लॉकडाउन 47

पीस एजुकेशन प्रोग्राम की ओर अग्रसर (11 मई, 2020)
May 10, 2020
"शांति को ढूंढ़ने की जरूरत नहीं है, वो आप ही के अंदर है।तो शांति खोजिए मत! उसे महसूस कीजिए!" —प्रेम रावत / प्रेम रावत जी "पीस एजुकेशन प्रोग्राम" कार्यशालाओं की वीडियो श्रृंखला को आप तक प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरान हम उनके कुछ बेहतरीन कार्यक्रमों से निर्मित लॉकडाउन वीडियो आप के लिए प्रसारित करेंगे।

94.3 माई एफ एम, जयपुर

ऐंकर : 94.3 माई एफ एम से मैं हूं आर.जे. मोहित और आज मेरे स्टूडियो में कोई बॉलीवुड स्टार नहीं है। लेकिन मुझे लगता है पूरे वर्ल्ड की सैर कर चुके हैं, बहुत-सारे लोगों से मिल चुके हैं। पिछले 10 दिन में मैंने उनके बहुत सारे वीडियोज़ देखें हैं और उनके बारे में बता सकता हूं कि उनके चेहरे पर जो एक स्माइल है, वह हमेशा बरकरार रहती है।

स्वागत करते हैं प्रेम रावत जी का। सर! बहुत-बहुत स्वागत है आपका, हमारे स्टूडियो में।

प्रेम रावत जी : Thank you very much और आपके श्रोताओं को मेरा नमस्कार!

ऐंकर : मेरा सबसे पहला सवाल! जैसा कि मैंने जिक्र किया कि आपके चेहरे पर स्माइल, तेज, इतनी चमक कैसे ?

प्रेम रावत जी : बात ये है कि चमक मनुष्य के अंदर से आती है। असली चमक!

ऐंकर : हूं!

प्रेम रावत जी : बाहर से हम लोग मलहम लगाते हैं, ये सब क्रीम लगाते हैं, ये सबकुछ करने की कोशिश करते हैं। क्योंकि आज का जो माहौल है, वो इसी प्रकार का है कि अगर आदमी बाहर से अच्छा दिखता है तो अच्छा आदमी है। ये सबकुछ है। परंतु अंदर की तरफ कोई ध्यान नहीं देता है। और असली सुंदरता मनुष्य की उसके अंदर से आती है। जो असली श्रृंगार है मनुष्य का या किसी भी, किसी भी व्यक्ति का, वो श्रृंगार जो शांति में है, तो वो श्रृंगार जो है, वो अलग श्रृंगार है।

ऐंकर : जैसे कि आप बात करते हैं शांति की। कई सारे मैंने गुरुओं को, बहुत सारी बुक्स भी पढ़ीं हैं। इसे पाने का तरीका हर कोई अलग-अलग बताता है।

प्रेम रावत जी : बिल्कुल! क्योंकि परिभाषा ही अलग है।

ऐंकर : अलग है। कोई कहता है कि आप मेडिटेशन करो। कोई कहता है कि आप अलग हो जाओ। कोई कहता है कि आप छुट्टी पर चले जाओ। ये शांति पाने का आपका क्या तरीका है ? मैं वो जानना चाहूंगा।

प्रेम रावत जी : बात ये है कि आजकल की हालत ये है कि शांति के बारे में अगर जानना चाहें आप और रिसर्च करना शुरू करें तो आप इतने अशांत हो जाएंगे, इतने अशांत हो जाएंगे, पूछिए मत! क्योंकि पहले जितने प्रश्न थे आपके, उससे कई गुना ज्यादा बढ़ जाएंगे कि भाई! ये है या ये है या ये है या ये है ? अब दो बातें हैं। एक ये है कि — बेसिकली दो फिलॉसफीज़ हैं। और उसमें भी थोड़ा-बहुत अंतर है। पर एक फिलॉसफी ये है कि खाओ, पीओ, मौज करो! तुमको एक दिन मरना है।

ऐंकर : ओके!

