लॉकडाउन 19

प्रेम रावत जी द्वारा हिंदी में सम्बोधित (11 अप्रैल, 2020)
Apr 12, 2020
"अगर आप शांति में नहीं हैं तो उसका प्रभाव सारे जन-समाज के ऊपर पड़ता है। परन्तु अगर आप अपने आपको जानते हैं तो आपको पता होगा कि आपकी असली प्रकृति है, उस शांति में लीन होने की।" —प्रेम रावत (11 अप्रैल, 2020) यदि आप प्रेम रावत जी से कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं, तो आप अपने सवाल PremRawat.com (www.premrawat.com/engage/contact) या TimelessToday (customercare@timelesstoday.com) के माध्यम से भेज सकते हैं।

प्रेम रावत जी:

सभी श्रोताओं को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार!

मेरे को आशा है कि आप सभी लोग कुशल-मंगल होंगे। आपके जीवन के अंदर इन परिस्थितियों में भी आनंद होगा, क्योंकि अगर वह आनंद आपके जीवन में नहीं है तो इस कोरोना वायरस में कोई ऐसी शक्ति नहीं है कि वह आपके उस आनंद को छीन सके। यह आनंद, यह शांति जिसकी मैं चर्चा कर रहा हूं यह कोरोना वायरस से कोई तालुक्कात नहीं रखती है। यह शांति, यह आनंद आप से तालुक्कात रखता है। जबतक आपके जीवन में यह स्वांस आ रहा है, जा रहा है तबतक यह शांति, यह आनंद जिस आनंद की मैं चर्चा करता हूं वह आपके अंदर है। अब बात इतनी है कि आप उस आनंद को चाहते हैं या नहीं ? क्योंकि जब कोई मनुष्य एक चीज को समझता है कि उसके लिए वह चीज बहुत जरूरी है, तो अपने ध्यान को उस चीज के ऊपर एकाग्र करता है। यह नहीं है कि वह इधर भाग रहा है, उधर भाग रहा है, यह कर रहा है, वह कर रहा है।

एक विद्यार्थी जो पांचवी कक्षा में पढ़ता हो, चौथी कक्षा में पढ़ता हो, हो सकता है कि कई बार उसका ध्यान पढ़ाई पर नहीं जाता है। वह अपने ही खेलने के ऊपर लगा हुआ है, कहीं यह विचार कर रहा है, कहीं यह ध्यान उसका कहीं और है, कहीं और है, कहीं और है। परन्तु जब कोई ऐसी चीज होती है जैसे कि कोई खबर आई उसके पास कि उसके लिए एक बहुत बढ़िया उपहार लाया जा रहा है और वह चंद ही क्षणों में उसके सामने होगा और बहुत ही सुंदर वह उपहार है। उस समय उसका ध्यान इधर-उधर नहीं भागेगा वह उस उपहार के ऊपर एकाग्रित होगा। क्यों होगा ? क्योंकि उसकी आशाएं उस उपहार में हैं, उस उपहार से बंधी हुई हैं। जब उसके सामने — जब कोई भी ऐसा चैलेंज आता है, कोई भी ऐसी चुनौती आती है "यह पढ़ना है; वह पढ़ना है।" हो सकता है कि उसको यह नहीं लगे कि उसके लिए वह जरूरी है, परंतु जब उसको लगे कि कोई चीज ऐसी है जो उसको आनंद देगी, जो उसको मजा देगी, जो उसके लिए मनोरंजन करेगी और वह चीज, वह चाहता भी है तो उसका ध्यान उस चीज पर एकाग्र होगा।

मनुष्य को अगर हम देखें तो अधिकतर मनुष्य सब एक ही जैसे काम करते हैं। यह हम सबको मालूम है — अभी कोरोना वायरस की वजह से, लॉकडाउन की वजह से ट्रैफिक बहुत कम है। पर जब नॉर्मल सबकुछ रहता है, तो एक ही समय सबलोग निकल कर आते हैं। एक ही समय उठकर सबलोगों को काम पर जाना है। एक ही समय सब लोगों को घर वापिस जाना है। एक ही समय लोग खाने के लिए निकलते हैं; एक ही समय लोग रात को अगर कोई इंटरटेनमेंट है, उसके लिए निकलते हैं। हम मनुष्यों में अंतर क्या रह गया ? फ़र्क क्या रह गया ? हम कौन हैं ? हम क्या हैं ? हमारा ध्यान किस ओर जा रहा है ? हमारा ध्यान जा रहा है — और मैं जानता हूं अच्छी तरीके से लोग हमसे कहते हैं कि "जी! हमको दो रोटी कमानी है। हमको दो रोटी कमानी है; पेट भरना है!" कहा है कि —

