प्रेम रावत:
सभी को नमस्कार! उम्मीद है, दोबारा, आप ठीक होंगे। और मुझे पता है घोषणा हो रही हैं; लॉकडाउन आगे बढ़ सकता है — लेकिन इस बारे में बुरा ना मानें या चिंतित ना हों, कुछ और दिन। क्योंकि देखिए, उद्देश्य है सुरक्षित रहना, ठीक से रहना। फिर इस मौके को लेना कुछ समझना, कुछ ऐसा, जो बहुत, बहुत जरूरी है।
क्योंकि यही तो समय है; सवाल यह नहीं कि इस समय में क्या हो रहा है, लेकिन समय तो समय है यह एक तरीका है देखने का। आप इसे बर्बाद कर सकते हैं — और इसका कोरोना वायरस से कोई लेना-देना नहीं है; इसका वैश्विक घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है — या कुछ ऐसा कर सकते हैं जिससे इस जीवन में कुछ मदद मिलेगी आप सबको।
अब दो बातें हैं जो मैं करना चाहता हूं। एक बात है, (जो मैंने पहले इन ब्रॉडकास्ट में कही भी है।) हम समस्या सुलझाने में इतना उलझे हुए हैं; हमारा सिर रेत में घुस गया है — और मैं इसे थोड़ा समझाना चाहता हूं। तो आपके सामने दो चीजें हैं। एक बात है जरूरी कि आपके कर्म — आपने कुछ किया, (आपने कुछ अचेत होकर किया या कुछ जान-बूझकर किया फ़र्क नहीं पड़ता) लेकिन आप इस दुनिया में जो भी कुछ करते हैं, उसके नतीजे तो होंगे ही। तो एक है क्रिया और फिर उसका परिणाम, वह आता है। अब जब मैं कहता हूं "जीवन सचेतना से जीयें।" मेरा मतलब है कि आपको वह कार्य करने हैं जिनका प्रभाव सकारात्मक होगा। परिणाम कुछ ऐसा हो जो आपको पसंद आए कुछ ऐसा जिसमें आनंद आए — जिसका शांति से सरोकार हो, जिसका लेना-देना हो पूर्ण होने से, जिसका सरोकार हो समझ के साथ, स्पष्टता के साथ।
लेकिन होता क्या है ? (मैं इसी बारे में सोच भी रहा था) वह यह कि हम परिणाम से इतना जुड़ जाते हैं कि कार्य के बारे में बिल्कुल भूल ही जाते हैं। इसलिए अगर वह कार्य खुद को दोबारा दोहराता है, उसका वही परिणाम होगा दोबारा और दोबारा और दोबारा और दोबारा। अब यह कितना दूर तक जाता है — हे प्रभु, हर जगह जहां तक आप सोच सकते हैं। आप इसे घर-परिवार की परिस्थिति में सोच सकते हैं, जो परिवारों में झगड़े होते हैं, घर में हाथ उठाना, हिंसा, (जो बहुत बड़ी बात है, काफी बड़ी) चिढ़ाना (ये बहुत गंभीर चीजें हैं।) खून, अपराध, छोटे से लेकर बड़े जुर्म तक, सबकुछ। यह दोबारा, एक है क्रिया और फिर आता है उसका परिणाम। और सभी लोग बुरे परिणाम के बारे में सोच रहे हैं — जो बुरे नतीजे आएंगे — वह असल में कर्म के बारे में भूल ही जाते हैं। जबतक आप कर्म नहीं बदलेंगे, बार-बार वही परिणाम आने वाले हैं और दोबारा और दोबारा और दोबारा और दोबारा और दोबारा। और सोच में पड़ जाएंगे आप कि "मुझे जीवन में सजा क्यों मिल रही है; मैं क्या गलत कर रहा हूं, ? क्या गलत किया मैंने ?"
