लॉकडाउन 30

प्रेम रावत जी द्वारा हिंदी में सम्बोधित (22 अप्रैल, 2020)
Apr 22, 2020
"अज्ञानता, अज्ञानता है! आंखें खोलिये! अंदर की तरफ दृश्य देखिये और अपने जीवन को सफल बनाइये।" —प्रेम रावत (22 अप्रैल, 2020) यदि आप प्रेम रावत जी से कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं, तो आप अपने सवाल PremRawat.com (www.premrawat.com/engage/contact) या TimelessToday (customercare@timelesstoday.com) के माध्यम से भेज सकते हैं।

प्रेम रावत जी:

सभी श्रोताओं को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार!

मुझे आशा है आप सब कुशल-मंगल होंगे। आज के दिन जो मैं कहना चाहता हूं वह वही बात है कि आपके अंदर एक शक्ति है और कमजोरी नहीं शक्ति क्योंकि सब लोग अपनी-अपनी कमजोरी समझते हैं और जब ऐसी परिस्थितियों में आते हैं तो कई लोग हैं जिनको गुस्सा आता है, कई लोग हैं जिनको दुख होता है, कई लोग हैं जो चिंतित हो जाते हैं, कई लोग हैं जो भयभीत हो जाते हैं। अपने से पूछते हैं क्या होगा, औरों से पूछते हैं क्या होगा, क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है ? क्योंकि यह बड़े-बड़े शब्द भी आ जाते हैं बीच में और लोगों को समझ में भी नहीं आता है कि यह क्या है, क्या नहीं है, आँखों से तो दिखाई देता नहीं है। छोटी-सी चीज है, छोटी-सी चीज इतना नुकसान कैसे कर सकती है ?

बात तो यही है देखने की — कि एक चीज जो आँख से नहीं देख सकते हैं जिसके लिए माइक्रोस्कोप की जरूरत है, जिसने सारे विश्व को लॉकडाउन में कर दिया है, सारे विश्व को, सारे विश्व को ताला लगा दिया है, रोक दिया है। यह क्यों हुआ, क्या हुआ, कैसे हुआ मैं उस पर नहीं जा रहा हूं, मैं कह रहा हूं यह हुआ है। फ्लाइट रुक गई, लोगों का आना-जाना रुक गया, एक देश से दूसरे देश में नहीं जा सकते, कई लोग बाहर नहीं जा सकते, अस्पताल सारे मैक्सड आउट हो गए — इतने सारे अस्पताल सारे मैक्सड आउट हो गए। कितने ही हजारों-हजारों लोग इस बीमारी से मर गए। कितने ही लोग इस बीमारी से बीमार हुए तो देखने की चीज यह है कि एक तरफ तो सभी को घमंड होता है — “हमारे पास यह है, हमारे पास यह है, हम ऐसे कर लेंगें, हम यह कर लेंगें, हम वह कर लेंगें।” परंतु ऐसा दुश्मन, अब इससे क्या करोगे इसके लिए कोई मिसाइल (missile) तो इस्तेमाल नहीं कर सकते। अब नॉर्थ कोरिया है वह हर दिन मिसाइल लॉन्च करने के लिए धमकी देता रहता और करता भी है लॉन्च। पर इस महामारी को मिसाइल से तो रोक नहीं सकते। बड़ी-बड़ी लोग बंदूक बनाते हैं उससे तो रोक नहीं सकते। बड़े-बड़े कंप्यूटर बनाते हैं, उससे तो रोक नहीं सकते। वह चीज जिसका मनुष्य को इतना घमंड है — अपनी टेक्नोलॉजी का, बैठे-बैठे सब टेक्नोलॉजी का इंतजार कर रहे हैं कि कब क्या होगा! कितने लाखों-लाखों-लाखों अविष्कार हुए हैं, पर उन अविष्कारों में से भी इस समय मनुष्य की सहायता करने के लिए कुछ नहीं है।

