लॉकडाउन — सत्रहवां दिन

प्रेम रावत के साथ (हिंदी में अनुवादित)
Apr 06, 2020
“अपने जीवन के महत्व को समझें और अपने दिमाग में होने वाले उस भयकंर शोर को भी समझें!” — प्रेम रावत जी / प्रेम रावत जी "पीस एजुकेशन प्रोग्राम" की वीडियो श्रृंखला को प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरान आपके लिए उनके पूर्व प्रकाशित अंग्रेजी लॉकडाउन वीडियो जो हिंदी में अनुवादित है, प्रस्तुत हैं।

प्रेम रावत:

हेलो नमस्कार सभी को! उम्मीद है आप ठीक हैं।

और जिस बारे में आज मैं बात करना चाहता हूं वह बहुत ही आसान है। क्योंकि यह शब्द है “सादगी” — कभी-कभी हम भूल जाते हैं कि सादगी होने का क्या मतलब है, इन स्थितियों में जब कोरोना वायरस में सब लोग अलग-अलग हैं, यह शब्द सही लग रहा है — क्योंकि वो लोग जो सच में इस शब्द के अर्थ को समझते हैं यानि “सादगी” वह इस स्थिति में ढल सकते हैं आसानी से। तो “सादगी” क्या है ? सादगी है यह स्वांस जो आप में आ रही है, बिना किसी मेहनत के जब आपको सोचना नहीं पड़ रहा — और यह आपको जीवन का तोहफा लाती है। कितना आसान है कि आप अपनी आंखों से देख सकते हैं यह नीला आसमान, यह बादल और आप संतुष्ट हो सकते हैं।

सादगी है अपने जीवन को देखना और समझना कि आपका अस्तित्व है, आप हैं — और यह कितना गहरा है, यह कितना सुंदर है; यह साधारण है। सादगी है, आपके हृदय में प्यार है और यह कि इस हृदय से आप प्यार कर सकते हैं और आपके पास प्यार का तोहफा है, सबके लिए — कोई भी जो प्यार को जगा सके आपके अंदर। आप प्यार दे सकते हैं उसे। अस्तित्व इतना आसान है। जीवन इतना आसान है, जीवित होना इतना आसान है और गहराई का तज़ुर्बा है इस सबके बीच में भी, यही तो है सादगी।

कल रात मैं सोने की कोशिश कर रहा था — और एक तूफान आया और हवा चल रही थी। आप बारिश को सुन सकते थे और हमें तूफान पसंद नहीं है; क्योंकि तूफान का दूसरा नाम कुछ अच्छा नहीं है। लेकिन तूफान क्या है ? हवा चलती है — अब हमें हवा पसंद है; पर बहुत ज्यादा नहीं। जब हवा हमारे बाल खराब करती है और हमें, और चीजों को, और इधर-उधर फेंक देती है। हम ड्राइव नहीं कर पाते हैं; हम उड़ान नहीं भर पाते हैं प्लेन में। चीजें कुछ खराब हो जाती हैं। बारिश आती है, हमें बारिश नहीं पसंद। हमें गीला होना पसंद नहीं। हमें गीला होना क्यों नहीं पसंद ? अब जब आप देखेंगे कि भाप बनती है — जब हम गीले होते हैं तो भाप बनती है और हमें ठंड लगती है। हमें ठंडा होना पसंद नहीं। हमारा तापमान बहुत जल्दी बदलता है। फिर हवा तेज हो सकती है, ठंड हो सकती है, बारिश आ सकती है, बर्फ पड़ सकती है। तूफान आ सकता है और फिर भी आप क्या कर सकते हैं जब एक तूफान आता है ?

इसलिए मैं यह सोच रहा था। तो मैं यहां हूं जैसे कि “अब मैं क्या करूं; कोई क्या करे जब तूफान आए ?” और एक तरह से तूफान आपके नियंत्रण में नहीं है, यह आपके नियंत्रण में नहीं हो सकता। लेकिन आप इस तूफान में क्या करेंगे ? आप कैसे प्रतिक्रिया देते हैं ? यह आपके नियंत्रण में है। आप इसके बारे में कुछ कर सकते हैं। यह छोटी-सी बात, यह छोटा-सा रास्ता जो आपके पास है विश्व में काफी फर्क़ ला सकता है। यह छोटा-सा सुनाई दे सकता है। यह कम जरूरी लग सकता है — पर यह सबसे जरूरी है। "मेरा तूफान पर नियंत्रण नहीं, लेकिन मैं कैसे…?"