प्रेम रावत जी : और दूसरी है कि नहीं, नहीं, नहीं! तुमको मरना तो है, पर मरने से पहले अच्छा काम करो, ताकि तुम स्वर्ग पहुंच पाओगे। इसमें सारी दुनिया बंटी हुई है।

ऐंकर : बिल्कुल! कई लोग खौफ के कारण जीते हैं, कई लोग इसलिए जी रहे हैं कि मुझे स्वर्ग मिलेगा। पुण्य कर रहे हैं, व्रत कर रहे हैं, भूखे हैं। आसपास में ऐसे लोगों को देखता ही हूं। तो ये स्वर्ग-नरक का concept भी जो हमारे पिछले कई सारे लोगों ने बोला है। हमारे ग्रंथों में है, जैसा भी है। हम आधी जिंदगी उसी को follow करके अपने end over में आते हैं और फिर हम out हो जाते हैं।

प्रेम रावत जी : बिल्कुल!

ऐंकर :- तो ये जो पूरी जिंदगी का फॉर्मेट हमारा सेट हो गया है — पुण्य, पाप, कर्म, दान! ये सब हमारा सेट हो गया है। इसके अलावा हम कुछ नहीं जानते हैं। हमें लगता है कि हमें perform करना है स्वर्ग के लिए।

प्रेम रावत जी : बिल्कुल ठीक कहा आपने और बात ये है कि ऐसा नहीं हुआ कि आप जब छोटे थे तो आपने एक दरवाजा खोला और आपको नरक दिखाई दिया और आपने कहा कि ‘‘ये क्या है ?’’ पापा से ‘‘पापा! ये क्या है ?’’ ‘‘बेटा! ये नरक है!’’ फिर दूसरा दरवाजा खोला, स्वर्ग था। तो ये जो नरक और स्वर्ग की बात है, ये आपका अनुभव नहीं है। scripted है।

ऐंकर : Scripted है!

प्रेम रावत जी : परंतु नरक है और स्वर्ग भी है। नरक कहां है ? यहां है। स्वर्ग कहां है ? यहां है। स्वर्ग भी यहां है, नरक भी यहां है। नरक क्या है ? जब आप स्वर्ग में नहीं हैं तो आप कहां हैं ? नरक में हैं। और जहां तक बात है शांति की। शांति परिभाषाओं की नहीं है, शांति महसूस करने की चीज है। सबसे पहले मैं लोगों को ये चुनौती देता हूं — भूल जाइए आप सारी परिभाषाओं को। जितनी भी परिभाषाएं हैं, सबको भूल जाइए। सिर्फ एक बात आप अगर स्वीकार कर सकते हैं तो करिए कि शांति आपके अंदर है। ये इतना बड़ा चैलेंज है लोगों के लिए कि जिस चीज को मैं ढूढ़ रहा हूं, वो मेरे अंदर है। संत-महात्मा तो कह कर चले गए।

मृग नाभि कुंडल बसे, मृग ढूंढ़े बन माहिं।

ऐसे घट घट ब्रह्म हैं, दुनिया जानत नाहिं।।

परंतु इसका क्या मतलब हुआ ? टेस्ट के लिए, टेस्ट के लिए बता दिया पेपर पर ।

ऐंकर : थ्योरी तो थी, पर प्रैक्टिकल नहीं था।

प्रेम रावत जी : जिस चीज की आपको तलाश है, वो आपके अंदर है। अगर आप इसको स्वीकार कर सकते हैं तो आप शांति के रास्ते पर चल दिए हैं।

ऐंकर : ओके!

प्रेम रावत जी : इसको स्वीकार नहीं कर सकते हैं तो फिर परिभाषाओं में ही अटके रहेंगे।

ऐंकर : पर मेरे को — जैसा आप बोलते हैं, शांति अंदर है। पर कई बार ऐसा होता है कि आप शांति की खोज में हैं, आप शांत ....... प्रेम रावत जी : काहे के लिए खोज कर रहे हैं आप ? जो आपके पास पहले से ही है, उसकी खोज कर रहे हैं ? आपको कहां मिलेगी वो ?

ऐंकर : हूं!

प्रेम रावत जी : वो तो आपके अंदर है! वो तो पहले से ही आपके पास है।

ऐंकर : उसको महसूस कैसे किया जाए ?

