प्रेम रावत:
सबको नमस्कार! उम्मीद है आप सुरक्षित हैं।
तो आज मैं आपसे बस इस मौके के बारे में बात करना चाहता हूं — एक मौका होने का खुश रहना और आनंद लेने का मौका, सादा रहना यह समझना कि वो रिश्ता, उन दो दीवारों के बीच आपका खुद से ही है। आपके बारे में है — आपका अस्तित्व है यहां होने के बारे में। यह कोरोना वायरस के बारे में नहीं; यह इस दुनिया के बारे में नहीं; यह विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में नहीं; यह इसके बारे में नहीं है। मैं यह इसलिए बोल रहा हूं वो सभी बातें जिनसे हम परेशान रहते ही हैं वह इंसानों ने ही बनाई हैं। यह अर्थव्यवस्था, ये सभी चीजें यह सब इंसानों ने बनाई हैं। किसी ने सोची हैं ये चीजें — "हमें ऐसा करना चाहिए, हमें वैसा करना चाहिए, हमें ऐसा करना होता है।"
यहां नीतियां हैं; “यहां ये है, वो है और वो हुआ और ऐसे हुआ। बैंक इसे नियंत्रित करता है कुछ लोगों को समूह बनाने में और उसे नियंत्रित करने में अच्छा लगता है।” आप कठपुतली जैसा महसूस करते होंगे ? आप कठपुतली नहीं बनना चाहते, लेकिन हम सब यही तो हैं इसलिए आपको आजादी चाहिए और जब यह शब्द लिखा है "आजादी," यह मजबूत भावना जुड़ी होती है इससे, "हां, हां मैं आजाद होना चाहता हूं।"
पर कभी आपने खुद से पूछा कि "यह क्या है जो आपको बांधता है ? आपको आजादी क्यों चाहिए आप क्यों महसूस करना चाहते हैं ? आपको बंदिश क्यों लगती है ?” और इसकी वजह शायद यह है कि वह सारी बाहरी चीजें जो आपको पकड़ के रखती हैं वह बाहर हैं अपनी असलियत समझने से। आपका यह जीवन है — यह आपका अस्तित्व है और ज्यादातर समय में हमें इसके बारे में कम ही पता होता है। हमने इसे खोजा नहीं है। हमने इसे ढंग से देखा नहीं है, “इसका क्या मतलब है; जीवित होने का क्या मतलब है; अस्तित्व में होने का क्या मतलब है; होने का क्या मतलब है ? इसके होने का क्या मतलब ?” यह मौका होना — या यह पिछले जन्मों में किए कार्यों का परिणाम है और ये और वो और ऐसे लोगों की बिल्कुल कमी नहीं जो मुश्किल बढ़ाते हैं।
जी, आप नहीं जानते कि इस दुनिया में लोगों ने ही धरती पर अस्तित्व कितना जटिल बना दिया है। "ओह आप यहां इसलिए हैं, क्योंकि आपने पिछले जीवन में कुछ किया था। आपने ये किया था, आपने वो किया था" और बस ऐसी ही बातें और वह लोग जो आपको यह सब बताते हैं उन्हें भी यह नहीं पता कि इसका क्या मतलब है। क्यों ? क्योंकि यह एक किताब में है। वो नहीं कहते इस बात को, यह मानने के बारे में है — मानना, मानना, मानना, मानना। हम सब मानकर बहुत खुश हैं। हमारी परेशानियों को हम मान लेते हैं। हम दिक्कतों को बस मान लेते हैं। हम मानते हैं कि रचने वाला कौन है वह। हम मान लेते हैं कि यहां तक हम कैसे आए हैं। हम बस मान लेते हैं कि ये सब, ये सारी बातें। मैं चुनौती देता हूं उन लोगों को! आप क्या जान सकते हैं ? जानते हैं समझने के लिए खुद की जानकारी होने के लिए और यही तो है वह सबसे जरूरी बात — जीवित होने का असली मतलब समझना — और वह भी इस समय में।