और आप जानते हैं, मैं बिस्तर में पड़ा हुआ था — और बहुत आराम से था और हालांकि बाहर कुछ तूफान तो है, पर मैं ठीक से था, क्योंकि मैं तो वहीं था। बिल्कुल इसी तरह जब हमारे कानों के बीच में तूफान आता है एक जगह ढूंढने के लिए, हृदय में शांति प्राप्त करने के लिए और आराम से बैठें, शांति से और फिर अचानक से ही… हालांकि तूफान तो है आपने एक गहरी जगह ढूंढ ली है जो आपके भीतर इतनी सुंदर है। और उस जगह में, हृदय की उस जगह में आपको आराम मिल सकता है। आनंद ले सकते हैं आप और तूफान को सुन और देख सकते हैं। और जब तूफान चला जाएगा, सूरज फिर से आएगा। यह बात समझनी इतनी जरूरी है कि "जी हां, जीवन में तूफान आते हैं, स्थितियां बदलती हैं, पर उस स्थिति के सामने झुकना नहीं है।" हमें तब भी याद रखना होगा कि यह जानना कितना जरूरी है कि हम इस मौके को समझें कि यह मौका क्या है ? मेरा मतलब यह मौका क्या है ? सच में, क्या आप जानते हैं ? मैं सोच रहा था जैसे कि “क्या इसमें कुछ भी अच्छा है ?”

क्योंकि मेरे बहुत सारे प्लांस थे। मैंने इतनी जगहों पर जाना था, कई लोगों से मिलना था और मुझे इवेंट्स की याद आ रही थी, जहां पर सब दिखते हैं। मुझे लोगों की आंखों में देखना पसंद है और उनके सामने सीधे-सीधे बात करना पसंद है। मेरा मतलब, यह ठीक है — मतलब कि मेरे सामने दो काली चीजें हैं मैं इसे देख रहा हूं और इनमें कोई भी भाव बिल्कुल भी नहीं हैं। यह मेरी कही हुई कोई भी बात नहीं मानते। मेरी किसी बात को ना ही मना करते हैं, ना ही मेरी कोई बात मानते हैं। यह बस यहां पर हैं — यह दो काले गड्ढे जो कि कैमरा के लेंसेज हैं। मेरा मतलब, मैं कल्पना ही कर सकता हूं कि सब देख रहे हैं, सुन रहे हैं, कोई उनके लिविंग रूम में है, कोई कहीं और देख रहा है, कुछ, कुछ, कुछ ऐसा ही। लेकिन यह मौका क्या है — और मेरा मतलब यह बुरी स्थिति है दुनिया के नेता झूठ बोल रहे हैं। सभी नेता कोशिश में हैं और अचानक से ही कि उनकी कुर्सी किसी तरह बच जाए और अगर यह कहानी बुरी होती है, दुर्घटना होती है तो वह कह देंगे कि यह आने ही वाला तो था। वह पूरी दुनिया की तैयारी में मदद नहीं कर रहे हैं। और पूरी दुनिया के पास तैयारियों का वक्त तो था, काफी वक्त था तैयारियों का, लेकिन गलतियां हुई हैं। सच मानिए हम इसके बीच में हैं, लेकिन बाद में मुझे उम्मीद है कि लोग इससे कम से कम कुछ सीख ही पाएंगे।

क्योंकि मैं हाल ही में एक दिन एक डॉक्यूमेंट्री सुन रहा था। वह स्पेनिश फ्लू के बारे में थी — और वह काफी समय पहले हुआ था। उस स्पेनिश फ्लू और आज की बीमारी में इतनी सारी बातें मिलती-जुलती हैं क्या बताऊं आपको। और लोगों ने इज्जत नहीं की — दुनिया भर के नेताओं ने जो भी कहा उसकी बेइज़्ज़ती की गयी। जैसे कि कुछ नहीं सीखा हो और जो भी आप देखते हैं कि आज जो हो रहा है उसकी तुलना में स्पेनिश फ्लू के समय हुआ था, ऐसे ही मानिए कि एक भी बात नहीं सीखी गई है, कुछ नहीं सीखा हमने। और इतनी सारी सूचना तकनीकी के साथ भी और जो भी उपलब्ध है मेरा मतलब, यह इतनी बुरी स्थिति बना दी गई है, क्योंकि मेरे लिए एक मृत्यु, एक मृत्यु ही इस सबको होने से बचा सकती थी — बस एक ही काफी थी। तो इस बहुत ही बुरी, भयावह समय और स्थिति में क्या कुछ अच्छा है ? क्या कुछ ठीक है ?