चाहे गांव के लोग हों, चाहे शहर के लोग हों, चाहे बड़े-बड़े शहर के लोग हों, चाहे छोटे-छोटे शहर के लोग हों, कस्बे के लोग हों, सबको अंदर बिठा दिया। यह हो गया यह कोई सोच भी नहीं सकता था। यही मैं कहता हूं कई बार कि जब 2020 आया तो किसी को यह नहीं था कि ऐसा कुछ होगा। जब जनवरी आया तब थोड़ा-बहुत होने लगा। 2019 में, अक्टूबर में किसी को कुछ नहीं था। सितम्बर में किसी को कुछ नहीं था। अगस्त में किसी को कुछ नहीं था। सब बढ़िया चल रहा है, सब ठीक है। हम यह कर रहे हैं, हम वह कर रहे हैं। बड़ी-बड़ी खबरें अख़बारों में आ रही हैं। इस चीज का आविष्कार हो रहा है, उस चीज का आविष्कार हो रहा है। उसने यह कर दिया, उसने वह कर दिया। अब यह नया फोन आने वाला है, अभी इस कंपनी का नया फोन आने वाला है, इस कंपनी ने यह सर्विस दे दी है, उस कंपनी ने वह सर्विस दे दी है, उस कंपनी ने यह कर लिया है, उस कंपनी ने वह कर लिया। और यह सारा कुछ जिसमें हम समझते हैं कि यह हमारी दुनिया है, यह हम हैं। यह सारी चीज जो संसार के अंदर हैं यह हमको रिप्रेजेंट करती हैं। यह हमने बनाई हैं। मनुष्य के किसी काम की नहीं हैं। तो अब क्या होगा ?

सबसे पहले यह देखना है कि मनुष्य आखिर जो तुम हो, मनुष्य हो इसका मतलब क्या है कि मनुष्य हो, इसका मतलब क्या है ? यह सारी चीजें तो काम नहीं कर रहीं। इन्होंने तो काम नहीं किया। यह थोड़े ही है कि जितने फोन बनाए हुए हैं, जितने कंप्यूटर बनाए हुए हैं, एकदम कंप्यूटर में प्रश्न डाला कि "कोरोना वायरस के साथ क्या करें" और कंप्यूटर ने तुरंत दो सेकंड के अंदर जवाब दिया "अजी! यह करिए!" यह क्या करिए ? बड़े बड़े वैज्ञानिक लगे हुए हैं। यह तो काफी समय हो गया है इसको। यह तो काफी समय हो गया है। अब मई आने वाला है, फिर जून आएगा और धीरे-धीरे लोग कह रहे हैं कि धीरे-धीरे खोलेंगे, इन सारी पाबंदियों को धीरे-धीरे हटाया जाएगा। तो क्या हुआ हमारे बड़े-बड़े अविष्कारों का ? यह सारी चीजें ठीक उसी प्रकार हैं जो कुछ भी हो आदमी के लिए, कितना भी धन हो उसके लिए...

एक मेरा दोस्त था (मतलब जब आप सुने वह शब्द दोस्त) तो वह मेरी उम्र का नहीं था मेरे से बहुत-बहुत बूढ़ा था वह काफी उम्र थी उसकी। वह एक ऐसा आदमी था कि उसने — वह लोगों के जूते साफ किया करता था रेलवे स्टेशन पर, बस अड्डों पर वह लोगों के जूते साफ किया करता था (अमेरिका में था वह)। तो उसने ठानी कि "इस संसार ने मुझको ठेस पहुंचाई है मैं सारे संसार को ठेस पहुंच जाऊंगा!" तो उसने धन कमाना शुरू किया धीरे-धीरे धीरे-धीरे उसने धन कमाना शुरू किया और एक आदमी जो उसके लिए काम करता था उसने मेरे को बताया कि इसके पास इतना पैसा है, इतना पैसा है कि अगर एक साथ सात 747 B अगर एक बार खरीद लिए जाएं तो इसको मालूम नहीं पड़ेगा कि इसका पैसा थोड़ा कम हुआ है। इतना पैसा! — (तो वही आदमी था वह) तो जब उसकी पत्नी मरी तो उसने मेरे को फोन किया कि आप आइए। उसका नाम था (मैं नाम नहीं लूंगा) तो उसकी जब पत्नी मरी तो उसने कहा "आप आइये!" तो मैंने कहा "मैं आता हूँ।" मैं आया तो वह रोने लगा। वह चाहता था कि मैं उसी के साथ जाऊं तो सारी जो फ्यूनरल थी वह जब हुई, सारा क्रिया-काम हुआ तो फिर कार में जा रहे थे और वह चाहता था कि मैं उसके पास बैठूँ तो मैं बैठा था उसके पास। वह रो रहा था कि "अब क्या होगा?" मैंने कहा कि "तू चिंता मत कर सब ठीक होगा थोड़े दिन आराम कर, थोड़े दिन इस बारे में सोच और सब ठीक हो जाएगा!"

