लॉकडाउन 43

पीस एजुकेशन प्रोग्राम की ओर अग्रसर (7 मई, 2020)
May 06, 2020
"कौन पूछेगा यह प्रश्न कि जिस दिशा में हम जा रहे हैं, क्या वह दिशा ठीक है ? क्या सचमुच में उससे मानव समाज का कल्याण होगा ? क्योंकि आज यह देखना जरूरी है कि मनुष्य को क्या चाहिए ? क्या हमारी जरूरत है ?" —प्रेम रावत / प्रेम रावत जी "पीस एजुकेशन प्रोग्राम" कार्यशालाओं की वीडियो श्रृंखला को आप तक प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरान हम उनके कुछ बेहतरीन कार्यक्रमों से निर्मित लॉकडाउन वीडियो आप के लिए प्रसारित करेंगे।

प्रेम रावत:

दरिया सोया सकल जग, जागत नहीं है कोय।

जागे में फिर जागना, जागा कहिये सोय।।

दरिया सोया सकल जग — कोई exception नहीं है। यह नहीं है कि यहां का समाज नहीं सोया हुआ है या वहां का समाज नहीं सोया हुआ है।

दरिया सोया सकल जग, जागत नहीं है कोय।

और जागे में फिर जागना, जागा कहिये सोय।।

सोचने की बात है कि जो कुछ भी इस संसार के अंदर हो रहा है, क्या सचमुच में उसमें लोग फिर भी सोये हुए हैं ? All the things that are happening, all the technology, all the creations of things. यहसब सोने में हो रहा है ?

ज्यों तिल माहीं तेल है, ज्यों चकमक में आग।

तेरा सांई तुझ में, जाग सके तो जाग।

फिर सोने की बात हो गयी कि इस फैक्ट्स से हम वाकिफ़ नहीं हैं कि जिस चीज की हमको तलाश है, वह हमारे अंदर है। अगर इस संसार की हालत को देखते हुए अगर कोई प्रश्न उठता है तो वह यह प्रश्न उठता है कि ठीक है, और चीजों के लिए हम खूब कोशिश करते हैं — जगह-जगह बैंक्स हैं और एक नहीं है, हजारों-लाखों बैंक्स हैं इस संसार में और उनकी लाखों-लाखों शाखाएं हैं इस संसार के अंदर।

पर यह सारी चीजें होने के बावजूद हम शांति के लिए क्या कर रहे हैं ? शांति क्यों नहीं है हमारे पास ? क्यों आज लड़ाईयां हो रही हैं ? हम बैठ करके यहां क्यों नहीं चर्चा कर रहे हैं कि कितनी सुंदर बात है कि इस संसार के अंदर लोगों ने अपने जीवन में शांति को सलेक्ट किया है, शांति को चूज़ किया है। आज जो बातें होती हैं लोगों के बीच में, वो यह होती हैं कि यह लड़ाईयां कब खत्म होंगी ? लड़ाई अगर खत्म भी हो जाये तो लड़ाई के इफेक्ट्स खत्म नहीं होते हैं।

So who is going to ask the question ? कौन पूछेगा यह प्रश्न कि जिस दिशा में हम जा रहे हैं, क्या वह दिशा ठीक है ? क्या सचमुच में उससे मानव समाज का कल्याण होगा ? क्योंकि आज यह देखना जरूरी है कि मनुष्य को क्या चाहिए ? What are the needs of human beings? What are we need? क्या हमारी जरूरत है ? स्वांस लेने के लिए हवा की जरूरत है। स्वांस लेने के लिए हवा की जरूरत है। और अगर यह गवर्नमेंटों के दायरे में आ गया किसी दिन तो उस पर भी टैक्स लग जाएगा। कोई मरना अपनी — मतलब, अपनी इच्छा से थोड़े ही जाता है, पर मृत्यु टैक्स भी है। तो हवा की जरूरत है। भोजन की जरूरत है। सिर पर छत की जरूरत है। पानी की जरूरत है। और एक चीज और! शांति की जरूरत है। अशांत मनुष्य किसी भी हालत में संतुष्ट नहीं हो सकता, कोई भी हालत हो। अगर उसके अंदर असंतुष्टता है तो वह किसी भी हालत में संतुष्ट नहीं होगा।