ये जग अंधा, मैं केहि समझाऊँ,

सब ही भुलाना पेट का धंधा।

मैं केहि समझाऊँ।।

सभी लोग इसी चीज के पीछे लगे हुए हैं कि हमारी भूख कैसे खत्म होगी ? एक तरफ अगर हम देखें तो सचमुच में इतना खाना उगता है, इतना खाना उगता है इस संसार के अंदर कि सब लोग खा नहीं सकते उसको। फेंका जाता है — खाना, भोजन फेंका जाता है। क्योंकि उसको वो लोग बांट नहीं सकते हैं। इतना, इतना, इतना उगाते हैं। फिर भी लोग लगे हुए हैं कि — "मेरे को दो कमाने हैं; मेरे को दो पैसे कमाने हैं; मेरे को दो रोटी चाहिए; मेरे को यह चाहिए; मेरे को वह चाहिए।" क्या इन चीजों का प्रबंध हम सारे ही इस पृथ्वी पर रहते हुए जो मनुष्य हैं, क्या इन चीजों का प्रबंध हम नहीं कर सकते हैं ? हम कर सकते हैं, परंतु जो चक्कर चला रखा है —

चलती चक्की देखकर, दिया कबीरा रोय।

दो पाटन के बीच में, साबुत बचा ना कोय।।

यही हाल होता है। कोई नहीं बचा। चक्की चल रही है; चल रही है; चल रही है; और इसमें सब पीस रहे हैं। क्यों ? माहौल ही ऐसा बना रखा है, माहौल ही ऐसा बना रखा है। अब देखिये! इतने लोग हैं, इतनी सारी चीजों का आविष्कार हो रखा है। एक समय था कि ऐसे फोन नहीं हुआ करते थे। जब पहली बार हमारे घर में फोन आया तो उसमें तो डायलिंग के लिए भी कुछ नहीं था। सिर्फ फोन था उसको उठाओ तो ऑपरेटर आती थी और ऑपरेटर को बताओ कि कौन-सा नंबर चाहिए या किसी का नाम तो वह अपने आप जोड़ती थी। इतनी टेक्नोलॉजी में, इतना सबकुछ एडवांस हो गया है, इतनी चीजों का अविष्कार हो गया है; ऐसे-ऐसे हवाई जहाज जो आवाज की गति से भी तेज चलते हैं; ऐसी-ऐसी चीजें, जो पानी के नीचे चलती हैं; पानी के ऊपर चलती हैं; ऐसी-ऐसी रेलगाड़ियां जो इतनी तेज चलती हैं कि एक समय था कि कोई सोच भी नहीं सकता कि इतनी तेज रेलगाड़ी चलेगी। ऐसी-ऐसी यंत्र जिनसे कहां से कहां की बात मालूम की जा सकती है; सैटेलाइट सिस्टम, जीपीएस सिस्टम, सैटेलाइट कम्युनिकेशन्स — सारी पृथ्वी में ऐसे-ऐसे, ऐसे-ऐसे, ऐसे-ऐसे अविष्कार हो रखे हैं जिसको हम — जिसकी लिस्ट बनाएं तो बहुत बड़ी लिस्ट होगी।

उसके उपरांत भी जब यह कोरोना वायरस आया, तो लोगों को डर लगा। यह नहीं था कि हमारे पास इतना हमने सबकुछ कर लिया है अब हमको डरने की जरूरत नहीं है। ना, डर रहे हैं लोग और अभी भी डर रहे है। इससे तो लोग बहुत परेशान हो रखे हैं। लोग अपने घर में नहीं रह सकते। घर लिया क्यों ? रहने के लिए। कितने ही दिन हुए होंगे जिस दिन — जब से उठे आप, सवेरे-सवेरे उठे, अपने दफ्तर के लिए तैयार हुए और आपकी यह इच्छा थी कि "आज घर में ही बिताया जाए" और कितने ही बच्चे होते हैं जो यही चाहते हैं कि "आज हम स्कूल ना जाएं, घर में ही बैठकर खेलें !"