दो हफ्ते के बाद वह आया मेरे से मिलने के लिए, तो आया नई कार और नई गर्लफ्रेंड उसके साथ आया। उतरा कार से और मेरे को ले गया साइड में कहा कि — "आपने ठीक कहा था कि सब ठीक हो जायेगा।" अब मेरी नई गर्लफ्रेंड भी हो गई है, नई कार भी ले ली है मैंने और सब कुछ बढ़िया है। ऐसे चलता रहा, चलता रहा, चलता रहा फिर एक दिन मेरे को फोन आया कि "वह अस्पताल में है और अपनी आखिरी सांस ले रहा है आप उससे आकर मिल लीजिये।" तो मैं गया। जब मैं वहां पहुंचा — तो ऐसा आदमी, मतलब वह कंजूस तो काफी था। इसमें तो कोई शक़ की बात नहीं कि कंजूस था वह, कंजूस तो काफी था। परन्तु वह लेटा हुआ है, उसकी आँखें बंद थीं और वह लेटा हुआ है चारपाई पर और मैं सच कहता हूं कि ऐसा, इतना भी नहीं लगा कि वह 3 फुट लंबा आदमी है। एकदम से छोटा-सा बन गया था। खाना-वाना उसने पता नहीं कब खाया होगा। कोई चीज, एक पैसा, एक बिल्डिंग, एक बिज़नेस उसके काम के नहीं आ रहे थे, कोई काम का नहीं था। वहां लेटा हुआ है वह और मशीन चल रही है वही स्वांस ले रही है उसके लिए और मैं उससे मिला। मैं तो आ गया वापिस और दो-तीन घंटे के बाद ही फिर उनके परिवार ने कहा कि "अब यह चला गया है।" उसका जो हार्ट-लंग-मशीन है उसको डिसकनेक्ट किया।

तो मेरे कहने का यही मतलब है कि यह सारी चीजें जिन पर हम यह सोचते हैं कि "यह मेरे काम आएंगी, यह मेरे काम आएंगी, यह मेरे काम आएंगी।" कोई चीज अंत में काम नहीं आती। क्या काम आएगा ? वह काम आएगा जिस पर आपने ध्यान दिया है। जो आपके अंदर है, जो आपकी शक्ति है कमजोरी नहीं, जो आप की शक्तियां हैं वह काम आयेंगी। उन पर ध्यान दीजिये। वह आज भी काम आयेगीं। चाहे कोई भी परिस्थिति हो, किसी भी दुख से झेलना हो, किसी भी दुख से आगे निकलना हो, किसी भी परिस्थिति से आगे निकलना हो वह चीजें जो हमारे अंदर हैं। वही चीजें हैं जो हमको प्रेरणा देती हैं आगे बढ़ने का, आगे चलने का। नहीं तो अगर मन की बात है, तो मन तो कहेगा "नहीं, तेरे साथ अब कुछ नहीं होगा, तेरा तो जो सबकुछ अच्छा था वह चला गया। अब तो सब नीचे ही नीचे, नीचे ही नीचे, नीचे ही नीचे, नीचे ही नीचे!" ना! कोई शक्ति है तुम्हारे अंदर, हर एक मनुष्य के अंदर।