गुस्सा जो हमारे में है, यह थोड़े ही है कि हम घर छोड़ देते हैं उसको, जब दिन में चलते हैं ? गुस्सा हमारे साथ हमेशा चलता है। हँसी हमारे साथ हमेशा चलती है। गुस्सा हमारे साथ हमेशा चलता है। ईर्ष्या-द्वेष, प्यार, kindness, compassion ये सारी चीजें अच्छी और बुरी हमारे साथ हमेशा चलती हैं। जहां हम जाते हैं, इनके बिना नहीं जा सकते। यह गुस्सा कोई ऐसी चीज नहीं है कि इसको निकाल करके रख दिया कि अब मैं गुस्सा नहीं होऊंगा। मैं गुस्सा घर में — अगर यह होता तो फिर तो वाह-वाह होती। फिर तो traffic lights की जरूरत नहीं होती, सिपाहियों की जरूरत नहीं होती बाहर! मतलब, कोई गुस्सा ही नहीं करेगा — सब नम्रता से। पर नहीं। क्या होता है ? रोड रेज़! क्यों ? वह गुस्सा है साथ में। दरवाजा बंद किया। औरों को तो आपने कह दिया कि अंदर तुम नहीं आ सकते हो, परंतु तुम्हारे साथ अंदर क्या-क्या आ गया है, क्या तुमको मालूम है ? जब अपने कमरे में रात को सोने के लिए जाते हो आप, दरवाजा बंद कर देते हो, ताकि stranger कोई अंदर न आए, आपको disturb न करे कोई। नहीं ? इसीलिए तो बंद करते हो दरवाजा बंद ? कोई disturb न करे। आपकी private space है।

कोई disturb न करे। पर असली में disturb करने वाले तो सब आ गये आपके साथ! Fear वह तो आ गये अंदर! भूत आया या नहीं, यह नहीं मालूम, पर भूत का डर तो आ गया साथ में! वह तो साथ में ही सोयेगा! Modesty के लिए कपड़े पहनते हैं, ताकि हमको कोई देख न ले। जिस हालत में हम नहीं दिखाना चाहते हैं अपने को। गुस्से से modesty क्या उठायेंगे आप ? जब आप गुस्सा होते हैं you are naked! नंगे हैं आप! उस समय आपके पास कोई barrier नहीं है। आप वह कह रहे हैं, जो आप कहना नहीं चाहते हैं। आप उस तरीके से behave कर रहे हैं, जिस तरीके से आप नहीं चाहते हैं कि कोई आपको देखे, फिर भी हो रहा है। क्योंकि यह गुस्सा साथ में ही गया। तो जब दरिया महाराज ने कहा कि -

दरिया सोया सकल जग, जागत नहीं है कोय।

हम सब सो रहे हैं एक नींद में। और सिर्फ हमारे पास इसका एक excuse है कि नहीं जी, मेरी तो आँखें खुली हुई हैं। मैं सो थोड़े ही रहा हूं ? मैं तो बैठा हुआ हूं, अपनी कुर्सी पर बैठा हूं, मेरी आँख खुली हुई है, मैं सुन रहा हूं, मैं देख रहा हूं। आप कैसे कह सकते हैं कि सो रहा हूं ? और जब आप सो रहे होते हैं तो क्या-क्या नहीं होता है! हवाई जहाज में उड़ रहे हैं। अपनी girlfriend के साथ पार्टी में हैं और girlfriend है ही नहीं! boyfriend के साथ बात हो रही है — न cellphone है, न boyfriend है।

