प्रेम रावत:
सबको नमस्कार! उम्मीद है आप सब ठीक हैं, सुरक्षित हैं और अच्छे से हैं!
आज सोचा उन लोगों की बातें और सवाल आपको बताऊं जो पीस एजुकेशन प्रोग्राम अटेंड कर चुके हैं और हां, एक और बात हम पीईपी (PEP) की ओर काम कर रहे हैं आपको बस थोड़ा-सा सब्र रखना होगा। क्योंकि आमतौर पर जब पीईपी (PEP) खत्म होता है, जब पेप (PEP) आमतौर पर खत्म होता है लोग मिलते हैं और बातें करते हैं, बयान देते हैं विचार, सुझाव और हां, यह कोई अलग-सी चीज नहीं होती है। तो हम कुछ तरह से कोशिश कर रहे हैं कि — इसमें मैं रहूंगा लीड फैसिलिटेटर, जी हाँ और बाकी लोग अपने कॉमेंट्स और बाकी बातें लिखकर भेज पाएंगे यहां पर हमारे पास और फिर उनमें से कुछ मैं आपको सुना पाऊंगा। तो इसमें काफी सारी तैयारियां करनी पड़ती हैं, लेकिन हां हम इस पर काम कर रहे हैं और सबकुछ ठीक चल रहा है और मुझे लगता है कि यह अच्छा रहेगा।
तो यह रहा एक सवाल — और यह ज्यादातर जेल से आए हुए हैं कहते हैं कि “जीवन की सराहना करने का क्या मतलब है हर पल का आनंद लेना, हर रोज खुश होने का मौका देखना ?” यहां प्यार और करुणा है; यहां गुस्सा और नफ़रत है, लेकिन जीवन एक तोहफा है और मैं इसे जितना हो सके साफ समझना चाहता हूं ताकि हर रोज खुल के जी पाऊं।
“मेरे जीवन के बगीचे में वही उगता है जैसे मैं जीवन को जीता हूं हर किसी में बदलने की क्षमता है और यह मेरा समय है।”
इसका यही तो मतलब है, असल में आपने अपने सवाल का जवाब स्वयं ही दे दिया है। क्योंकि जीवन की सराहना करने में हर रोज खुश रहने में आपको एक अलग दृष्टिकोण से देखना ही होगा और यह है — और यह हिस्सा होगा इस प्रशिक्षण का जो मैं आपके लिए लेकर आऊंगा और एक बात जो मैंने आपके लिए सोची है उसे कहते हैं बदलना विपरीत ढंग से, “अनचेंज” क्या है ? “अनचेंज” का मतलब है कि एक समय था जब आप अपने हृदय की अच्छाई से परिचित थे। सबकुछ ठीक था! आपके पास वह दृष्टिकोण था; वह नज़रिया था; आपका दृष्टिकोण आपके पास अच्छाई देखने की क्षमता थी। आप चीजों को किसी भेद से नहीं देखते थे। आप सबकुछ सच्चाई की नजरों से देखते थे। क्योंकि हम सच्चाई को सच्चाई की आंखों से नहीं देखते; हम उन्हें अपनी आंखों से देखते हैं। और जबतक हम उस सच्चाई को देखना शुरु करते हैं तबतक हमारी आंखें हद से ज्यादा दूषित हो चुकी होती हैं। लेकिन जब हम सच्चाई को सच्चाई की नजर से देखते हैं, सबकुछ बदल जाता है — सबकुछ। पूरा दृष्टिकोण बदल जाता है।
तो एक चीज जो आपको करनी है वह है अनचेंज, इसका मतलब है कि इसमें कई सारे विचार पहले से ही लाए जा चुके हैं। और यह सभी आइडियाज यह विचार इनमें से कुछ तो ठीक हैं, पर कुछ ठीक नहीं हैं और आपको इन्हें छानना पड़ेगा, आपको इन्हें परखना होगा कि आप कैसे चाहते हैं कि आप बनें यह आपको देखना होगा। तो एक बात जो प्रशिक्षण में की जाएगी — वह होगी और शायद मैं यहां कुछ ज्यादा ही बातें