प्रेम रावत जी : महसूस करने के लिए एक दूसरी चीज है। देखिए! जब आपकी घड़ी खो जाती है, जो आपकी कलाई में नहीं बंधी है। जब आप अपनी कलाई को देखते हैं और आप देखते हैं कि आपकी घड़ी वहां नहीं है तो आप कैसे खोजेंगे ? और अगर आपको घड़ी की जरूरत है और घड़ी — आप देखते हैं कि आपकी अभी भी कलाई में बंधी हुई है तो क्या उसको खोजेंगे आप ?

ऐंकर : नहीं खोजूंगा। बिल्कुल नहीं खोजूंगा।

प्रेम रावत जी : उसको ऐसे करके देखेंगे कि टाइम क्या है ? {हँसते हुए}

ऐंकर : टाइम देख लूंगा।

प्रेम रावत जी : बस! तो इसमें कितना अंतर है! तो एक तरफ लोग कहते हैं, ‘‘खोजिए!’’ और मैं लोगों से कहता हूं कि कैसे खोजोगे ? जब वो चीज पहले से ही तुम्हारे अंदर है तो खोजने की क्या जरूरत है ? अपना टाइम बरबाद मत करो! महसूस करना शुरू करो!

ऐंकर : But वो महसूस करने का क्या तरीका है ? क्या इसका कोई फॉर्मूला है ? या फिर कुछ ऐसा मंथन है।

प्रेम रावत जी : सब लोगों को मालूम है फॉर्मूला। सब लोगों को मालूम है! अगर आप एक कमरे में हैं और वहां दस आदमी बोल रहे हैं, बात कर रहे हैं। जोर-जोर से बात कर रहे हैं! खूब हल्ला हो रहा है! और कोई एक व्यक्ति आता है, जिसको आप आदर-सत्कार, जिसका आप आदर-सत्कार करते हैं, वो आपसे कुछ कहना चाहता है। तो आप करेंगे क्या ?

ऐंकर : मैं लोगों को शांत करने की कोशिश करूंगा!

प्रेम रावत जी : वो जो दस लोग हैं आपके कमरे में, आपके जीवन में, जो बक-बक, बक-बक कर रहे हैं हमेशा — ऐसा बनो, ऐसा बनो, ऐसा करो, ऐसा करो, ये कर लो, ये पा लो, ये हो लो! ये हो जाएगा, वो हो जाएगा! उनको तो शांत करोगे ? तब आपको पता लगेगा कि आपका हृदय आपसे क्या कहना चाहता है ? पर इसकी जरूरत तो समझनी पड़ती है पहले! वो जो दस लोग हैं, उनको आप कभी सट-अप नहीं कर सकते हैं।

ऐंकर : बिल्कुल, उनका ऑन-ऑफ का बटन नहीं है।

प्रेम रावत जी : उनका ऑन-ऑफ का बटन नहीं है, वो बोलते रहेंगे। परंतु उनको थोड़ी देर के लिए भी अगर आप कह सकें, ‘‘एक मिनट! एक चीज और है, जिसको मैं सुनना चाहता हूं। ......’’

ऐंकर : ओके!

प्रेम रावत जी : ‘‘ ........फिर जब मैं सुन लूंगा, आप चालू कर दीजिए!’’ ये वही वाली बात है। आपके कानों में हेडफोन लगे हुए हैं .......

ऐंकर : बिल्कुल!

प्रेम रावत जी : .... और कोई आपसे आकर बात करना चाहता है तो आप क्या करते हैं ?

ऐंकर : मैं हेडफोन उतारूंगा।

प्रेम रावत जी : और फिर जब बात खत्म हो गयी तो फिर पहनूंगा। इतनी आसान बात है।

ऐंकर : But ये easy है उनको शांत कराना कि शांत हो जाओ, मुझे दूसरे की बात सुननी है ?

प्रेम रावत जी : कितना difficult है हेडफोन निकालना अपने कानों से और... ?

ऐंकर : बहुत ही इजी है!

प्रेम रावत जी : फिर लगा देना। Philosophically तो वही चीज है।

ऐंकर : But मुझमें वो शायद वो लगता नहीं है कि इतनी easy हो जाती है कि मैंने उतारे और मैं अभी तुम्हारी बात सुनता हूं। ये तो ये हो गया कि हां! मैं तुम पर कंट्रोल कर रहा हूं। तुम शांत रहो! वो शायद प्रैक्टिस से आयेगा।

प्रेम रावत जी : आपने एक शब्द कहा — कंट्रोल!