“दरिया सोया सकल जग” — क्या सपना है, क्या सपना नहीं है ? क्या सपना है, क्या सपना नहीं है, यह हमको नहीं मालूम। इतना हमको मालूम है कि आपका जन्म हुआ। यह कैसे मालूम है हमको ? भला बताइये। देखिए! एक-दूसरे को देखिए, जो आपके आसपास हैं। वह इसलिए बैठे हैं यहां कुर्सी पर, आपको इसलिए दिखाई दे रहे हैं वह, क्योंकि उनका जन्म हुआ। जन्म नहीं होता और फिर दिखाई देते तो फिर वह बात problematic है। फिर आप hallucinate कर रहे हैं। तो जन्म हुआ और आज आप जीवित हैं। आज आप जीवित हैं। और क्योंकि आप जवान हैं, आपको यह बात पसंद नहीं आयेगी कि एक दिन आप जीवित नहीं होंगे। तो यह fact है। यह fiction नहीं है। कितने दिन के लिए आप जीवित हैं ? उसके ऊपर जरा ध्यान दीजिए।

Even if you live for hundred years, hundred years. बहुत होता है सौ साल! hundred years कितने दिन हुए ? 36 thousand 500 not 3 hundred & 65 thousand. जवान लोग यही जवाब देते हैं, 3 hundred & 65 thousand (wishful thinking) 3 hundred & 65 नहीं thousand, 36 thousand 500 days. यह पर्याप्त हैं ? ज्यादा नहीं हैं। थोड़े हैं। आज हिन्दुस्तान में 36 thousand 500 rupees का आप क्या खरीद सकेंगे ? बड़े रेस्टोरेंट में आधा खाना — क्या खरीद सकेंगे ? ज्यादा कुछ नहीं!

36 thousand ज्यादा नहीं हैं। 36 thousand 500 hundred! और हमको तो हमेशा ही अचंभा होता है। जब हिन्दुस्तान में थे हम पहले, तो पांच रुपये में पूरा खाना खा लो! अब पांच रुपये में coffee नहीं मिलेगी। और वह उस जमाने की बात कर रहे हैं, जब 10 पैसे में चाय का गिलास मिल जाता था। पर 36 thousand 500 ज्यादा नहीं होते हैं तो — अगर ज्यादा नहीं हैं तो आप क्या करना चाहते हैं अपनी जिंदगी के अंदर ? क्या ऐसी चीज है ?

आप उन्नति करना चाहते हैं। आप bright future चाहते हैं। आप चाहते हैं कि इस institution से आप graduate हों। अगर in a with honors, उतना ही बढ़िया रहेगा और आपको अच्छी नौकरी मिले। और आपको अच्छा jobs मिले, ताकि आप खूब धन कमा सकें, फिर मज़ा ही मज़ा होगा, क्योंकि पैसा ही पैसा होगा! पर होता क्या है ? क्या आपको मालूम है, क्या होता है ? असली में क्या होता है ? क्योंकि हम उन लोगों से भी बात करते हैं, उन लोगों को भी हम सुनाते हैं, उन लोगों से भी हम चर्चा करते हैं तो होता क्या है ?

एक आदमी है, graduate किया, अच्छी job, नौकरी ढूंढ़ी, company के पास गये तो company ने सारी qualification देखी और कहा कि ठीक है, आप हमको अपनी expertise offer कीजिए। हम आपको पैसा offer करेंगे। क्योंकि trade यह है कि आपके हैं सपने, जो आप पूरा करना चाहते हैं। अब उस सपने में क्या-क्या है ? बीच-बंगला है, बढ़िया apartment है, गाड़ी है, wife है, children हैं — जो भी आपका सपना है। है! और यह बात भी निश्चित है कि bolly-holly organisation जो है — bollywood और hollywood! उसको मैं ‘‘bolly-holly dreams” कहता हूं। “bolly-holly dreams” का काफी कुछ योगदान है आपके सपने में। bolly-holly] bolly-holly dreams! जो bolly-holly में नकली हैं, जो bolly-holly में नकली हैं, sets हैं, सिर्फ sets! और आजकल तो green screen चालू कर दिया है तो उसमें तो सारा computer animation है। उससे बनते हैं आपके सपने और आपके लिए — आप लगे रहेंगे उनको साकार करने के लिए और सपने चालू कहां से हुए ? उनमें कोई असलियत नहीं है। ठीक है, trade है, आप अपना समय, अपना दिमाग, अपना effort उस company को देंगे और वह company आपको देगी पैसा, ताकि आप अपने dreams को पूरा कर सकें। contract signed! आपके मुंह में smile! Yes!!