बता रहा हूं पर फिर भी कि — “आपको नियंत्रण में रहना है” और आपको एक साफ नज़रिया रखना है, एक दृष्टिकोण कि “आपको क्या चाहिए अपने जीवन में ?” आपको क्या चाहिए, आपको क्या होना चाहिए, आपको कैसे अस्तित्व रखना है ? वह नहीं कि जो बाकी लोगों से आपकी उम्मीदें हैं या बाकी लोग आपसे क्या पसंद करते हैं। क्योंकि अब देखिए, यह एक बहुत ही अजीब-सी स्थिति है, क्योंकि हम कई अपेक्षाएं रखते हैं “हमें ऐसा होना चाहिए; हमें वैसा होना चाहिए; हमें यह बनना चाहिए,” हम सभी ये बातें जो हैं हमें बताई गई हैं समाज के द्वारा ताकि हम समाज में ढल पायें। समाज हमें बदलना चाहता है। लेकिन आमतौर पर उल्टा ही पड़ता है, क्योंकि हमारे बदलने के दौरान, हम खुद को खोने लग जाते हैं और जितना हम खुद को खोने लगते हैं, हम उतने ही अजीब बन जाते हैं और जितना अजीब महसूस करते हैं, हम समाज के विरुद्ध जाते हैं।
असल में, अगर आप खुद को जानते हैं, अगर आप उस खुशी को जानते हैं जो आपके भीतर है, अगर आप उस सुंदरता को जानते हैं, अगर आप समाज के सही हिस्से की तरह काम करना चाहते हैं, तो ये सब चीजें जरूरी हैं और समाज की तरह नहीं जो वह आपको बनाना चाहते हैं। तो मैं यहां समाज के लिए नहीं आया हूं; मैं आपके लिए आया हूं। मैं चाहता हूं कि आप मजबूत बनें। मैं चाहता हूं कि आप समझें कि “इसका क्या मतलब है कि सराहना करें जीवन की, हर पल को जीना।” और यह करने के लिए आपको बनना पड़ेगा या कहूं तो आपको फिर से बनाना पड़ेगा। क्योंकि यही तो है हिस्सा बदलने का। क्योंकि मैं कहता हूं कि आप अपने ही जीवन में, आप जानते हैं कि आप में सारी शक्तियां हैं। आप इन्हें जागृत करना बस भूल गए हैं। और इन्हें जगाना आप भूल गए हैं और हम साथ मिलकर इन्हें वापस जागृत कर सकते हैं और आधार होगा इस सबका करुणा! मैं प्रशिक्षण की और बातें नहीं करना चाहता, पर मैं बताए बिना रह भी नहीं पा रहा हूं।
और हां, बिल्कुल हम इस बारे में बात करेंगे जब प्रशिक्षण शुरू होगा, लेकिन खुद में सब्र रखना कितना जरूरी है, खुद की समझ के साथ, क्योंकि एक लंबा समय लगता है इसमें उस गड्ढे से बाहर आने में जिसमें हम फंसे हुए हैं। यह विकसित होने में समय लगता है फिर विकसित होना उस दृष्टिकोण का और सच्चाई की आंखों से सच्चाई को देखना। तो यह लगता है इसमें। “हर दिन का खुशी के मौके की तरह स्वागत करना,” आपको मौकापरस्त बनना पड़ेगा। आपको सच में समझना है कि यह सब क्या हो रहा है आपको वो बात समझनी है कि आप उस शॉपिंग सेंटर में हैं — जहां पर आपको बहुत सारा समय मिलता है, लेकिन आप वहां से कुछ ले जा नहीं सकते। आप असल में वहां से कुछ बाहर नहीं ले जा सकते। लेकिन आपको यह फैसला लेना ही है आप असल में कोई चीज बाहर नहीं ले जा सकते तो आप समझिए इस बात को कि इस शॉपिंग सेंटर में सबकुछ है जो आप सोच सकते हैं, लेकिन आप बाहर नहीं ले जा सकते और आप क्या ले जा सकते हैं ?