ऐसा नहीं कि आपने कुछ गलत किया था पिछले जीवन में या आप कुछ गलत करने वाले हैं या फिर आप श्रापित हैं या किसी ने आप पर नजर लगा दी है या कुछ ऐसा या कुछ वैसा या लाखों बहाने हैं — आप किसी सीढ़ी के नीचे से निकलते हैं या जो भी। लेकिन आप क्या कर रहे हैं ? आप जो भी बेहोशी से करेंगे, जो भी करेंगे…
मैं इस तरह से बताता हूं, आप जो भी करें उसका परिणाम आता है। इसमें कोई संदेह नहीं। हर क्रिया का परिणाम होता ही है। जी बिल्कुल, अगर वह अच्छा नहीं है, आप उसे हटा देना चाहेंगे; आप वहां से निकलना चाहते हैं; आप चाहते हैं…ऐसे, जैसे कोई इंसान फंस गया हो और फिर वह सिर्फ एक ही बात सोच रहा हो कि "यहां से कैसे निकलूं ?" अगर कोई एक व्यक्ति है जो स्कूल जाता है और उन्हें मिले, बच्चे के अंक बहुत ही बुरे आए हों — और वह कहते हैं "हे भगवान, मैं क्या करूं; मैं अपने माता-पिता को दिखाऊं या नहीं दिखाऊं ? अब मैं क्या बहाना मारूं ?" सही कार्य करने की बजाय, जो कि होता “मुझे पढ़ना चाहिए — और मैं यह कर सकता हूँ। मुझे और पढ़ना होगा।” यह देखना कि मैं अपनी क्रिया दोबारा क्यों दोहरा रहा हूं, क्योंकि मैं उस क्रिया पर पूरा ध्यान नहीं दे रहा। और यही क्रिया परेशानी की जड़ बन रही है।
तो यह बहुत, बहुत दिलचस्प है। हम अपने जीवन में, हम जीवन जीते हैं; हम अपने काम में पूरा दिन लगे रहते हैं — और हम सिर्फ परिणाम के बारे में सोचते रहते हैं। हम यह नहीं सोचते कि परेशानी क्यों हो रही है। जैसे कि आप जवान थे; और आपका चालान कटता था। (क्योंकि अब देखिए, मुझे भी पता है मेरा भी चालान कटता था।) और मैं क्यों चालान कटवा रहा था ? और एक दिन — मैंने यह कहानी पहले भी बताई है कि एक दिन मुझे रोका गया और मुझे लगा कि मैं नीचा दिख रहा हूं; मजेदार नहीं था। उस पल में मैंने, जो भी, मैं उस समय बहुत तेज चला रहा था, तो रोके जाने पर वह चीज बिल्कुल रुक गई।
और हां बिल्कुल, मैं पुलिस अफसर से झूठ नहीं बोलना चाहता था; गाड़ी काफी तेज थी। फिर मैंने फैसला किया कि "अब और बिल्कुल नहीं! मैं तेज नहीं चलाऊंगा।" जब गाड़ी चलाता हूं क्रूज कंट्रोल के साथ ही चलाता हूं। और मैं रख लेता हूं, तीन, चार मील की रफ्तार गति सीमा से ऊपर। और वह वैसा ही रहता है — और ऐसा नहीं कि मैं इससे जल्दी पहुंच जाऊंगा या कुछ मुझे गाड़ी काफी तेज चलानी पड़ती, बिल्कुल पागलों की तरह।
आप हमेशा फ्लाइट ले सकते हैं, अगर आपको कहीं पहुंचने की जल्दी है। लेकिन अपने आपको इतना समय दें कि आपको देर हो ही ना। तो पूरी बात यह है कि हां, जब आपको रोका जा रहा है और आप सोचें कि "हे भगवान यह बहुत ही बुरा है," हां, कान लाल हो जाते हैं और मुंह लाल हो जाता है; रक्तचाप बढ़ जाता है। और सब आपको देख रहे हैं; आपको शर्म आ रही है… आप बस वहां से निकलना चाहते हैं। “जी हां, सर, मेरी गलती है; मैं दोबारा ऐसा नहीं करूंगा और ये सब बातें। पर आप अपने काम पर ध्यान नहीं देते। आपको जीवन में अपने कार्य पर ध्यान देने की जरूरत है और सिर्फ परिणाम पर नहीं। क्योंकि परिणाम तो वैसे ही होते हैं जैसे आपके काम होते हैं।