और कैसी भी बाहर परिस्थिति हो, कैसी भी बुरी परिस्थिति हो परन्तु अंदर तुम्हारे अच्छाई है। अंदर तुम्हारे प्रकाश है —चाहे बाहर कितना भी अंधेरा हो, अंदर तुम्हारे प्रकाश है। उस प्रकाश को बाहर आने दो, उस अच्छाई को बाहर आने दो, उस अच्छाई को अपने जीवन के अंदर एक ऐसी प्रेरणा बनाओ कि तुम आगे चल सको और आगे क्या है तुम्हारे लिए ? उसके ऊपर विश्वास करो, ऐसा विश्वास जो जाना हुआ विश्वास हो, जो जान करके विश्वास हो। अंधविश्वास नहीं! जो आंख खोलकर विश्वास हो। क्योंकि यह स्वांस आता है, जाता है, आता है, जाता है, इसके लिए मेरे को इच्छा करने की जरूरत नहीं है। इसके लिए मेरे को कोई मंत्र पढ़ने की जरूरत नहीं है। इसके लिए कोई बटन दबाने की जरूरत नहीं है। यह आ रहा है, जा रहा है, आ रहा है, जा रहा है, आ रहा है, जा रहा है।

जिस समय मैं बच्चा था, जिस दिन से मैं पैदा हुआ — यह स्वांस मेरे अंदर आ रहा है, मेरे अंदर जा रहा है। जब मैं इसकी तरफ ध्यान देता हूं तो इसके लिए भी मेरे को एक पुरस्कार मिलता है और वह क्या है ? वह आनंद है, नाम ही उसका जिसने सारे संसार को बनाया है — उसका नाम ही क्या है — "परमानंद, परम आनंद!" आनंद की बात है भाई, यह दुःख की बात नहीं है। यह लोग हैं , कहा है न कि —

मन न रँगाये रँगाये जोगी कपड़ा

और क्या कहा है कि —

नाम छाड़ि पूजन लागे पथरा।

मन न रँगाये रँगाये जोगी कपड़ा

जंगल जाय जोगी — लोग हैं जो जाते हैं,

जंगल जाय जोगी धुनिया रमौले

"कोई कुछ करता है, कोई कुछ करता है, कोई बड़े-बड़े कान फाड़ लेते हैं, कोई नाक फाड़ लेते हैं, कोई यह करते हैं, कोई वह करते हैं।"

परन्तु वह तो तुम्हारे अंदर है। जब तुमने नहीं फाड़ा था वह — जिसको तुम खोज रहे हो, वह तब भी तुम्हारे अंदर था और अब सबकुछ फाड़-फूड़ लिया तब भी वह तुम्हारे अंदर है। फाड़ने से, फूड़ने से, धुनिया रमाने से, यह करने से, वह करने से इससे कुछ नहीं होता है। होता तब है जब तुम अपनी आँखें खोलो और अंदर की तरफ देखो, अंदर उसको पाओ, अंदर उसको जानो — तुम्हारे सारे तीर्थ, सारे व्रत, सबकुछ, सभी वहां तुम्हारे अंदर हैं, क्योंकि वह भी तुम्हारे अंदर है। जब वह तुम्हारे अंदर है तो जहां वह है वही तीर्थ है, वहीं सबकुछ है, वहीं दान-पुण्य, सबकुछ उसी में है।