यही तो है वह असल बात और वह ट्रिक है कि आप अपने आप में मजे कर सकते हैं उस शॉपिंग सेंटर में और उस जगह पर। क्योंकि ऐसा है कि जैसे एक लॉटरी लग जाये; आपने लॉटरी जीती है — और इनाम में आपने जीता है कि आप शॉपिंग सेंटर में कुछ दिन बिता सकते हैं और शॉपिंग सेंटर में कमाल की दुकानें हैं पर आप कुछ ले जा नहीं सकते। आपको अनुमति नहीं है और — जब समय अंत होगा, तब आप अपने साथ कुछ नहीं ले जा सकते। तो आप क्या करने वाले हैं ? अब तरीका यह होना चाहिए कि आप रोज ज्यादा से ज्यादा आनंद लें, जितना ज्यादा आप कर सकते हैं। ताकि बाद में जब आप अपने साथ कुछ ले जाएं तो वह हो कृतज्ञता, वह हो वो धन्यवाद देना, वह हैं वो मजे जो आपने किए हैं “वाह यह कमाल का था यहां होना कितना अच्छा था” यह होगा तरीका और इसमें समय लगता है। समय लगता है इसे समझने में क्योंकि अपनी सही क्षमता से भटकने में हमें बहुत समय लगा है।
अब एक और सवाल — और यह है महिलाओं की जेल से वह कहते हैं कि “प्रेम आपने अपनी शांति कैसे खोजी ?”
बिलकुल वैसे ही जैसे आप खोजेंगे अपने भीतर। मेरा मतलब, मुझे शुरू करना था और दोबारा भीतर ध्यान देने में बहुत लंबा समय लगता है और मेरे पिताजी काफी दयालु थे कि उन्होंने मुझे रास्ता दिखाया एक शीशा। जब मेरे पास वह शीशा था तो मैं उसमें अपनी सच्चाई को देख सकता था, मेरी अपनी सच्चाई। तो फिर हां बिल्कुल, कॉमेंट यह है कि “यह मेरी पसंदीदा क्लास है कोशिश करता हूं कि मैं इसे मिस ना करूं। खुशी वह नहीं जो हमारे पास है वह है जिसका एहसास है।” आप समझ गए हैं, यही है बस! “खुशी वह नहीं जो आप में है लेकिन जिसका आपको एहसास है,” क्योंकि खुशी महसूस की जाती है। शांति वह नहीं जो आपके पास है, शांति वह है जो महसूस करते हैं। खुशी वह नहीं जो आपके पास है, खुशी वह है जो आप महसूस करते हैं। प्यार वह नहीं जो आपके पास है, लेकिन वह जिसका आपको एहसास है। स्पष्टता वह नहीं जो आपके पास है, लेकिन वह जो आप महसूस करें। कमाल है! यही तो है; आप समझ गए हैं।
“हम बाहर देखते हैं पूर्ण होने के लिए जबकि हमें भीतर देखना चाहिए।” बिल्कुल सही। यह एक महाविद्यालय से आया है, वयस्क शिक्षा “मैं दुनिया की चिंताओं को खुद से अलग कैसे करूं ?”