तो क्या हुआ ? अब आपने कोई खबर सुनी यह शायद दिसंबर 2019 में थी "हां, ओह! कुछ लोग चाइना में बीमार हो गए हैं।" "वाह अच्छा! उम्मीद है कि जल्द ठीक हो जाएंगे!" हूँ, तो अब वह जल्दी से अच्छे हो जाएँ या ना हों पर वो सभी जानने लग गये, लोगों को समझ में आ गया कि कुछ ठीक नहीं है। और आपने देखा जब मैंने कहा कि “यह सब लोगों का ही किया धरा है।” हम इंसान ही यह करते हैं तो अचानक से ही एयरलाइंस हैं, जो राजी खुशी लोगों को ले जा रही हैं, जहां भी वो जाना चाहें और बिना लोगों को यह बात पता चले कि वायरस भी साथ में जा रहा है और अगली बात क्या हुई ? पूरी दुनिया में यह फैल गया…. तो अब जिसने भी अप्रतिबंधित सफर करने के बारे में सोचा था उनकी मंशा बुरी नहीं थी। वह थी कि "हां यह तो बहुत ही अच्छा होगा लोग जहां भी जाना चाहेंगे वो जा पाएं।"
एक समय था जब ऐसा नहीं था। जब मैं 70 के दशक में सफर करता था, शायद 70 या 71 उस समय में ऐसा बिल्कुल नहीं था। यह आज के समय के सफर जैसा नहीं था। लोग तैयार होते थे यह एक खास मौके की तरह होता था और आपके पास बहुत सारा पैसा होना चाहिए था एक एयरप्लेन में बैठने के लिए और फिर यह कार्टर प्रशासन के समय हुआ कि सबकुछ आसान बना दिया गया। उससे पहले बड़ी एयरलाइंस ने सब बंद किया हुआ था और फिर यह प्रतिबंध हट गए और नई एयरलाइंस भी आ गई थीं और वो सभी कंपनियां आ पायीं जो इस काम को करना चाहती थीं और लोगों को यहां-वहां ले जाना चाहते थे और फिर गुणवत्ता, हां बिल्कुल, चली गई। लेकिन हां, काफी लोगों ने उड़ान भरनी शुरू की और फिर अगली बात क्या हुई ? कुछ कोरोना वायरस जैसा जी हां, सफर, सफर, सफर और इसके जैसा ही कुछ और भी था "स्पेनिश फ्लू" — वह भी लोगों के सफर करने से ही हुआ था। उसमें भी यात्राएं की गई थीं और उन यात्राओं की वजह से बीमारी ज्यादा फैली थी। तो जो भी, इस बात के अलावा जो भी हो रहा है…. यह इंसानों ने अपने आप ही बनाया है, यह मुद्दा — और यह इंसान ही हैं जिन्हें इससे निकलने का रास्ता निकालना पड़ेगा। और ऐसे भी लोग हैं, यकीन है कि "जैसे ओह! यह तो, लेकिन ये मुश्किल है और वो मुश्किल है और ये ऐसे हुआ और वो वैसे हुआ।" इसका इन सबसे कोई लेना-देना नहीं है।
कभी मत भूलिए कि आपका इन दो दीवारों के बीच काम क्या है। कृपया इन बातों से भ्रमित ना हों यह चला जाएगा। आपको क्या करना है यह एक आसान-सी बात है: “दूरी बनाइए, बीमारी ना लें और ना ही दें, अपने हाथ धोएं, दूरी बनाइए” — बस इतना ही। वो काम कर रहे हैं दवाइयों पर — उन्हें बनाने पर। वो दवाई बना लेंगे, बिल्कुल सही चीजें जो भी… और फिर आप अपना काम कर सकते हैं या वह जो भी था जिस पर आप लौटना चाह रहे थे, (जो मैं तो बिल्कुल सोच नहीं सकता कि वह क्या है ऐसा) शायद आपस में लड़ाई करना ? और सभी अजीब चीजें हम यही तो कर रहे थे। पर जरा सुनिए, हम यही तो पहले कर रहे थे आप अखबार उठाकर यह देख सकते हैं जो चीजें हम कर रहे थे और अब हमारे सामने कोरोना वायरस आ गया है जिसमें आपका पूरा ध्यान लगा हुआ है और जब यह खत्म हो जाएगा मुझे यकीन है कि हम उसी पागलपन की ओर वापस लौट जाएंगे। पर हम यहां इसके लिए नहीं आए हैं ना ही कोरोना वायरस के लिए ना ही उस पागलपन के लिए, जो यहां पर हर रोज होता है। हम किसी और चीज के लिए यहां पर आए हैं। आप यहां पूर्ण होने आए हैं।