होता क्या है ? असलियत में क्या होता है ? यह तेल गरम हो गया। अब इसमें पकौड़े तलेंगे। और होगा यह, कि company कहेगी, ‘‘आप हमको अपना hundred percent दीजिए!’’ किसी ने मैथ पढ़ी है ? अगर hundred percent गया कम्पनी के पास, तो आपके लिए क्या बचा ? और कब से hundred and one percent चालू हो गया जी ? आपको physics का लॉ तोड़ना पड़ेगा hundred and one percent बनाने के लिए। और पहली seminar, जो आप अपनी company के लिए attend करेंगे, उसमें आपको यही समझाया जायेगा, you must give a hundred percent. आप अपने dreams के पीछे लगे रहेंगे, company आपके पीछे लगी रहेगी। Dreams — यह तो हो गया, race हो रही है turn around में। round about में। एक गाड़ी आगे, एक गाड़ी पीछे। अब चलने लगे चक्कर में, तब कौन-सी गाड़ी आगे है, कौन-सी गाड़ी पीछे है ? कौन-सी गाड़ी बीच में है ? क्या पता लगेगा ? क्या पता लगेगा ? कुछ नहीं पता लगेगा। और होता क्या है ? आदमी tired होता रहता है, tired होता रहता है, tired होता रहता है, tired होता रहता है और company कहती रहती है, ‘‘hundred percent please, hundred percent please, hundred percent please, hundred percent please!’’ अब उसके पास सिर्फ निन्यानबे बचा है देने के लिए, उसके बाद फिर अस्सी बचा है देने के लिए, उसके बाद फिर सत्तर बचा है देने के लिए और family के लिए zero! और family उससे अलग होने लगती है, alienate होने लगती है। वह अपने से alienate होने लगता है और फिर company को क्या जरूरत है ऐसे आदमी की ? उनको सिर्फ एक कागज का टुकड़ा फाड़ना है and the contract is finished! और वह कागज का टुकड़ा आपकी जिंदगी को represent करता है। तो क्या मेरा मतलब है कहने का कि आपको पढ़ाई नहीं करनी चाहिए ? नहीं, मैं यह नहीं कह रहा हूं।

मैं कह रहा हूं, Be armed for reality. सच्चाई के लिए तैयार हो करके जाना। उस मैदान में, लड़ाई के मैदान में अच्छी बात नहीं है कि सिर्फ — ‘‘अजी! मैं तो देखने के लिए निकला था।’’ नहीं। तैयार होकर जाना। तैयार होने का क्या मतलब है ? Yes, you need education, education होनी चाहिए साथ में But you also need you and you need the wisdom. क्या wisdom कि मैं सोऊंगा नहीं, मेरे को जगना जरूरी है। मेरे को जगना जरूरी है, मेरे को यह पहचानना जरूरी है कि मेरी — मेरी needs क्या हैं ? मेरा हृदय, मेरा heart मेरे से क्या मांगता है ? हृदय सुना होगा न आपने ? heart! कभी पूछा आपने ? कभी पूछा आपने, heart होता क्या है ? यह जो धुक-धुक करता है ? यही heart है ? अगर यह heart है तो गड़बड़ है! क्योंकि यह तो कई बार रुक जाता है। Cardiac infections! फिर उसको start करना पड़ता है।