"भैया और तो छोड़ो बात तुम्हारी यह चाहत ऊपर वाले ने सुन ली और ऐसा प्रबंध कर दिया कि तुमको अपने घर में ही रहना पड़े — एक दिन नहीं, दो दिन नहीं, तीन दिन नहीं, बहुत सारे दिन।" पर उससे भी तुम्हें खुशी नहीं है, उससे भी तुम खुश नहीं हो, क्योंकि तुम चाहते हो कि अब कुछ और हो। अभी तो लोग होंगे जो यह सोचते होंगे कि "यार! वह दिन आए कि मैं ऑफिस जाऊं, घर से निकलूं।”

देखिए! यह मन जो है आपको घर में भी परेशान कर रहा है और यह ऑफिस में भी परेशान करेगा। यही मन है जो मूवी थिएटर ले जाता है और मूवी थिएटर में भी परेशान करता है। यही मन है जो सब जगह घूमता रहता है, घूमता रहता है, घूमता रहता है और आपको परेशान करता रहता है और आप परेशान होते रहते हैं। यह परेशान करता रहता है — वह बात अलग है यह तो उसकी प्रकृति है। पर आप परेशान होते रहते हैं यह बात अचंभे की है और यह आपकी प्रकृति नहीं है। आपकी प्रकृति परेशान होने की नहीं है, आपकी प्रकृति है आनंद लेने की। तो यह अब क्या हो गया ?

मैं एक समय बोला करता था, एक समय क्या — जो मैंने सुनाया है लोगों को (2019 में भी सुनाया, 2018 में भी सुनाया) कि भाई! एक-एक दिया जब जलेगा तब जाकर के इस संसार के अंदर रोशनी होगी और मेरे को अच्छी तरीके से मालूम है कि ऐसे लोग हैं जो यह कहते होंगे कि "जी! आपका यह ख्वाब कभी पूरा नहीं होगा सब को जला नहीं सकेंगे। एक-एक को कैसे जलाएंगे, एक की कीमत ही क्या है!"

अब देख लीजिए! इस लॉकडाउन में, इस कन्टैमनैशन (contamination) में एक की क्या वैल्यू होती है! एक आदमी चार-पांच आदमियों को कन्टैमिनेट कर सकता है और वह चार-पांच आदमी एक-एक को कर सकते हैं, एक-एक को कर सकते हैं, पांच-पांच को कर सकते हैं, पांच-पांच उसको कर सकते हैं, कितने ही हजारों-हजारों-हजारों-हजारों-हजारों-लाखों में वह कन्टैमनैशन हो जाता है। यह है ताकत एक-एक की। एक-एक व्यक्ति की! इसीलिए तो आपको लॉकडाउन में डाला हुआ है। ताकि आप औरों को कन्टैमिनेट नहीं करें। और, और आपको कन्टैमिनेट नहीं करें। इसलिए समझिये कि आप जैसे हैं, उसकी बहुत बड़ी कीमत है। अगर आप शांति में नहीं हैं तो उसका प्रभाव इस पृथ्वी के ऊपर इस सारे ही जन-समाज के ऊपर पड़ता है। अगर आप आनंद में नहीं हैं तो इसका प्रभाव सबके ऊपर पड़ता है। चाहे थोड़ा पड़े, चाहे बड़ा पड़े पर प्रभाव पड़ता है।

तो आपकी असली प्रकृति क्या है ? क्या यही है जो आप हर रोज करते हैं ? और अब आप उसको वही — जिससे कि आपको बिल्कुल नफरत है और अब आपको उससे निकाल दिया गया अब उससे आपको प्यार है और घर रहने से आपको नफरत है। यह है मन का चक्कर। उल्टा चला तो सही नहीं, उल्टा चला तो सही नहीं, सीधा चला तो सही नहीं, सीधा उल्टा कैसे भी चले, टेढ़ा चले वह भी सही नहीं। कुछ भी सही नहीं है। इस चक्कर में सब लोग हैं। परन्तु अगर आप अपने आप को समझते हैं; अपने आपको जानते हैं तो आपको पता होगा कि आपकी असली प्रकृति है उस शांति में लीन होने की।