अगर आप अपने जीवन में शांति के बीज बोने में समय नहीं लगा रहे हैं — और फिर आप सोचेंगें "मुझे शांति क्यों नहीं मिल रही है ?" अब, क्योंकि आपने कभी शांति के बीज नहीं लगाए हैं। आप शांति पाने के लिए कुछ प्रयास नहीं कर रहे थे। आप बस दुनिया में भागते रहे हैं, डोडो की तरह, बस भागते रहना, भागते रहना, भागते रहना, भागते रहना, भागते रहना, भागते रहना।
यह ऐसा है कि मैं अखबार में एक कहावत देख रहा था और वह बहुत दिलचस्प थी। उस वक्त कहावत में यह लिखा था कि "आप इतना पैसा कमाते हैं — और आप इतनी मेहनत करते हैं। और फिर अंत में क्या होता है कि आप बूढ़े हो जाते हैं, बीमार पड़ जाते हैं और आप वह सारा पैसा लेकर अस्पताल को दे देते हैं।" क्योंकि अब आप बीमार पड़ गए हैं — इससे अच्छा कुछ समय निकालकर कुछ अच्छा कर लेते आप। और यह है — दोबारा, मैं किसी के लिए बहाना नहीं बना रहा; मेरी कोशिश नहीं है किसी पर उंगली उठाने की या ऐसा ही कुछ। लेकिन यह बहुत सीधी-सी बात है कि ऐसे कुछ नेता हैं जो अपना काम बहुत ही अच्छे ढंग से कर रहे हैं लेकिन फिर कुछ ऐसे नेता भी हैं जिन्हें कुछ भी नहीं आता — हां, उनके ओहदे को बदलने की जरूरत है इस समय, सच में। वह काम नहीं जानते हैं। मतलब, बस दिमाग खराब हो चुका है, बिल्कुल दिमाग खराब है। अब मैंने काफी कह दिया है।
लेकिन आपका क्या ? आप अपने जीवन के नेता हैं। आप कैसे सबकुछ चला रहे हैं ? दुनिया के नेताओं को भूल जायें; बड़ी संस्थाओं को भूल जायें; इस सबको भूल जाइये — आप कैसे संभाल रहे हैं ? क्या आप सचेत हैं ? क्या आप खुद को समझने का प्रयास कर रहे हैं ? क्या हृदय में कृतज्ञता भरी हुई है ? या आप बस अपने बाल खींच रहे हैं; ये सब क्या है, लॉकडाउन कब खत्म होगा ? ये सब खत्म होगा, यह क्यों हो रहा है; यह कैसे हो रहा है ? मैंने कुछ नहीं सोचा था ऐसा, ये क्यों हो गया मेरे साथ ? मेरा खर्च क्यों बढ़ रहा है… ?
लोग ऐसे ही करते हैं वो क्रूज़ बुक कर रहे हैं, उन्होंने बहुत सारे क्रूज़ बुक किए होंगे। ऐसे में अच्छा विचार नहीं है। लेकिन आप क्या करें ? अगर आपको नहीं पता कि आप कौन हैं, आप क्या करेंगे ?
मैं जहां भी मुड़ता हूं (आप चाहे ये चैनल देखिये या वो चैनल देखिये) यही मुद्दे हैं। और कुछ तो हैं “मज़ाकिया” से लोग, मैं उन्हें कहूंगा जो अच्छा मज़ाक कर लेते हैं, वो कुछ ऐसा बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे मज़ा आए या ऐसा ही कुछ हो। बढ़िया, ठीक है। पर सवाल यह नहीं कि आपका समय कैसे पूरा हो सकता है। आपको समय का सदुपयोग करना है। जो विचार आपके लिए महत्व हैं उन पर ही आपको ध्यान देना है। ऐसी चीजें करिए और ऐसे समय बिताइए जिससे आपको खुशी और आनंद प्राप्त होता है — आपके लिए यह है एक जरूरी बात। ऐसे नहीं कि समय बिताने के लिए कुछ भी ढूंढ लिया आपने, नहीं आपका समय सिर्फ आपका होना चाहिए, किसी और का नहीं और किसी और के बारे में नहीं — आपको समय अच्छे से बिताना है।
मैं यही एक बात सोच रहा था। और दूसरी बात यह है, मैं यह कहता रहता हूं कि “यह एक प्रिंटर है, जो पिक्चर्स प्रिंट करता है।” तो एक कहानी है और मैंने यह पहले भी सुनाई है।