मैं देखता हूं एक चीज अच्छी है कि आप खुद के करीब जा सकते हैं। अपने अस्तित्व को समझना। समझना कि आप असल में क्या हैं, आपके भीतर क्या है — इस जीवन की अहमियत को समझना और समझना और सराहना करना कि कानों के बीच का शोर कितना ताकतवर है। और जब मैं उस शोर की बात करता हूं, कई लोग कहते हैं कि "ओके, हां, हां, मुझे भी लगता है!” लेकिन अब ऐसा है कि शायद यह कई गुना बढ़ गया है, बहुत-बहुत-बहुत ज्यादा। यह शोर कितना ज्यादा हो गया है, यह आता है इतनी तेज और चुभता है दिन और रात, दिन और रात, दिन और रात और यह यही है! कितना ताकतवर है यह है ना ? पता है ना आपको ?

वो लोग हैं जो “अध्यात्म” में चले जाते हैं, वो अध्यात्म को समझने लगते हैं। कहते हैं जैसे कि "सब के लिए इस तरफ का सफर करना अच्छा है, हमें यह करना है, हमें वो करना है…" और लोग सबकुछ देख रहे हैं। लेकिन अब इस जगह आपके पास एक शोर है जो आपको परेशान कर रहा है और बस सोचिये इसके बारे में हर समय यह सुनाई देती जा रही है। और कभी-कभी आप नहीं सुनते क्योंकि आप भ्रमित हैं। लेकिन वह तब भी है और आप बस बैठकर यह शोर सुनते नहीं रहते, क्योंकि आप इससे भ्रमित हैं। आप इसकी वजह से भ्रमित हैं। कभी-कभी मुझे लगता है कि लोगों को भ्रमित होना पसंद है और उन्हें यह शोर सुनना ना पड़े, इससे वो बचने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन यह शोर चलता जाता है। पर अब इसकी वॉल्यूम, इसकी ध्वनि बहुत ज्यादा है, पर आपको अब असंभव करके दिखाना है जो कि है "आपको खुद के साथ जीना है।" मुझे पता है ऐसे कई लोग हैं जो ऐसा नहीं कर सकते, वो इसे झेल नहीं सकते — वो खुद को झेल नहीं सकते। क्या यह दुखद बात है ? हूँ, मुझे तो लगता है हां यह काफी दुखद है। अगर आप खुद के साथ नहीं रह सकते, अपने खुद के साथ, अगर आप खुद के साथ खुश नहीं हैं तो फिर किसके साथ आप खुश रह पाएंगे कभी भी ?

काफी समय पहले मुझे यकीन है यह काफी अलग रहा होगा कि आप हर रोज जाते हैं और पूरा-पूरा दिन आप बैरीज़ इकट्ठी करते हैं और आप इन्हें खोजते हैं या आपको जो भी मिल जाए वो। आप हंटर गैदरर हैं, हम यही लोग तो थे उस वक्त पुराने जमाने में और आप इकट्ठा करके खाते हैं। फिर शाम को आप सो जाते हैं, आप नींद लेते हैं और उम्मीद होती है कि रात को कोई जानवर आकर आपको खा ना जाए। पर आप नींद लेते हैं फिर सुबह उठते हैं और फिर वही सब करते हैं और मुझे यकीन है कि लोग इससे तंग आ चुके होंगे कि "काश हमारे पास कोई एक जगह होती जहां जाकर खाना मिल जाता।" उस समय से हमने एक प्रणाली विकसित की है और जो प्रणाली हमने विकसित किया है यह बात कि आपको ऐसा करने में पूरा दिन लगाना पड़ता है यह बदला नहीं है। क्योंकि अब आप बैरीज़ या खाना इकट्ठा करने नहीं जाते। अब आप काम करते हैं ताकि आप खाना खरीद सकें, यही तो है बदलाव जो हम लेकर आए हैं। पहले हम लोग तो बस किसी को पैसे नहीं देते थे, हम पैसे कमाने की कोशिश में नहीं थे। हमें पैसे की जरूरत नहीं थी, क्योंकि गुफाएं मुफ्त थीं और हमें बस क्या करना था कि हमें बाहर जाना था, पूरा-पूरा दिन और जो भी मिले फल मिले, बैरी मिले वापस लाना था और उसे खाना था — और बस इतना ही था।