क्या आप ही हैं अपनी चिंता ? ये चिंता हैं — यही इसका मुद्दा है — चिंता तो हमेशा ही रहने वाली है। ऐसा नहीं कि, अगर आप अपनी चिंता से दो मिनट के लिए दूर हो जाएं तो वह गायब हो जाएंगी और आपको उन्हें ढूंढना जाना पड़ेगा। जी नहीं, वह आपको ढूंढ ही लेंगी। चिंता खोने की चिंता मत कीजिए। वह तो हमेशा ही रहने वाली है। आपको क्या करना है कि आपको अलग करना सीखना होगा। यह ऐसा है कि जब आपको नींद आती है और तब आप वही हैं। आप चाहे एक बस में बैठे हों और यह बस भरी हुई है; अनजान लोगों से। और हां बिल्कुल, अगर आपने कभी बस देखी है, तो आप जानते हैं इसमें ज्यादा आसानी से सफर नहीं किया जा सकता। यह ज्यादा शांत भी नहीं होती है और हां, गड्ढे आते हैं फिर यह ऊपर जाएगी; फिर नीचे जाएगी और कई बार बस में सीट भी आरामदेह नहीं होती… और अब आई नींद! तो शोर तो है ही यहां पर — सबकुछ आपके विरुद्ध चल रहा है; वहां शोर है; आप अनजान लोगों के बीच में है (यह काफी अच्छा वातावरण नहीं है, मतलब सोने लायक वातावरण बिल्कुल नहीं है।) आप एक छोटी-सी अजीब-सी कुर्सी में बैठे हैं जो आरामदेह नहीं है। सोने लायक नहीं है जी हां, क्योंकि उसके लिए लेटना होता है पर नींद आ जाती है। फिर क्या होता है ?
वो सभी चीजें जो आमतौर पर नींद के लिए अच्छी नहीं होतीं उनके मायने नहीं रखते। और धीरे-धीरे और धीरे-धीरे-धीरे आपकी आंखें भारी होने लग जाती हैं और भारी और भारी और आप सो जाते हैं। यही तो होना है। यही तो है वो, वह जरूरत, जरूरत को समझना (चाहत को नहीं, जरूरत को), अच्छा हो जाता है वह; वह प्यास (और मैं इस “प्यास” की बात करता हूं) प्यास इतनी बढ़ जाती है कि बाकी सभी चीजों को पीछे छोड़ देती है सभी चिंताएं वो सभी, सभी चीजें जो शांति के लिए अच्छी नहीं हैं। यह उनसे आगे बढ़ती हैं। यही तो है इसका अर्थ।
और अब सवाल यह है कि “यह जानना जरूरी है कि दुनिया में क्या हो रहा है पर इतना जरूरी नहीं कि भीतर क्या चल रहा है मैं कैसे इस बात पर ध्यान लगाऊं ?”
दोबारा, यह एक आदत है। क्योंकि एक समय पर आपको फर्क नहीं पड़ता था कि दुनिया में क्या हो रहा है, क्योंकि आप छोटे थे। आपको दुनिया की फिक्र नहीं थी; आपको नहीं पता था कि दुनिया क्या है। आपको सिर्फ अपनी फिक्र थी। अब आपने यह व्यवहार सीख लिया है और मैं ऐसा नहीं कहूँगा कि आपको दुनिया की फिक्र नहीं करनी चाहिए। नहीं, आपको पता होना चाहिए कि दुनिया में क्या चल रहा है। पर साथ ही पता होना चाहिए कि अंदर क्या चल रहा है आपके। यह है, दोबारा। यह वही वापस बदलना है जो हमें करना है अनचेंजिंग।
और अब सवाल है “सुनने में इतना आसान लगता है इस दुनिया में शांति नहीं है हम वापस कैसे जाएं ? क्या यह संभव है ?” जी हां! बिल्कुल, यह संभव है। अगर यह संभव नहीं है तो मैं अपना समय बर्बाद ही कर रहा हूं यहां पर।
