीक इसी प्रकार ध्यान हमारा कहां चला जाता है ? किस चीज पर ध्यान दे रहे हैं ? उस पर ध्यान दे रहे हैं "जो है" या उस पर ध्यान दे रहे हैं "जो होगा ?" जो होगा वह इसलिए तो होगा, क्योंकि "वह है नहीं।" जो होगा वह इसलिए होगा क्योंकि "है नहीं।" और जो है उसको "हो गया" की क्या जरूरत है — "वह तो है!" और वह जो समय है "जो है" उसमें सबकुछ है। वह अविनाशी उसी में है, जो वह समय है। उसमें नहीं है "जो होगा" या "हो गया।"

तुम्हारी जिंदगी का खेल — कई लोग हैं — प्रश्न आ रहे हैं, प्रश्नों के उत्तर मैं दूंगा। पर, पढ़ रहा था मैं प्रश्नों को, तो यही बात — अब कई लोग हैं जिनको अभी भी डर है। मैंने कितनी बार समझाया, मैं समझाता रहूंगा कि डरने की कोई बात नहीं है। डरो मत! इस समय सतर्क रहने की, सावधान रहने की बात है। हाथ धोओ, हाथ धोओ, लोगों से संपर्क मत करो यह समझो कि सभी को यह बीमारी है। बाहर जो लोग हैं जिनको तुम नहीं जानते, सभी को यह बीमारी है उनसे दूर रहो। 6 फीट दूर रहो, हाथ धोओ, साफ-सुथरे रहो और इतना परहेज करना है ताकि "कोई तुमको यह ना दे या अगर तुमको है तो तुम किसी को मत दो!" इतना ही परहेज करना है। यह तो किया जा सकता है।

यही समझने की बात है कि इस समय सिर्फ यही नहीं हो रहा है एक चीज और भी हो रही है। यह जो कोरोना वायरस है यह तो है, परन्तु एक चीज और भी हो रही है। जो हो रही है वह बहुत सुंदर चीज है और वह है कि — तुम जीवित हो। तुम्हारे अंदर यह स्वांस आ रहा है, तुम्हारे अंदर यह स्वांस जा रहा है। तुम इसका आनंद उठा हो। तुम इसका आनंद ले सकते हो।

प्रश्न होता है, प्रश्न उठता है कि "क्या तुम वह कर रहे हो, इसका आनंद ले रहे हो, इस जीवन का — कोरोना वायरस का नहीं, इस जीवन का!"

जो हर रोज मैं दो वीडियो बनाता हूं — एक हिंदी में, एक अंग्रेजी में। तो अंग्रेजी की जो अभी मैंने बनाई है वीडियो, उसमें मैंने दो सवाल पूछे लोगों से। वह मैं आप से भी पूछता हूँ कि — आप अपने आप से, अपने आप से कंफर्टेबल (comfortable) हैं या नहीं, जो आराम की बात होती है कि हां! मैं अपने आप में ठीक हूं। आप अपने आप से कंफर्टेबल हैं या नहीं ? क्योंकि अगर नहीं हैं तो फिर वही वाली बात हो गई कि फिर आप किसके साथ कंफर्टेबल हो पाएंगे ? किसी के साथ नहीं। अगर आप अपने साथ कंफर्टेबल नहीं हैं तो किसी के साथ कंफर्टेबल नहीं हो पाएंगे।

और दूसरा सवाल कि यह जो समय है, यह जो समय है — यह तो खत्म होगा, यह तो पूरा होगा। कोरोना वायरस जो है — यह जो एक हिस्सा है, यह तो खत्म होगा। इसके बाद आप किस तरीके से रहेंगे ? आपने अपने जीवन में क्या सीखा है ? कुछ सीखा ? क्या आप उस सीख को अपने जीवन में आगे बढ़ाएंगे ? कुछ आपने जाना ? यह जो समय है, जो लॉकडाउन का समय है इसमें आप विचार कर रहे हैं तो क्या विचार किया आपने ? क्योंकि यह बात है कि सचमुच में यह दुनिया, एक दूसरी दुनिया बन सकती है जिसमें लोग शांति की बात करें, एक-दूसरे से मिलकर रहें। हर एक व्यक्ति में कितनी शक्ति है — यह इस समय मालूम पड़ रहा है। हर एक व्यक्ति जो लॉकडाउन में है, उसका जो दान है वह कितना जरूरी है — इस समय पता लगता है।

तो समझने की बात है, सोचने की बात है और अपने जीवन को सचमुच में सफल बनाने की बात है। क्योंकि यह जो कुछ भी हो रहा है, यह तो खत्म होगा पर हमको अपना जीवन सफल बनाना है उससे पहले कि यह सारा खेल जो है, यह जीवन का खेल खत्म हो।

सोचिये आप इन प्रश्नों के बारे में। और आगे "क्या होगा", वह नहीं "क्या हो रहा है" — उस पर भी ध्यान देना शुरू कीजिए, क्योंकि आनंद वहां है। क्योंकि सृष्टि को रचाने वाला, रचने वाला वह उस जगह है जो हो रहा है, तुम्हारे अंदर है, अब है। उसको जानो; उसको पहचानो और अपने जीवन को सफल बनाओ!

सभी श्रोताओं को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार!

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