कई बार की तरह मैं उदाहरण देता हूं जैसे कि आपने एक टिकट खरीदा और आप जीत गए और वह टिकट है बस कुछ ही दिनों के लिए। आप एक कमाल के शॉपिंग सेंटर में रहने वाले हैं और उस शॉपिंग सेंटर में कई तरह की दुकानें हैं, सबसे बेहतरीन दुकानें हैं वहां पर और आप ले सकते हैं — आप किसी भी दुकान में जाकर कुछ भी ले सकते हैं। बस एक ही शर्त है और वह एक शर्त है आप अपने साथ उस जगह से कुछ नहीं ले जा सकते। तो आपकी कार्यनीति क्या होगी ? मुझे पता है मेरी कार्यनीति क्या होगी मैं उस जगह में होने का आनंद लेने वाला हूं। मैं शायद अपने साथ कुछ भी ना ले पाऊं, लेकिन एक चीज है जो मैं वहां से ले जा सकता हूं — और वह मुझे पता है — वह है मेरा 'आनंद।' तो यह है मेरी नीति; मेरी नीति है कि यहां पर मैं हर पल आनंद लूँ और अब परिस्थिति होती हैं, यह तो होंगी ही और लोग सोचते हैं स्थितियां अलग-अलग होती हैं, बातें होती हैं "यह मत करो, वह मत करो, मैं नहीं चाहता आप ये करें, मैं नहीं चाहता वो करें।" और मैं कहता हूं “क्यों ? क्या बात है? आपकी परेशानी क्या है ?” लेकिन फिर आप समझते हैं जैसे कि "देखिए अच्छा है, आने दीजिए!” यह जानना जरूरी है कि — मैं परिस्थिति नहीं संभाल सकता लेकिन अपनी प्रतिक्रिया संभाल सकता हूं अपने ही लिए, किसी और के लिए नहीं, अपने ही लिए। यह एक बहुत बड़ा हिस्सा है उस प्रशिक्षण का जो मैं आपके लिए लाने वाला हूं।
“आपके नियंत्रण में क्या है ?” आप स्थिति नहीं संभाल सकते, बिल्कुल आप परिस्थिति संभालना चाहते हैं लेकिन आप हर समय स्थिति को नियंत्रण में नहीं रख सकते। लेकिन आपके बस में एक चीज है और वह है आपकी प्रतिक्रिया, आपका रिएक्शन, आपकी प्रतिक्रिया। अगर आप उसे नियंत्रित कर पायें अपने खुद के लिए, किसी और के लिए नहीं तो वह सबकुछ आपको ही लाभ देगा। अगर आप खुद से करुणा नहीं दिखा सकते; आप दूसरों को करुणा नहीं दिखा पाएंगे। अगर आप खुद को नहीं समझ सकते, तो आप दूसरों को नहीं समझ पाएंगे। अगर आप स्वयं पूर्ण नहीं हैं तो आप दूसरों को पूर्ण नहीं कर सकते। अगर आप खुद से प्यार नहीं करते तो दूसरों से नहीं कर पाएंगे। अगर आप स्पष्ट नहीं हैं तो आप दूसरों को स्पष्टता नहीं दिखा सकते। सबसे पहले यह आपके लिए होना चाहिए। अगर यह आपके लिए हो पाया तब आप पर निर्भर है आप इससे क्या करना चाहते हैं। यह आप पर निर्भर है कि आप इसे कैसे चाहते हैं। यह आप पर है कि “आप इसका क्या करते हैं ?” क्योंकि आप अभी जागे हुए हैं और वह सुंदरता, वह सुन्दर ताकत जो आपके भीतर ही है। वह सब आप में है वह सबकुछ आपके भीतर है। क्या हम उदास नहीं होंगे कभी ? हां बिल्कुल, हम उदास होंगे।