जब यह जान लिया, यह पहचान लिया जिसने उसकी तो जिंदगी धन्य हो गयी। चाहे ऐसी भी परिस्थिति हो, जैसी है इन परिस्थितियों में भी तुम खुश रह सकते हो। लोग हैं "अजी! हमारे वहां क्लेश होता है, यह होता है, यह होता है, यह होता है।" भाई! तुम एक काम करो। तुम यह देखो कि तुम क्या कर रहे हो उस क्लेश को बढ़ाने के लिए। परिवार में तो होता है ना दो लड़ रहे हैं तो चार खड़े-खड़े हंस रहे हैं उन पर। क्यों हंस रहे हैं, क्या हंसने की जरूरत है, क्या तुमको साइड लेने की जरूरत है। कुछ ना कुछ — हर एक व्यक्ति उस परिवार में कुछ ना कुछ करता रहता है, कुछ ना कुछ करता रहता है, कुछ ना कुछ करता रहता है और उससे वह क्लेश बढ़ता रहता है, बढ़ता रहता है, बढ़ता रहता है। अज्ञानता, अज्ञानता है! आंखें खोलना, आंखें खोलना है! अंदर की तरफ दृश्य देखना, अंदर की तरफ दृश्य देखना है और अपने जीवन को सफल बनाने की बात है।

हम यही कहते हैं कि अपने जीवन को सफल बनाओ और जीवन सफल बनेगा कैसे ? जबतक तुम अपने आपको जानोगे नहीं, तब तक जीवन सफल नहीं हो सकता है। जबतक यह जिंदगी तुम सचेत रह करके जियोगे नहीं तब तक कुछ नहीं हो सकता है। अगर यह करोगे कि अपने आपको जानोगे और सचेत रह करके यह जिंदगी जियोगे तो तुम्हारे हृदय के अंदर वह आभार आएगा और उस आभार से हृदय भरेगा और उस आभार को वह प्रकट करना चाहेगा। उसके लिए आनंद ही आनंद होगा।

तो मेरे को यही आशा है कि सभी लोग कुशल-मंगल रहेंगे और सभी लोगों को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार!

Log In / Create Account
Create Account




Log In with





Don’t have an account?
Create Account

Accounts created using Phone Number or Email Address are separate. 
Create Account Using
  
First name

  
Last name

Phone Number

I have read the Privacy Policy and agree.


Show

I have read the Privacy Policy and agree.

Account Information




  • You can create a TimelessToday account with either your Phone Number or your Email Address. Please Note: these are separate and cannot be used interchangeably!

  • Subscription purchase requires that you are logged in with a TimelessToday account.

  • If you purchase a subscription, it will only be linked to the Phone Number or Email Address that was used to log in at the time of Subscription purchase.

Please enter the first name. Please enter the last name. Please enter an email address. Please enter a valid email address. Please enter a password. Passwords must be at least 6 characters. Please Re Enter the password. Password and Confirm Password should be same. Please agree to the privacy policy to continue. Please enter the full name. Show Hide Please enter a Phone Number Invalid Code, please try again Failed to send SMS. Please try again Please enter your name Please enter your name Unable to save additional details. Can't check if user is already registered Please enter a password Invalid password, please try again Can't check if you have free subscription Can't activate FREE premium subscription Resend code in 00:30 seconds We cannot find an account with that phone number. Check the number or create a new account. An account with this phone number already exists. Log In or Try with a different phone number. Invalid Captcha, please try again.
Activate Account

You're Almost Done

ACTIVATE YOUR ACCOUNT

You should receive an email within the next hour.
Click on the link in the email to activate your account.

You won’t be able to log in or purchase a subscription unless you activate it.

Can't find the email?
Please check your Spam or Junk folder.
If you use Gmail, check under Promotions.

Activate Account

Your account linked with johndoe@gmail.com is not Active.

Activate it from the account activation email we sent you.

Can't find the email?
Please check your Spam or Junk folder.
If you use Gmail, check under Promotions.

OR

Get a new account activation email now

Need Help? Contact Customer Care

Activate Account

Account activation email sent to johndoe@gmail.com

ACTIVATE YOUR ACCOUNT

You should receive an email within the next hour.
Click on the link in the email to activate your account.

Once you have activated your account you can continue to log in

Do you really want to renew your subscription?
You haven't marked anything as a favorite so far. Please select a product Please select a play list Failed to add the product. Please refresh the page and try one more time.