लॉकडाउन — बीसवां दिन

प्रेम रावत के साथ (हिंदी में अनुवादित)
Apr 09, 2020
“आप में से हर कोई एक दिन बच्चा था। वह बच्चा आज भी आप में है। जब आप उस सरलता के साथ होते हैं तब आपको संतुष्टि प्राप्त होती है।” — प्रेम रावत जी / प्रेम रावत जी "पीस एजुकेशन प्रोग्राम" की वीडियो श्रृंखला को प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरान आपके लिए उनके पूर्व प्रकाशित अंग्रेजी लॉकडाउन वीडियो जो हिंदी में अनुवादित है, प्रस्तुत हैं।

प्रेम रावत:

सबको नमस्कार! उम्मीद है आप ठीक हैं; सुरक्षित हैं और अच्छा महसूस कर रहे हैं।

जिस बारे में मैं आज आपसे बात करना चाहता हूं दोबारा बहुत आसान है। क्योंकि यही तो हम सबको अपने जीवन में सच में करना है, चाहे जो भी परिस्थिति हो सादगी से ही हम उसे पार कर पाएंगे। जीवन की सादगी देखिए, अस्तित्व की सादगी और आप समझेंगे कि मैं क्या बात कर रहा हूं। अपने जीवन में हम कभी-कभी समझ नहीं पाते कि अस्तित्व में सामंजस्य होना कितना जरूरी है। सभी चीजों के साथ सामंजस्य बनाना, प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाना, अपने आसपास के लोगों के साथ अच्छे से रह पाना और सबसे जरूरी बात अपने साथ सामंजस्य रखना। हमारे अस्तित्व में शांति, इस स्वांस में सामंजस्य, जो आ-जा रही है, हमारे अंदर जीवन देती हुई — साधारण चीजें, सुंदर और साधारण चीजें, आप — आपका अस्तित्व, आप क्या चाहते हैं वह सब अलग रख दीजिए — लेकिन अपनी जरूरतें उनको भी देखें, आसान-सी बातें पूर्णतया के लिए, शांति के लिए, खुशी के लिए, समझ पाना।

सवाल यह है लेकिन जवाब होने के लिए भी यह समझना कि यह सभी जवाब जो हैं — जवाबों का समुद्र वह आपके भीतर है। वह उलझन कि "यह क्या है" और फिर इस बात का जवाब खोज पा लेना। वह समझ तभी आ सकती है अगर आपके जीवन में सादगी है। अगर आप इस खुशी की ताल को समझते हैं, इस अस्तित्व की ताल को — जो आती है कि अस्तित्व है, आप आगे बढ़ना चाहते हैं आप जिंदा रहने से ज्यादा चाहते हैं कुछ, विकास करना चाहते हैं। इसमें जो जरूरी है वह बस यह कि आपका अस्तित्व सरल होना चाहिए। बस होना अस्तित्व में, सामंजस्य देखना सबसे आसान ढंग से, जटिल तरीके से नहीं। हमें जटिलता पसंद है — ओह, हमें जटिलता बहुत पसंद है। क्योंकि जब उलझा हुआ होता है हमें चुनौतीपूर्ण लगता है, “हम क्या कहें; इसमें गहराई क्या होती है।”

एक बार मैंने देखा कि कोई किसी के पिछले जन्म की बात कर रहा था, "अरे आप तो हाथी थे, अरे आप तो यह थे; आप तो वो थे!" आप यह सब क्यों सोच रहे हैं ? यह जीवन मिला है आपको। वह वाला नहीं जो आपका था। यह जीवन है आपका और आप इस जीवन में क्या कर सकते हैं ? इस जीवन में क्या बन सकते हैं ? क्या आप सरल बन सकते हैं ? क्या आप बच्चे की आंखों से सबकुछ देख सकते हैं ? यह क्या है ? और इसमें बस सरलता है बिना सोचे बस मान लेना। “यह क्या है कि इसका नाम क्या होता है ? इसका कार्य क्या है; इसका उद्देश्य क्या होता है ?” यह सब बाद में होगा — लेकिन एक पड़ाव है जहां बच्चा बस देखकर कुछ अपना लेता है।

कई बार मैंने यह देखा है। आप बच्चे को चांद दिखाइए। आप उन्हें बाहर ले जाइए। अपने आप चांद दिखाइए; अभी रात ही है; वह ऊपर देखेंगे, वह चांद को देखेंगे — उन्हें नहीं पता कि इसे “चांद” कहते हैं और तब मां-बाप कहते हैं कि "यह चांद है" — लेकिन बिना उसे नाम दिए बिना। और किसी चीज के बिना, वह बस उसकी सुंदरता को निहारता है, सराहना करता है यह जाने बिना कि “यह कितना दूर है, चांद का व्यास कितना है, इसकी परिधि कितनी बड़ी है, चांद क्या है, यह कहां से आया" — यह सब बाद में आती है बातें। लेकिन मुद्दा यह है "अच्छा यह बाद में होगा; बाद में हम इसमें पड़ जाते हैं" —लेकिन उस सादगी का क्या ?