किसी ने मुझसे एक सवाल पूछा कि मैं इसके बारे में सोच रहा हूं — “मेरे दादाजी हैं और मैं उनसे मिलने जा नहीं सकता, उन्हें अलविदा नहीं कह सकता, मैं उनका ख्याल नहीं कर सकता तो मैं क्या करूं ?" जब मैंने यह चिट्ठी पढ़ी पता है बिल्कुल, मैं भी उदास हो गया। यह अच्छा नहीं है यह उदासीन करने वाला है। अब इस वायरस के बाद क्या होने वाला है मेरा मतलब यह तो अभी शुरू ही हुआ है सोच सकते हैं उन सभी गरीब लोगों का — गरीब ही हैं जिनका हमेशा सबसे ज्यादा नुकसान होता है — सबसे ज्यादा नुकसान। मेरा मतलब यहां आमतौर पर सबका एक घर होता है, एक जगह जिसमें आप अच्छी-पक्की दीवारों के बीच सोते हैं, रहते हैं। क्या आप सोच सकते हैं कितने लोग ऐसे हैं जो छोटे-छोटे टीन के मकानों में रहते हैं ? हर वक्त बस यही, वो टीन के मकान ? सोचिए जरा और अब तो गर्मियां आ गयी हैं। मेरा मतलब, कैलिफोर्निया में बाहर अब भी ठीक है, परेशानी नहीं है। लेकिन इंडिया जैसी जगहों में जैसे कि अफ्रीका मतलब कि उत्तरी भाग में गर्मियां हैं। हे भगवान, और बात यह है कि आप अलग कैसे रहते हैं ? कहां बनाएंगे दूरियों को ?
तो इसके बारे में मैंने सोचा ये सभी चीजें — फिर भी मैंने उस इंसान से क्या कहा अंत में, “जिनके दादाजी हैं…” जैसे कि "आप प्यार कर सकते हैं। आप उन्हें प्यार कर सकते हैं।” प्यार ही वह चीज है जो दीवार को नहीं देखता। जो दरवाजे नहीं देखता, जो समय नहीं देखता। वह परिस्थिति नहीं देखता, जो अमीरी-गरीबी नहीं देखता। जो अर्थव्यवस्था नहीं देखता। जो कुछ भी नहीं देखता। प्यार बस है और यह सबसे ताकतवर चीजों में से एक है आपका प्यार ? आपका प्यार ? हे भगवान, यह सबसे ताकतवर चीज है जो है मौजूद हमारे पास। यह किसी को मुंह पर चोट पहुंचाने से भी ज्यादा ताकतवर बात है। प्यार! प्यार ऐसी ही एक चीज है कि जब एक इंसान इसे महसूस करे वह भूलेंगे नहीं। अगर आप किसी को दर्द देते हैं वह शायद ठीक होने के बाद वह सबकुछ भूल जायें, बेहतर हो जायें। लेकिन प्यार उन्हें भूलने नहीं देगा जो आप उनके लिए अच्छा करते हैं, प्यार से करते हैं। वह आपके भीतर है आपको बस इस्तेमाल नहीं करना आता, आपको खोजना नहीं आता। क्यों ? आप हमेशा उन छोटे पोस्ट कार्ड्स के बारे में सोचते रहते हैं जो यह प्रिंटर छापता रहता है हमेशा। प्यार के बारे में क्या सोचा है ? आपका दृष्टिकोण उस अच्छे इंसान के बारे में जिसे आप प्यार देना चाहते हैं। यही तो होता है हर बार यह पिक्चर्स जितना मैं इनके बारे में सोचता हूं कि यह कितनी बुरी हैं ? हर एक बार यह लोगों को बदलती हैं, मेरी काबिलियत, वह संभावना कि मैं इन दो दीवारों के बीच में क्यों हूं यहां पर ? जो समय मेरे पास है.. और वह इस प्रिंटर की वजह से सोच में पड़ जाते हैं जो और ज्यादा और ज्यादा और ज्यादा प्रिंट करता रहता है और मैं उन प्रिंट्स को देख कर कहता हूं कि "यह कितना अच्छा है।"