एक बड़ी समस्या जो मैंने सोची उन दिनों में रही होगी कि "आपको रोज खाना मिलेगा या नहीं ?" तो कुछ दिन ऐसे भी थे जब खाना नहीं मिलता था और आप भूखे ही रहते थे। एक तरह से अब हमने एक समाज बनाया है जहां हम व्रत रखकर खुश होते हैं। तो यह वही बात है — लेकिन तब यह अपने आप होता था क्योंकि आपको कुछ खाना नहीं मिलता था और आपको चलते रहना था और अब आप जान-बूझकर यह करते हैं। आप कहते हैं ताकि, जानते हैं, जिस भी वजह से। और आप यह रहे, आप पूरा दिन काम करते हैं पुराने दिनों की तरह आप सुबह से उठकर बाहर जाते हैं, काम करते हैं, पैसा कमाते हैं ताकि आप खाना खरीद सकें — आप खाना खरीद सकें इसलिए। इस प्रणाली में सुनिश्चित करते हैं कि खाना हमेशा हमें मिलता ही रहे। हमने कुछ ज्यादा ही खाना बना लिया है मतलब कि, कितनी ज्यादा मात्रा में खाना उगाते हैं हम कि वह बर्बाद जाता है अब। हम खा नहीं पाते उसे और जब आप देखें इतने जानवर जिन्हें मारने के लिए ही पाला जाता है यह बात तो समझ से बिल्कुल बाहर है।

जब आप इस सब को देखते हैं हमने एक प्रणाली बनाई है, लेकिन अब समस्या यह है कि हम इससे जूझ नहीं पा रहे हैं। यह अब भी समस्या हमारे सामने ही मौजूद है। हमारे पास ज्यादा खाना है, हमें खाना ढूंढना नहीं है। लेकिन अब भी बाकी काम तो हैं ही, जिसका काम है “पैसा कमाना।” आपको पैसा बनाना है, पैसा बनाइए और उसमें पूरा दिन लगता है और फिर उस पैसे से हम खाना खरीदते हैं। देखिए, मैं वह नहीं जो फैसला दे कि यह सब अच्छा है या नहीं है ? आप इसका फैसला ले सकते हैं। पर मुझे यह किसी तरह आसान-सा नहीं लगता है। मैं बात कर रहा हूं सादगी की, मैं बात कर रहा हूं आपके भीतर के सीधे-साधे अस्तित्व के नियम की, जो बेहद आसान-सा है, बहुत आसान। वो जरूरतें जो आपकी हैं — चाहतें नहीं जरूरतें, जो आपकी हैं। हवा, जल — एक बड़ी-सी प्रणाली, जिसे खारे पानी को लेकर मीठा पानी बनाया जाता है, साफ पानी। उस पानी को उपलब्ध करवाना, सभी नदियों की प्रणाली, सभी झरने, दुनिया की सभी प्रणालियां। हवा… यहां है; वहां है, सब जगह है।

सादा, सच्चा, प्यारा, यह है जीवन। आसान-सी बातें, आसान, आसान, आसान चीजें स्पष्टता के लिए, समझ के लिए, आगे बढ़ने के लिए, खुश रहने के लिए, हर रोज का आनंद लेने के लिए। और एक दिन तो सब खत्म होना है, सर्कस उठ जाएगा, सब खत्म होगा। लेकिन उस दिन तक हर रोज आनंद, आनंद, आनंद, यहां से नहीं — लेकिन इधर से सबसे अच्छा, सबसे सुन्दर तरीका।

तो आप ठीक रहें; सुरक्षित रहें और आपसे फिर बात होगी। धन्यवाद!

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