और हां, ये थे कुछ सवाल और यह रहे कुछ कॉमेंट्स: “मुझे लगा इस क्लास में दर्शनशास्त्र की बात होगी कि दुनिया में शांति कैसे लानी है लेकिन प्रेम शांति की बात करते हैं जो हमारे भीतर है।” जी हां, “जितना मैं खुद में शांति ढूंढता हूं उतनी ही बाकियों में भी फैल जाती है।” हां, मैं यही तो कहता हूं। यह पहली बात है जिसकी मैंने बात की थी कि “जब समाज आपको एक ढांचे में ढालने का प्रयास करती है… वह जरूरी नहीं क्योंकि जब आप पूर्ण हो जाते हैं तो ज्यादा अच्छा होता है….।
देखिए बात यह है कि जब आप एक लैंप की तरह जलते हैं, मोमबत्ती की तरह जलते हैं। एक जली हुई मोमबत्ती बाकियों को जला सकती है। अगर आप एक बुझी हुई मोमबत्ती को मसल के उस आग के पास ले आएंगे जो बुझी हुई मोमबत्ती है वह किसी को बुझाएगी नहीं — पर इसके विपरीत जली हुई जो है वह बुझी हुई को जला सकती है और यह सबसे ताकतवर नियम है वह है यह बात कि — शांति लाने के लिए जिस पर मैं निर्भर हूं वह है यह दुनिया।
“प्रेम ने कहा कि ‘आपको चाहिए कि बस शांति मिल जाए’ जो कि बहुत गंभीर था आप देखते हैं, देखते हैं लेकिन यह तो आपके भीतर है।” हां आपके भीतर है! “एक गाने के बोल हैं कि ‘वो लोग जिन्हें लोगों की जरूरत है वह खुशकिस्मत हैं।’ प्रेम कहेंगे कि ‘लोग जो खुद को जानते हैं वह सबसे खुशकिस्मत हैं।” जी हां, आपने सही बात समझी।
“पीस एजुकेशन प्रोग्राम ने मुझे हैरान कर दिया है क्योंकि यह वह नहीं जो मैंने इसके बारे में सोचा था। मैं उन दर्शकों को देखता हूं जो पीछे बीते और मैं अचेत था जो प्रेम कहते हैं वह आसान है कि सबकुछ यहीं पर है। यह है भीतर देखने के बारे में और संतुष्टि खोजना सही है।” बिल्कुल सही है, सही है; सही है। आपको मिल गया है। देखिए, कितना आसान है। यह कितना आसान है।
“हमने यह सवाल कभी नहीं पूछे जो प्रेम पूछ रहे हैं। हम शायद अपने बारे में रुचि रखते थे पर फिर जीवन सामने आया। प्रेम मुझे आजाद होना बताते हैं सोचते हुए उनकी बातें मुझे हृदय के पास ले जाती हैं।” उम्मीद है। मुझे सच में उम्मीद है।
यह है दोबारा — यह एक चर्च से है, एक मिशनरी बैपटिस्ट चर्च। “मैं शांति की दुआ करता हूं लिंग भेद के साथ, रंगभेद और बाकी समाज की त्रुटियां मेरे देश में शांति हो!” हम सब चाहते हैं कि एक शांतिपूर्ण जीने का ढंग मिले सच मानिए, हम सब यही चाहते हैं, लेकिन यह अलग नहीं है। यह आपकी मांग जो है यह चाहत नहीं है, यह जरूरत है — और यह बात बहुत जरूरी है।
“क्या आपको लगता है हमारी परवरिश की वजह से बाकियों से हमारा विवाद होता है ?”
ऐसा नहीं है कि परवरिश क्या हुई है पर हमें क्या समझाया जिससे हम विवाद में पड़ जाते हैं और यही उस नियम को समझना पड़ता है हमें और हमें इस समझ को पलटना होगा और इसलिए मैं कहता हूं कि बदलना नहीं लेकिन विपरीत होना यह बहुत शक्तिशाली चीज है विपरीत बदलना “अनचेंज।” और हम अगर प्रशिक्षण लें तो शायद हम यह कर पाएंगे।
एक और सवाल जो था कि “मैं टीनएजर्स की मदद कैसे करूं ?”