ऐंकर : हूं!

प्रेम रावत जी : आपकी जिंदगी है! कोई कंट्रोल है आपको इस पर ? ये गाड़ी चल रही है आपकी तो स्टेयरिंग ह्वील किसके हाथ में है ? ड्राइवर की सीट पर आप बैठे हैं — ड्राइवर की सीट पर तो आप बैठे हैं! भगवान ने क्या दिया है ? भगवान ने आपको दी गाड़ी!

ऐंकर : जीवन!

प्रेम रावत जी : भगवान — हां! जीवन रूपी गाड़ी दी और उसमें दिया फ्यूल......!

ऐंकर : वक्त का!

प्रेम रावत जी : वक्त का और दिया रोड — ये संसार, ये धरती! इतनी सुंदर धरती और कहा, ‘‘चलाओ गाड़ी!’’ अब लोग हैं, कह रहे हैं - ‘‘नहीं, नहीं, नहीं! खुदा चलाएगा! खुदा स्टियर करेगा मेरी गाड़ी को!’’ बाप रे बाप! हाईवे पर बिना — किसी ने स्टियरिंग पकड़ा हुआ ही नहीं है। आजकल की गाड़ियां हैं, जो ऑटो स्टियर करती हैं, परंतु वो भी जब देखती हैं कि पांच-छः सेकेंड के साथ किसी ने स्टियरिंग ह्वील नहीं पकड़ा है तो हॉर्न बजाती हैं, फिर दोबारा उसको grab करो। तो, क्या आपकी जिंदगी में किसी भी चीज पर कंट्रोल है या नहीं ? यह आपकी जिंदगी है! कौन आपको दुःखी करता है ?

ऐंकर : परिस्थितियां!

प्रेम रावत जी : तो आप — तो कंट्रोल क्या है आपका ? जो कुछ होगा — मतलब, ये तूफान है!

ऐंकर : ये तो आएगा ही!

प्रेम रावत जी : बस! यही है सबकुछ या थोड़ा-बहुत कंट्रोल भी कर सकते हैं हम ? अपने जीवन पर थोड़ा-सा कंट्रोल भी जरूरी है — ये मेरी जिंदगी है, मेरे को आगे बढ़ना है। मैं चाहता हूं कि मेरे जीवन में भी सुकून हो, मेरे जीवन में भी शांति हो! बस! इतनी कंट्रोल की बात कर रहा हूं!

ऐंकर : बिल्कुल ठीक कहा आपने। लेकिन कई बार हम दो चीजें देखते हैं। मैं एक देश में रहता हूं। भारत देश में रहता हूं। आपके लिए क्या जरूरी है ? देशभक्ति या मानवता पहले ?

प्रेम रावत जी : देखिए! जहां तक जमीन की बात है, जमीन तो जमीन है। किसी ने यहां बॉर्डर बना दिया, किसी ने वहां बॉर्डर बना दिया। बॉर्डर जो हिन्दुस्तान का आज बॉर्डर है, वो पहले नहीं हुआ करता था। 1947 से पहले बॉर्डर कहीं और था। अब बॉर्डर बन गया है। कुछ होता रहता है, कुछ होता रहता है। स्टेट्स हैं, वो बदलते रहते हैं। वो divide होते रहते हैं। तो जब आप भारतवर्ष की बात करते हैं तो आप भारत में रहने वालों की बात कर रहे हैं या जमीन की बात कर रहे हैं ?

ऐंकर : मैं शायद भारतवासियों की नहीं, मनुष्यों की बात कर रहा हूं।

प्रेम रावत जी : हां! मनुष्यों की अगर आप बात कर रहे हैं तो मानवता पहले होनी चाहिए।

ऐंकर : ओके!