देखिये! एक बुझे हुए दिए को जलते हुए दिए के पास लाइए। तो ठीक है, आप — एक दिया जल रहा है, एक दिया बुझा हुआ है। आप बुझे हुए दिये को जलते हुए दिये के पास लाइए क्या होगा ? जैसे ही वह, जो उसकी बत्ती है जैसे ही वह जलती हुई बत्ती के नजदीक आएगी, जब उसको छूयेगी तो क्या होगा ? जो दीपक जल रहा था वह हिला नहीं। जो बुझा हुआ था वह उसके पास आया — जलते हुए दिए के पास आया होगा क्या ? जो बुझा हुआ दिया है वह भी जलने लगेगा। प्रकाश देने लगेगा। यह कानून कोई छोटा-मोटा कानून नहीं है, यह बहुत-बड़ा, लम्बा-चौड़ा कानून है। और यह प्रकृति का कानून है। यह समझने की बात है। इस बार जो बुझा हुआ दिया है उसको आप रहने दीजिए एक ही जगह। जलते हुए दिये को बुझे हुए दिये के पास लाइए। जैसे ही वह बत्ती, बुझे हुए दिये की बत्ती से जलती हुई बत्ती, जब बुझे हुए दिये की बत्ती से जुड़ेगी तो बुझा हुआ दिया फिर जलने लगेगा। प्रकाश देने लगेगा।

इसका मतलब समझते हैं आप ? यह है आशापूर्ण बात। यह आशा से भरी हुई बात है। अगर ऐसा ना होता, अगर ऐसा ना होता तो हम सबकी जिंदगी निराशा में हमेशा रहती। पर, क्योंकि कानून यह है कि बुझा हुआ दिया जलते हुए दिये को बुझा नहीं देगा बल्कि जलता हुआ दिया बुझे हुए दिये को जला देगा — इस कानून के होने की वजह से हमारे सब — जिंदगी के अंदर अंधेरे रहने की कोई जरूरत नहीं है। हम सबकी जिंदगी के अंदर प्रकाश हो सकता है।

और वह प्रकाश जिस प्रकाश के होने से हम देख लेंगे, हमको पता लग जाएगा की असली चीज क्या है! अंधेरा होने की वजह से दिखाई नहीं देता है और जब उजाला होता है, जब ज्ञान का दीपक जलता है, तब सब दिखाई देता है, तब दिखाई देता है कि "आह! यह क्या है, यह क्या है ?" बड़ी से बड़ी समस्या जो मनुष्य के सामने आती है, बड़ी से बड़ी समस्या जो मनुष्य के सामने आती है, उसको भी हम आसानी से पार कर लेते हैं।

किसी ने प्रश्न पूछा था मेरे से — काफी-काफी दिन हो गए अब तो, "जी! उसका उदाहरण दीजिए हमको कि जो आप कहते हैं कि जब समस्या आती है तो उसके ऊपर चलने की जरूरत नहीं है, उसके ऊपर चढ़ने की जरूरत नहीं है उस समस्या के बगल से निकल सकते हैं तो ऐसा कैसे है?"

बड़ी साधारण-सी बात है, यह तो आप हर रोज करते हैं। अगर एक दिन आप खाना बनाने के लिए अपने रसोईघर में गए और आपका जो सिलिंडर है, वह गैस से खाली था। कोई गैस नहीं है। तो यह तो स्पष्ट है कि आप खाना नहीं बना सकते। तब करेंगे तो करेंगे क्या ? समस्या क्या थी, गैस की ? गैस तो आप अपने शरीर में डाल नहीं सकते। गैस की समस्या नहीं थी। गैस से खाना बनना था। और समस्या यह है, समस्या क्या है ? गैस नहीं है या खाना नहीं बन सकेगा ? आपको भोजन प्राप्त नहीं होगा तो आप भूखे रह जाएंगे। अगर आप समझते हैं कि समस्या सिर्फ यह है कि गैस नहीं है तो बात दूसरी है। अगर समस्या यह है और इस बात को आप समझते हैं कि सबसे बड़ी समस्या है कि अगर यह गैस नहीं है तो मैं भोजन नहीं कर पाऊंगा। अगर आपने यह बात जान ली कि बात है भोजन की, गैस की नहीं। गैस तो कल मिल जाएगी, गैस तो कल ले आएंगे। “बात है आज भोजन की! आज मेरे परिवार को भोजन कैसे मिलेगा ?”