उन्हें टीनएजर्स न मानकर उन्हें इंसान मानिए पहले और उनकी मदद कर पाएंगे आप मेरी मानिये। टीनेजर बच्चों जैसा बर्ताव नहीं चाहते हैं वह बस इतनी सी ही बात है याद है जब आप टीनेजर थे ? आप टीनेजर नहीं रहना चाहते थे आप बड़े बनना चाहते थे वयस्क। एक बच्चा जो बड़ा बनने की कोशिश कर रहा है एक टीनेजर जो टीनेजर की तरह नहीं रहना चाहता आप उसके दोस्त बन जाइए और टीनेजर को बच्चा मत मानिए और आप उसके दुश्मन नहीं बनेंगे यह इतना ही आसान है बस, मतलब उसके जैसा ही!
अब यह है मेट्रो रेंट्री फसिलिटी से फर्क पड़ता है कि “मैं क्या मानता हूं और क्या नहीं मानता मेरी स्पष्टता बहुत जरूरी है।” (यह एक भाव है) “मैं बाकियों के साथ अच्छा बर्ताव करके करुणा को बढ़ावा दे सकता हूँ।” बिल्कुल जी हां!
“मेरा 4 साल का बेटा अपने नए दोस्त के बारे में कुछ बता रहा था कि उसे ट्रांसफॉर्मर्स पसंद हैं और हरा रंग अच्छा लगता है। और भी कुछ मैंने पूछा ? उसने कहा कि ‘उसकी खाल हमसे काली है।’ मेरे लिए वह सबसे पहली बात होती पर मेरे बेटे के लिए यह आखरी बात थी।” बिल्कुल! यह अलग रंग होना, अलग ऐसे, अलग वैसे, यह वो अलग भाषा…
जब वह — सच मानिए पर उससे पहले कि आपको बोलना आता था कौन-सी भाषा होती थी ? और आप सबसे बात कैसे करते थे। आप अपनी मां से बात करते थे; आप उन्हें बताते थे कि “आप भूखे हैं।” आप बताते थे कि “कुछ ठीक नहीं है।” तो हां बिल्कुल, यह बहुत-बहुत ताकतवर बातें है, बहुत सुंदर बात है।
“मेरी आंखें खुल गईं” — और यह एक महिलाओं के ट्रैन्ज़िशनल सेंटर से सवाल आया है — “मेरी आंखें खुल गईं जब प्रेम ने कहा कि आपकी क्षमता एक पड़ा हुआ बीज है और मुझे पता था कि हम इसे शांति से बढ़ा सकते हैं। मुझे नहीं पता था कि वह मेरे भीतर है शांति।” और एक और है “मैं खुश हूं सिर्फ अस्तित्व नहीं है। फिर मेरा जीवन बेहतर है।” सच में!
“प्रेम ने बात की जीवन के नृत्य की। कभी-कभी छोटी बातों से भी हम घबरा जाते हैं। मैं अपनी शक्ति से ताकतवर रहना चाहती हूं पर मैं कहूंगी ‘मैंने कर दिखाया।‘”
जी हां, यह भीतर की शक्ति ही तो है जो आप में — आप में वह सब पहले से ही है। आपको उसे बस जागृत करना है। आपको उनको पहचानना है, सीखना है और खुद को जानना यही तो होता है इसका मतलब।
“अगर मैं जानता हूं कि अंदर से मैं क्या हूं फिर खुशी और माफ करना मुझसे दूर नहीं है सबकुछ बदलता है पर मैं तो वही रहता हूं जो मैं हूं।” जी हां! बिल्कुल और खासकर इन परिस्थितियों में यह तो सच है। “अगर मुझे पता है कि मैं अंदर से क्या हूं फिर माफ कर पाना और खुशी मेरे साथ रहेगी सबकुछ बदलेगा ही पर मैं वही रहूंगा जो मैं हूं।” यह सही है!