मेरे लिए तो यह अच्छा सफर रहा है। मेरा मतलब मैं स्पेन से बाहर आया — और लॉकडाउन शुरू नहीं हुआ था उस वक्त। वहां बस बातें ही चल रही थी और मैं निकल आया और फिर ब्राजील आ गया मैं। और उस समय में जब मैं ब्राजील आया था दक्षिण अमेरिका जाना ठीक था, अर्जेंटीना जाना भी ठीक था, मोंटेवीडियो जाना सुरक्षित था। पर मैं वहां कुछ दिनों तक रहने वाला था, शायद तीन दिन रहता और फिर उन्होंने कहा "नहीं, नहीं कोई अर्जेंटीना नहीं आएगा। मैंने फैसला लिया कि "अब हम सम्मेलन नहीं करेंगे। क्योंकि हम लोगों को एक साथ नहीं बुलाना चाहते यह समय गलत होगा।" तो मैंने कहा "नहीं मैं यह नहीं करूंगा" और फिर जब मैं निकला ब्राजील से अगले ही दिन खबर आई कि वहां लॉकडाउन होने वाला है, वो भी बंद कर रहे हैं।
मैंने देखा कि मैं कहां हूं और लोग इतने गरीब हैं, दूर रहना ही काफी नहीं है उनके लिए। वह तो बस और इसमें बस — उन्हें तो दूर रहना भी नहीं आता। पर गरीब लोग यही तो करते हैं वह साथ में मिलते हैं, चाय की दुकान पर जाते हैं, वह कॉफी की दुकान पर जाते हैं, वह कहीं और जाते हैं, वह मिलते हैं और यहीं पर वो लोग आपस में मिलकर बातें करते हैं, खबरें सुनते हैं और यही तो सबकुछ होता है। क्योंकि उनमें से कई प्रवासी मजदूर हैं और वह अलग-अलग गांव से आए हैं। उनके परिवार गांव में ही हैं और वो सब शहरों में कुछ पैसे कमाने के लिए आते हैं।
मैंने सोचा कि हे भगवान, गरीब लोग तो इससे बर्बाद हो जाएंगे और यह इतना जरूरी है कि सभी देशों की सरकारें और हम सब लोग इंसान होने के नाते जितना हो पाए हम मदद करें और मेरे पास कुछ अच्छी खबर है इसके नाते। तो मैंने टीपीआरएफ और साथ ही आरवीके इंडिया से एक रिपोर्ट मांगी कि टीपीआरएफ और आरवीके क्या कर रहे हैं! मैं आपसे ये सभी बातें साझा करना चाहूंगा। पर यह कमाल होता है देखना कि हम क्या-क्या कर सकते हैं, चाहे छोटा ही सही और उससे कितना ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
इसलिए मैं जानता हूं चाहे कितनी भी मुश्किल परिस्थितियां क्यों न आएं, हृदय से सबके लिए सोचना शुरू करें। क्योंकि वो भी उसी नाव में हैं; हम सब उसी नाव में हैं; हम सब उसी नाव में हैं। नाव बिल्कुल अलग नहीं है। कोई एक तरफ हो सकता है; कोई दूसरी तरफ हो सकता है; कोई बीच में भी हो सकता है; कोई इधर-उधर — पर नाव एक ही है। तो कोई कह सकता है "हाँ मैं रास्ते में हूं; वहां जल्द पहुंचूंगा।" और फिर कोई और कहेगा कि "हां मैं कहीं और हूं और थोड़ी देर हो सकती है।" और फिर कोई कहे कि "मैं तो इस तरफ हूं, पहले डॉक में जाऊंगा।" और फिर कोई कहे कि.... "मैं स्टारबोर्ड और फिर डॉक जा रहा हूं।" पर यह एक ही नाव है। हमें समझना होगा और यह एक अहम पल होगा अगर हम समझें कि इंसानियत का उद्देश्य क्या है — इन समय में भी इंसानियत का मतलब क्या है। यह स्पेनिश फ्लू जैसा नहीं होने देना है दोबारा। यह दुनिया जिसमें इतनी तकनीकी है, इतनी जानकारी मौजूद है भूल गये कि असल में क्या था ?
तो उम्मीद है कि आप ठीक रहेंगे। कृपया सुरक्षित रहें; अच्छे रहें; सबसे जरूरी है, यह जीवन। धन्यवाद आप सबका!