मैं हमेशा एक सवाल पूछता हूं "उस बच्चे को क्या हुआ ?" आप वही बच्चे थे एक बार — वह बच्चा तो बहुत ही सरल हुआ करता था। और कई लोगों के लिए वह इसकी गहराई नहीं देखते, मैं देखता हूं। किसी चीज की सच्चाई को देख पाना, उसका नाम क्या है यह जाने बिना, उसकी विशेषता पता किए बिना, उसका उद्देश्य जाने बिना, कुछ भी जाने बिना.. मतलब कि चांद सुंदर क्यों लगता है ? क्या यह है ? जब वह आकाश में चमकता है यह सुंदर लगता है। यह सुंदर क्यों लगता है ? इससे फर्क नहीं पड़ता, यह तो बस है! क्या मैं भी ऐसा ही बन सकता हूं ? क्या मुझे जीवन में होने वाली हर बात के लिए कई हजारों मतलब निकालने जरूरी हैं या मैं बस मान सकता हूं कि “मैं हूं! मेरा अस्तित्व है ?” क्या मैं जरूरतों को मान सकता हूं ? मैं शांत होना चाहता हूं। मुझे अच्छा महसूस करना है। मुझे खुशी को महसूस करना है। मुझे पूर्ण होना है और कई लोग, वह क्या है जिससे हम पूर्ण होंगे ?

किसी ने मुझसे हाल ही में एक सवाल पूछा "शांति क्या है; शांति क्या होती है ?" किसी ने असल में, कई बार लोगों ने मुझसे पूछा है कि "शांति क्या है ?"

वाह! सच में आप जानना चाहते हैं शांति क्या है ? आप महसूस नहीं करना चाहते; आप बस जानना चाहते हैं कि शांति क्या है ? यह क्या बात हुई। चीनी क्या है ? मिर्च क्या है; नमक क्या है ? आप इसे नाम दे सकते हैं "हां, ये ये है; वो ये है; वो ये है।" पर चखिए! इसे चखिए। एक कहानी है जिसमें एक राजा होता है — और वह दरबार में बैठा होता है।

एक राजदूत आता है और उस राजदूत ने कहा कि "उसके राजा ने उसे भेजा है, एक तोहफे की तरह अपने राज्य के इस फल के साथ।" और वह राजा जो बैठा हुआ है वह कहता है "यह क्या है ?"

तो जवाब आता है "यह आम है।"

अब ऐसा हुआ कि उनके राज्य में यह फल नहीं होता था। तो उसने कहा "अच्छा यह क्या काम करता है ?"

तो किसी ने कहा "अच्छा, मैं जरा देखता हूं कि यह क्या है!" तो उन्होंने एक आम को देखा और फिर कहा "राजा यह एक फल है और ऐसा दिखता है और यह एक आम है।” “पर मुझे समझ नहीं आया।"

राजा ने कहा "आम क्या होता है ?"

तो फिर एक आदमी गया और उसने कहा कि "अच्छा, देखते हैं यह कैसा है! उसने कहा, पिलपिला-सा कुछ है।"

राजा ने कहा "मुझे अब भी समझ नहीं आया।"

फिर किसी ने उसे खाया और कहा "ओह यह तो बहुत स्वादिष्ट है; यह मीठा है; इसकी कमाल की महक है।"

राजा ने कहा "मुझे अब भी समझ नहीं आया आम क्या है!" और अंत में यह चलता रहा, चलता रहा और चलता रहा और सब लोग इस बात से तंग हो गए।

फिर एक दरबारी उठा और उसने एक आम का टुकड़ा लिया, प्लेट में रखा और राजा के पास लेकर बोला "राजा इसे खाएं।"

और फिर जैसे ही राजा ने उसे खाया उसने कहा "अच्छा अब मुझे पता है आम क्या है।" धन्यवाद! यह ताकत है जानने की।

और मानने की ताकत ? “ज्यादा, ज्यादा, ज्यादा इसे मानिए; इसे मानिये; इसे मानिए; इसे मानिए; इसे मानिए।” क्योंकि यह जानना नहीं है, “यह है मानना, मानना।” जाकर आप समझें एक गोली बनाकर आपको कोई दे देगा और आपको वह गोली खा लेनी है। आप बोलेंगे "मुझे लगता है मुझे पता है।” पर मैं इस बात में नहीं मानता। “मैं उस बात को मानता हूं और मैं ज्यादा मानता हूं; मैं कम मानता हूं।" और ये चीजें चलती रहेंगी, चलती रहेंगी। और फिर ऐसे भी लोग हैं, जो इसे आपको समझायेंगें। और समझाने वालों की कोई कमी नहीं है आजकल। और फिर वो क्या करते हैं ? वो उठते हैं और वह अपनी किताब खोलते हैं और फिर कहते हैं "अच्छा यह ऐसे होगा मैं आपको बताता हूं। यह इसलिए है, क्योंकि किताब में लिखा हुआ है। वह झूठ है, क्योंकि किताब में लिखा हुआ है और यह गलत है, वह ऐसे है, यह वैसे है।" और यह चलता रहता है पर यही तो है मानना। पर जानने की बात क्या है ? आप अपने जीवन में क्या चाहते हैं; आप जानना चाहते हैं ? और यह है खुद से सामंजस्य बनाए रखना — अपने विरुद्ध नहीं पर खुद से सामंजस्य रखना, सच्चा सामंजस्य, उस ताल में होना।