बड़ी आसान बात है क्योंकि वह जो प्रॉब्लम थी — वह थी गैस नहीं है। परन्तु आपने उसको सही तरीके से समझा कि बात गैस की नहीं है, गैस से आपकी समस्या का कोई संबंध नहीं है। संबंध है आपकी भूख से! उस दिन पिज़्जा मंगवा लीजिए। सारी फैमिली को बैठकर सारे परिवार के साथ बैठकर के पिज़्जा खा लीजिए समोसे मंगवा लीजिए कुछ खाना बाहर से मंगवा लीजिए। और अगर वह भी बात आपको ठीक नहीं लगे और आस-पास में कोई नहीं है समोसा बनाने वाला, पिज़्जा बनाने वाला। तो अगर घर में अंगीठी है तो उसी के ऊपर आग लगाकर के चूल्हा डालकर के खाना बना लीजिये।

समस्या क्या थी ? समस्या समझने की बात है सबसे पहले। समस्या क्या है ? कई बार हम अपने जीवन में समझते नहीं हैं। समस्या सचमुच हमारे जीवन में है, जब हमारा हृदय उस शांति से नहीं है भरा हुआ है, तो वह है समस्या। जब हमारा जीवन आनंद से नहीं भरा हुआ है तो वह है समस्या — और सबसे बड़ी समस्या वह है और उसका एक ही हल है। उसका हल है कि हम अपने जीवन में जो हमारे अंदर स्थित शांति है उसका अनुभव करें और उससे अपने हृदय को भरें!

तो सभी लोगों को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार!

Log In / Create Account
Create Account




Log In with





Don’t have an account?
Create Account

Accounts created using Phone Number or Email Address are separate. 
Create Account Using
  
First name

  
Last name

Phone Number

I have read the Privacy Policy and agree.


Show

I have read the Privacy Policy and agree.

Account Information




  • You can create a TimelessToday account with either your Phone Number or your Email Address. Please Note: these are separate and cannot be used interchangeably!

  • Subscription purchase requires that you are logged in with a TimelessToday account.

  • If you purchase a subscription, it will only be linked to the Phone Number or Email Address that was used to log in at the time of Subscription purchase.

Please enter the first name. Please enter the last name. Please enter an email address. Please enter a valid email address. Please enter a password. Passwords must be at least 6 characters. Please Re Enter the password. Password and Confirm Password should be same. Please agree to the privacy policy to continue. Please enter the full name. Show Hide Please enter a Phone Number Invalid Code, please try again Failed to send SMS. Please try again Please enter your name Please enter your name Unable to save additional details. Can't check if user is already registered Please enter a password Invalid password, please try again Can't check if you have free subscription Can't activate FREE premium subscription Resend code in 00:30 seconds We cannot find an account with that phone number. Check the number or create a new account. An account with this phone number already exists. Log In or Try with a different phone number. Invalid Captcha, please try again.
Activate Account

You're Almost Done

ACTIVATE YOUR ACCOUNT

You should receive an email within the next hour.
Click on the link in the email to activate your account.

You won’t be able to log in or purchase a subscription unless you activate it.

Can't find the email?
Please check your Spam or Junk folder.
If you use Gmail, check under Promotions.

Activate Account

Your account linked with johndoe@gmail.com is not Active.

Activate it from the account activation email we sent you.

Can't find the email?
Please check your Spam or Junk folder.
If you use Gmail, check under Promotions.

OR

Get a new account activation email now

Need Help? Contact Customer Care

Activate Account

Account activation email sent to johndoe@gmail.com

ACTIVATE YOUR ACCOUNT

You should receive an email within the next hour.
Click on the link in the email to activate your account.

Once you have activated your account you can continue to log in

Do you really want to renew your subscription?
You haven't marked anything as a favorite so far. Please select a product Please select a play list Failed to add the product. Please refresh the page and try one more time.