Heart है क्या ? मैं आपको बताता हूं। Heart is the place, where the courage in you resides. हृदय वह जगह है, जहां मनुष्य का असली साहस बसता है। बजता नहीं है, बसता है Heart is the place, where the clarity resides, Heart is the place where the goodness in you resides, Heart is the place, where the kindness in you resides. That’s your heart और उस हृदय को अपने साथ लेकर चलें। bolly-holly dreams change होते रहेंगे। यह तो इनकी प्रकृति है। नये dreams आयेंगे। आज cellphone लेकर सब लोग चलते हैं। नहीं ? मैं भी। मैं नहीं कह रहा हूं कि मैं cellphone नहीं रखता। मैं भी cellphone इस्तेमाल करता हूं। एक दिन होगा, cellphone नहीं होंगे। लोग देखेंगे, photo देखेंगे लोगों की cellphone के साथ और हँसेंगे।

परंतु ये सारी चीजें बदलती रहती हैं। आपकी जो जिंदगी है, 36 thousand 500 days की, इसमें आप एक भी दिन बर्बाद नहीं कर सकते हैं। और यह मैं लोगों से पूछता हूं कि जब आपने इस — सबेरे-सबेरे जब आप उठे तो आप तैयार थे इस दिन के लिए ? आप तैयार थे इस दिन के लिए ? मैं एक ऐसा जीवन जीना — एक ऐसा दिन जीने के लिए जा रहा हूं, जो कभी वापिस नहीं आयेगा। अगर यह होता तो alarm clocks में snooze button नहीं होता। snooze button होता है न alarm clock में ? पांच मिनट और! पांच मिनट और! थोड़ा-सा, थोड़ा-सा! और जो cellphone में भी alarm clock लगाया, उसमें भी snooze! क्योंकि उठने के लिए तैयार नहीं हैं। जब इस तरीके से हम अपना जीवन जीयेंगे, तो फिर होगा क्या ?

असली technology शांति के लिए आपके हृदय में है। असली technology शांति के लिए हर एक मनुष्य के अंदर है, पर उसको opportunity चाहिए कि वह technology आगे आये और हम clarity के साथ वह steps अपनी जिंदगी के अंदर लेना शुरू करें, जिसमें कि एक-दूसरे के लिए जगह हो, लोग शांति से रह सकें। यह नहीं कि जो हमारी abilities हैं, उनको हम ऐसी चीजों के लिए इस्तेमाल करें कि हम एक-दूसरे को मारने के लिए तैयार हैं और मारने में trillions and trillions of dollars खर्च करने के लिए तैयार हैं, पर शांति की तरफ एक पैसा नहीं। Luckily, fortunately लड़ाई के लिए तैयारी करनी पड़ती है, शांति के लिए कुछ करना नहीं पड़ता है। लड़ाई के लिए लड़ना पड़ता है, शांति के लिए सिर्फ आनंद में रहने की जरूरत है — शांति तुम्हारे अंदर है।

So, it was very generous of this university, this Institute to invite me. मेरे को यहां जो निमंत्रण मिला मेरे को आने का और आप लोग जो आए और आप लोगों ने जो मेरी बात सुनी, मेरे को यही आशा है कि आपको अच्छी लगी होगी। और कुछ नहीं करें तो कम से कम इस पर जरा दो मिनट का thought दीजिए। दो मिनट के लिए इस पर जरा अमल कीजिए। क्योंकि शांति आपके अंदर है, अंदर थी, अंदर रहेगी और इसके अंदर जा करके अपने अंदर इस बात को समझ करके सोचिए, विचारिये, आप मनुष्य हैं!

अभी मैं एक प्रोग्राम कर रहा था कलकत्ता में मैंने कहा कि भैंस नहीं बदलेगी। 1970 में भैंस वैसी थी, जैसी आज है। 1930 में भी भैंस वैसी थी, जैसी आज है। पर आदमी बदल गया। जो कपड़े पहनता है, जैसा लगता है, जैसा hairdo है, जैसा यह है, जैसा वह है, cellphone है, ये सारी चीजें बदल गयीं। भैंस, भैंस ही है। और हम लोग अपनी जिंदगी के अंदर अगर अपनी मानवता को खो बैठें तो फिर हम मनुष्य नहीं रहेंगे। अपनी मानवता को हम नहीं खो सकते हैं।

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