बाकी चीजें बदलेंगी, लेकिन आप नहीं। और इसलिए ना बदलना अनचेंज इसलिए ना बदलना।
“मैं प्यार के लिए कुछ भी करूंगा मैंने सब जगह देखा बस भीतर नहीं देखा जबतक हमने अपने अंदर देखना शुरु किया हमें नहीं पता कि हम कौन हैं।” जी हां! बिल्कुल! आपने बिल्कुल सही कहा।
“मैं बड़ा हुआ” यह एक और है — “मैं बड़ा हुआ और मेरे साथ बहुत बुरी चीजें हुई मैं भूल नहीं सकता। पर मेरी मर्ज़ी है कि मैं माफ कर दूं।” उन्हें और देखूं कि मैं कौन हूं असल में। मैं हर रोज बढ़ रहा हूं।” चाहे जो भी हो, चाहे जो भी हो जाए! “माफ करना!” “माफ करना” क्या होता है ? सोचिए। “माफ करना यह नहीं कि दूसरे को सही मान लिया जाए या उनको माफ कर दें।” माफ करना होता है उस बंदिश से खुद को मुक्त कर देना ताकि आप आजाद हो जायें ताकि आप आगे बढ़ पायें यह है माफ करना।
“माफ करना बहुत जरूरी है मैं किसी और के लिए नहीं कह रहा; ये मैं आपके अपने लिए कहता हूं।” जी हां; यही तो है माफ करना आप अपने लिए करेंगे ये किसी और के लिए नहीं। तो यह ऐसा नहीं कि “अच्छा मैं दूसरों को अच्छा ही दिखूंगा।” यह बंदिश हटाने के बारे में है ताकि आप आजाद हो पायें अपने मन में।
यह अब ग्रीस से आया है (सोचिए जरा), महिलाओं की जेल है वहां पर। “मैं पीस एजुकेशन प्रोग्राम के बारे में उत्सुक थी और सोच के देखूं। सबसे पहले, मुझे समझ नहीं आया। पर समय के साथ, प्रोग्राम जरूरी-सा लगने लगा और मैं खुद को प्यार करना शुरू करने लगी। और मैंने समझा कि मैं इसकी वजह से दूसरों से अच्छे से बोलती हूं, मैं इज्जत करती हूं सबकी।”
देखिए! मैं यही तो बोल रहा था समझिए कि — सब लोग आपसे क्या चाहते हैं वह आपको बताते हैं कि आपको क्या करना है। लेकिन यह ऐसे काम नहीं करता। क्योंकि अगर आप खुद को नहीं जानते तो यह काम नहीं करेगा। पर जैसे ही आप खुद को जानने लगेंगे, आप संपूर्ण हो जाते हैं, आप पूरे हो जाते हैं, भर जाते हैं। “इसकी वजह से मैं अच्छे से बात करती हूं और लोगों से तमीज से पेश आती हूं मुझे इस कार्यक्रम का सकारात्मक प्रभाव नजर आ रहा है और जो मैंने सीखा वह मेरे लिए हर रोज के जीवन का भाग बन गया है।”
और एक और इंसान कहते हैं “जेल में घुसते हुए अपने सबसे प्रिय परिवारजन को खो देने के बाद मैंने खुद से कहा कि ‘सबकुछ खत्म हो गया है।’ मैंने सोचा, वह क्यों मैं क्यों नहीं ? मेरी खुशी पर एक काला पर्दा पड़ गया था और मैं अपनी आत्मा को उदास देखती थी। मेरे अंदर से आवाज आई कि ‘कुछ करो मेरी बच्ची’ तब मैंने पीस एजुकेशन प्रोग्राम में शामिल होने का फैसला लिया।”
“मैंने एक दिन प्रेम को कहते हुए सुना कि ‘इंसान औसतन 25550 दिन जीते हैं।’ यह है धरती पर हमारा समय। फिर मुझे एहसास हुआ कि मेरे पास समय है। उन्होंने कहा कि चिंताओं से परेशान न हों, जबतक इस स्वांस का तोहफा मुझमें आ रहा है, मुझे आगे बढ़ना ही होगा। तो मैं आगे बढ़ी यह सोचकर कि शांति मेरे भीतर ही है। मैं एक अच्छे कल का सोचती हूं याद रखती हूं कि मेरी सच्चाई यह वर्तमान है।”