प्रेम रावत जी : क्योंकि अगर हमने सबसे सुंदर घर भी बना लिया। मतलब, मार्बल लगा हुआ है, ग्रैनेट लगा हुआ है। आलीशानदार मकान है, परंतु जितने लोग उस घर में रहते हैं, एक-दूसरे से लड़ते रहते हैं।

ऐंकर : फायदा ही नहीं है ऐसे घर का।

प्रेम रावत जी : ऐसे घर में कौन रहेगा ? आग लगी है, कैसे रहेगा ? सबसे पहले .... और भारतवर्ष एक ऐसी जगह है। क्योंकि जब मैं छोटा था और जब मैं स्कूल जाता था। मैंने देखा। मेरा सबसे करीब एक दोस्त था। उसका शरीर पूरा हो गया अब। वो क्रिश्चियन था। कई लोग मेरे से बोलते थे कि आप इससे क्यों दोस्ती करते हैं ?

ऐंकर : ओके!

प्रेम रावत जी : ये तो क्रिश्चियन है! मैंने कहा, नहीं, मेरा दोस्त है! मैं दोस्ती देखता हूं। मेरा एक और भी दोस्त था। किसी और धर्म का था वो। और जहां मैं स्कूल जाता था तो वहां हर एक धर्म के लोग थे और कभी ये किसी के अंदर ये भाव नहीं था कि नहीं, तू इस्लाम धर्म को मानता है, तू क्रिश्चियन धर्म को मानता है, तू सिख धर्म को मानता है, तू हिन्दु धर्म को मानता है, तू बुद्धिस्ट धर्म को मानता है। बच्चों में ये नहीं होता है। ये सिखाया जाता है।

ऐंकर : script किया जाता है।

प्रेम रावत जी : Script किया जाता है। तो ये तो वही वाली बात है न कि —

आए एक ही देश से, उतरे एक ही घाट।

हवा लगी संसार की, हो गए बारह बाट।।

ऐंकर : हूं!

प्रेम रावत जी : कबीरा कुआं एक है, पानी भरें अनेक।

भांडे का ही भेद है, पानी सबमें एक।।

ऐंकर : नाइस!

प्रेम रावत जी : तो ये आप जब सुनते हैं या कोई और सुनता है तो, बड़ी अच्छी बात है। पर ये उनको मालूम है। उनको मालूम है कि ये सब एक ही हैं।

ऐंकर : एक ही हैं। एक ही हैं!

प्रेम रावत जी : तो ये भारतवर्ष को एकता की जरूरत है।

ऐंकर : हूं।

प्रेम रावत जी : और जैसे-जैसे एक होंगे लोग, ये देश कहीं का कहीं पहुंच जाएगा। कहीं का कहीं पहुंच जाएगा और पहुंच रहा है।

ऐंकर : पहुंच रहा है।

प्रेम रावत जी : पहुंच रहा है!

ऐंकर : मैं इससे एक बात जोड़ना चाहूंगा। मेरे बाबा जी थे, उनके दो मित्र थे — मोहम्डन थे और वो हमारे घर आते भी थे। वो era था और उसके बाद से सब बंद हो गया। मतलब, मेरे बाबा उर्दू में लिखते थे, हिन्दी में भी लिखते थे। वो टीचर थे। आज मैं — मेरे मित्र हैं। इतने मोहम्डन मित्र नहीं हैं या फिर उनके इतने हिन्दु मित्र नहीं हैं। ये जो गैप आया है, मुझे लगता है कि हम वक्त के साथ-साथ दूर होते गए हैं। ये वक्त के साथ हमें तरक्की — कहते हैं न कि वक्त के साथ कोई भी देश तरक्की करता है। तो ये कैसी तरक्की है ?

प्रेम रावत जी : ये तरक्की नहीं है। ये तरक्की नहीं है, ये विभाजन है! क्योंकि ब्रिटिश का एक फंडामेंटल रूल रहा है और ये चाणक्य ने भी ये बात — उन्होंने भी ये बात कही है। क्योंकि साम, दाम, दंड, भेद। और आखिरी वाला है — भेद! पहले तो समझाओ! अगर समझ में नहीं आए — साम, दाम तो पैसे-वैसे का प्रबंध करो। अगर उससे भी नहीं हो तो दंड दो। और अगर दंड भी काम न करे — समझौता भी काम न करे, पैसा भी काम न करे और दंड भी काम न करे तो विभाजन कर दो। जो लोग लोगों का विभाजन कर रहे हैं, वो सचमुच में नहीं समझ रहे हैं कि वो कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं और कितनी बड़ी मानवता के खिलाफ गलती कर रहे हैं। और वो — उससे सतर्क रहना चाहिए लोगों को। क्योंकि अगर वो करें भी कोशिश, परंतु कोई विभाजन को नहीं एक्सेप्ट करे, स्वीकार करे तो वो करेंगे क्या ?