वरना तो जीवन क्या है ? मैं आपको बता सकता हूं यह है कि संगीतविंद में कोई एक इंसान, कोई एक कलाकार गलत बजा रहा हो और वह जो गलत बजा रहा है वह गलत ताल में है और क्या यह आपके जीवन में ऐसा होता है ? जहां संगीत कुछ अजीब है, क्योंकि कोई और इसे बजा रहा है। यह उसी ताल में नहीं है जैसे आप रहना चाहते हैं। आपके सामंजस्य के हिसाब से नहीं, इस जीवन में हर रोज सामंजस्य होना जरूरी है। हर पल जब आप अस्तित्व में हैं, आपको होना है सामंजस्य में। जैसा समय आजकल है, यह चुनौती है। क्योंकि यह हो रहा है। “अब क्या होने वाला है ?” बस यही बात है — "क्या होने वाला है; कब होने वाला है; ये क्या है; वो क्या है; यह क्या है; वह क्या है।" लेकिन हृदय की दिलचस्पी रोज क्या होता है उसमें है: “आप जीवित हैं”, जीवित हैं, अस्तित्व है आपका।

समझिए सामंजस्य में होना क्या है। समझिये कि आपका सामंजस्य में होना कितना जरूरी है। अस्तित्व के साथ सामंजस्य, जो भी समय है आपके पास — जो भी समय बचा हुआ है। और जब यह खत्म होगा आप तालमेल नहीं कर पाएंगे। क्या करना चाहेंगे ? हां, लेकिन क्या कर पाएंगे ? नहीं! यह है आपका मौका; यह है मौका महसूस करने का, तज़ुर्बा लेने का। यह कितना सुंदर है कि आप इसे अब भी कर सकते हैं; महसूस कीजिए; शांति का अहसास कर सकते हैं; खुशी महसूस कर सकते हैं। जीवित होने की खुशी; अच्छाई; वो सामंजस्य; वो समझ; और आपको यही तो होना भी है अंत में। वो मुश्किल नहीं है, लेकिन आसान-सी बात है।

और जब आप समझते हैं कि यह सादगी क्या है और कितनी अहम है वह सादगी, फिर सबकुछ बदलने लग जाता है। सब चीजों का नया मतलब निकल जाता है। "वाह! मैं आज को कैसे पकड़ूं ? अपने जैसे रहकर” — और आप उसे जीत लेंगे। आप यही तो चाहते हैं। हमेशा एक अच्छा समय रहता है; हमेशा एक सुंदर समय है अगर आप समझ जाएं तो। विश्लेषण नहीं करना है, आकलन करने से नहीं "अरे यह तो….” हमें आकलन चाहिए; मैं नहीं कहता हमें आकलन नहीं चाहिए। हमें आकलन चाहिए। कई बातें हैं जिनमें आकलन जरूरी होता है। लेकिन आपका अस्तित्व वह सच्चा है। आकलन करने का लाभ कोई नहीं है “इसका क्या मतलब, उसका क्या मतलब।” अपनाइये, अपनाईये और समझिये — कि आपको उस आसान सामंजस्य में होना ही है, अपने अस्तित्व के साथ, सरल तालमेल में इस स्वांस के साथ। जितनी आसान है, आपको उतना ही आसान बनना है; आपको उतना सच्चा बनना है।

सच क्या है ? कोई महान बातें नहीं जो समझ में नहीं आ सकतीं। नहीं, नहीं, नहीं इन दो दीवारों के बीच बिल्कुल नहीं। आसान क्या है; सच्चा क्या है आपके लिए ? इस स्वांस का आना और जाना, आपका अस्तित्व। आपका सच है आपकी जरूरत शांति की, शांति की आपकी जरूरत। सच है पूर्ण होने की आपकी जरूरत। सच है आपकी जरूरत उस सादगी में रहने की। सच है जीवन में वह सामंजस्य लाना, आपके जीवन में सामंजस्य होने की जरूरत।

एक बार फिर दुनिया देखें और खुद को बच्चे की आंखों से देखें। मैं हमेशा कहता हूं “उस बच्चे को क्या हुआ, क्या आपने सोचा ?” वह बच्चा अब भी है। वह आप में ही है, कभी किसी समय एक बच्चा ही था। वह बच्चा कभी नहीं मरता। वह बच्चा अब भी यहीं है। उस बच्चे से दोबारा मिलिए; उस सादगी को फिर से जानिए; उस सामंजस्य को फिर समझें; उस खुशी को फिर से समझें। इस सबका पुरस्कार होगा पूर्ण होना, शांति मिलना, यही तो है जीवन की सुंदरता।

सुरक्षित रहें; अच्छे रहें आप सब। धन्यवाद!

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