अगर आप जान सकते हैं कि — आज आपकी सच्चाई है, कल शानदार होगा आपका, मेरी मानिये। क्योंकि कल जब वह कल आएगा वह आज की तरह आएगा और आप क्या करते हुए व्यस्त होंगे कल को ? जो आज की तरह देखते हुए उस सच्चाई में जो आप में है। यही तरीका है काम करने का।
“मैंने पीस एजुकेशन प्रोग्राम अटेंड किया और इसने मुझे जीवन में कई अच्छी बातें करने को प्रोत्साहित किया। मुझे अपने भीतर ही शांति मिल गई यह छोटा-सा बीज ही सही पर महत्वपूर्ण है। मैंने इसे आलिंगन या प्यार के रूप में अपना लिया है क्योंकि यह मुझे ऐसा ही महसूस करवाता है। इस प्रोग्राम में जो भी सिखाया गया उसने मुझे पूर्ण महसूस करवाया और आशा करती हूं सबको ऐसा ही शांति का भाव मिल पाएगा।”
“प्रेम को सुनकर, अपने भीतर शांति मिली। जब मैंने शांति का बीज का सोचा। इससे मेरे रोज के जीवन पर प्रभाव पड़ा। अब मैं हर रोज उठती हूं और शांति की तलाश है। अब मुझे पता है कि मैं कहां देखना चाहती हूं। देखिए! अब मैं क्या कहूँ ? यही तो तरीका है जीने का। यही तरीका है जीने का।
अब यह नॉर्थ कैरोलीना से सवाल है महिलाओं की जेल से दोबारा। “पीस क्लास से मेरी आंखें खुल गईं हैं। मैंने भीतर के खजाने को और संतुष्टि को समझा है। चाहे जो भी परिस्थिति हो। धन्यवाद।”
एक और है सवाल “बस प्रेम को सुनकर ही मुझे शांति का एहसास होता है। धन्यवाद।” और मैंने पीस एजुकेशन प्रोग्राम से सीखा मेरे भीतर शांति है और अपनी किस्मत बनाने की ताकत भी।” जी हां।
“पीस क्लास में आना मेरे दिन का सबसे अच्छा समय होता है; यह कमाल है। इस वक्त जब हमारी फसिलिटी बाहर की दुनिया से लॉकडाउन में है इस बात का पता चल रहा है कि आपकी सेवाएं महिलाओं के लिए इस जेल में कितनी अहम है। ये प्रोग्राम क्लासेज़ जो आप देते हैं मैं उन्हें मिस कर रही हूँ मुझे याद आ रहा है।” इस करेक्शनल प्रोग्राम सुपरवाइजर की ओर से यह बात थी।
तो मैंने सोचा क्यों ना उस वर्तमान की बात आपसे की जाए, क्योंकि यह भाव आते हैं और हमें इन्हें साझा करने का मौका नहीं मिलता तो मैंने सोचा “आज कुछ पल निकालकर आपके साथ साझा करूं ये बातें।” तो ये लोग वह हैं, एक तरह से, जो लॉकडाउन में ही रहे हैं, लॉकडाउन में ये हैं। और शायद, बहुत जल्द यह कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा और हम बाहर जा पाएंगे और हम घूम पाएंगे — पर ये लोग लॉकडाउन में ही रहेंगे जेल में और इनके लिए शांति महसूस करना कितना जरूरी है।
तो उम्मीद है आप शांति महसूस करेंगे। उम्मीद है आप ठीक रहेंगे। तो अच्छे रहें; सुरक्षित रहें आप सभी लोग! धन्यवाद!