ऐंकर : उनका काम ही नहीं है कुछ।

प्रेम रावत जी : वो स्क्रिप्ट में लिख देते हैं न ?

ऐंकर : हां!

प्रेम रावत जी : और हमको स्क्रिप्ट पढ़नी है।

ऐंकर : पढ़नी है हमें।

प्रेम रावत जी : तो इसमें सब लोग खो जाते हैं कई बार। क्योंकि जो पोटेंशियल है हिन्दुस्तान की। ये देखिए! हिन्दुस्तान में ऐसी-ऐसी चीजें बनी हैं, ऐसी-ऐसी चीजों का आविष्कार हुआ है। जीरो का आविष्कार हुआ है। ऐसे-ऐसे मैथेमेटिशियन्स थे। यहां किसी चीज की कमी नहीं है। किसी चीज की कमी नहीं है।

ऐंकर : वो भी देखना है। Thank you so much sir, हमारे साथ स्टूडियो में आने के लिए! तो ये थे प्रेम रावत जी, जिनके कई सारे उत्तर से आप जान पाएं होंगे कि शांति क्या है। और उसे ढूंढ़ने की जरूरत नहीं है, वो आप ही के अंदर है। अगर आप कहीं ढूंढ़ने जा रहे हैं तो आप अपनी ही चीज को कहीं खोज रहे हैं, जो आपकी जेब में है, जो आपके अंदर है।

तो शांति खोजिए मत! उसे महसूस कीजिए!

Log In / Create Account
Create Account




Log In with





Don’t have an account?
Create Account

Accounts created using Phone Number or Email Address are separate. 
Create Account Using
  
First name

  
Last name

Phone Number

I have read the Privacy Policy and agree.


Show

I have read the Privacy Policy and agree.

Account Information




  • You can create a TimelessToday account with either your Phone Number or your Email Address. Please Note: these are separate and cannot be used interchangeably!

  • Subscription purchase requires that you are logged in with a TimelessToday account.

  • If you purchase a subscription, it will only be linked to the Phone Number or Email Address that was used to log in at the time of Subscription purchase.

Please enter the first name. Please enter the last name. Please enter an email address. Please enter a valid email address. Please enter a password. Passwords must be at least 6 characters. Please Re Enter the password. Password and Confirm Password should be same. Please agree to the privacy policy to continue. Please enter the full name. Show Hide Please enter a Phone Number Invalid Code, please try again Failed to send SMS. Please try again Please enter your name Please enter your name Unable to save additional details. Can't check if user is already registered Please enter a password Invalid password, please try again Can't check if you have free subscription Can't activate FREE premium subscription Resend code in 00:30 seconds We cannot find an account with that phone number. Check the number or create a new account. An account with this phone number already exists. Log In or Try with a different phone number. Invalid Captcha, please try again.
Activate Account

You're Almost Done

ACTIVATE YOUR ACCOUNT

You should receive an email within the next hour.
Click on the link in the email to activate your account.

You won’t be able to log in or purchase a subscription unless you activate it.

Can't find the email?
Please check your Spam or Junk folder.
If you use Gmail, check under Promotions.

Activate Account

Your account linked with johndoe@gmail.com is not Active.

Activate it from the account activation email we sent you.

Can't find the email?
Please check your Spam or Junk folder.
If you use Gmail, check under Promotions.

OR

Get a new account activation email now

Need Help? Contact Customer Care

Activate Account

Account activation email sent to johndoe@gmail.com

ACTIVATE YOUR ACCOUNT

You should receive an email within the next hour.
Click on the link in the email to activate your account.

Once you have activated your account you can continue to log in

Do you really want to renew your subscription?
You haven't marked anything as a favorite so far. Please select a product Please select a play list Failed to add the product. Please refresh the page and try one more time.