तो कहीं बाढ़ आ गई — और एक घर में महिला थी और बाद में बाढ़ आ गई, अगली बात यह हुई कि वह थोड़ा-सा ऊपर चली गई। तो वह अपने किचन में खड़ी थी टेबल पर — और बाढ़ का पानी वहां पर अंदर आ गया। तो वह सीढ़ियों से ऊपर चली गयी और बाढ़ का पानी फिर और ऊपर आता रहा और बढ़ता रहा और बढ़ता रहा, बढ़ता रहा, बढ़ता रहा, बढ़ता रहा। यह सब होता रहा और वह छत पर पहुंच गई। अब ऊपर जाने की जगह नहीं बची थी। और बाढ़ का पानी आता जा रहा है। तो ईमानदारी से, उसने भगवान को याद किया। उसने कहा "भगवान नीचे आयें और मेरी मदद करें — मैं आपको पूजती आई हूं; मैं आपसे प्यार करती हूं; मुझे लगता है आप महान हैं। मैं परेशानी में हूं — मैं बहुत, बहुत सराहना करूंगी अगर आप इस वक्त नीचे आएं और मेरी मदद करें।"
तो फिर क्या हुआ कि एक नाव वहां आ गई। और वो बचावकर्मी हैं और उन्होंने कहा कि "आईये; हमारे साथ आइये; बाढ़ का पानी आ रहा है; हम आपको ले जाएंगे।” महिला कहती है, "नहीं, मैं भगवान का इंतजार कर रही हूं; वह मुझे आयेंगें बचाने।"
तो अब पानी और थोड़ा ऊपर आ चुका है। अब उनके पांव गीले हो गए हैं और वह और ऊपर नहीं जा सकतीं। तो वह फिर से प्रार्थना करती हैं कि "भगवान मुझे बचाइए! मैं सबसे बड़ी भक्त हूं आपकी और मैं आपसे प्यार करती हूं। मैं बहुत पूजा करती हूं। मैं वफादार रही हूँ और मैं संकट में हूँ। तो कृपया करें मुझे बचाएं।"
तो कुछ मिनटों के बाद, एक और नाव आती है — बचावकर्मी कहते हैं "आ जाइए; समय है जाने का! अब बहुत देर हो रही है, आ जाइए।" और वह कहती है, "नहीं, मेरे भगवान मुझे बचाएंगे।"
कुछ ही मिनट के बाद, वहां फिर वही हुआ। पानी और ऊपर आ गया और अब इतना ऊपर आ गया कि छाती तक पहुंच गया। वह फिर पूजा करती हैं कि "भगवान मुझे बचाइये! यह आखिरी मौका है मुझे बचाइये कृपया।"
फिर एक और नाव वहां पर आती है वो कहते हैं "आइए हमारे साथ नाव पर आइए! यह आखिरी है; यह आखिरी मौका है। आप यहां ज्यादा देर नहीं रूक पाएंगी।" वह कहती हैं "नहीं मेरे भगवान अभी आएंगे और मुझे बचाएंगे।" और फिर उसके बाद पानी काफी ऊपर आ जाता है, वह बह जाती हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है। वह स्वर्ग में जाती हैं। पीटर वहां पर हैं; संत पीटर वहां पर उनका स्वागत करने के लिए आए हैं और वह गुस्से में हैं। वह कहती है “मुझे भगवान से बात करनी है।"
संत पीटर कहते हैं "क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूं किसी तरह ?" तो वह कहती हैं कि "मदद नहीं, मुझे भगवान से बात करनी है।" तो संत पीटर भगवान से कहते हैं कि "अभी-अभी कोई आया है वह बहुत गुस्से में हैं और आपसे बात करना चाहता है।" तो भगवान कहते हैं "अंदर बुलाइए!"
वह अंदर जाती हैं और कहती हैं "आप कैसे भगवान हैं ? तीन बार मैंने आपको बुलाया, प्रार्थना की ताकि आप मुझे बचायें और आप एक बार भी नहीं आए।" तो प्रभु कहते हैं कि "देखिए मेरी बात गौर से सुनें। मैंने तीन बार नाव भेजी और आपने उनमें से एक भी नाव नहीं ली।” प्रिंटर ने एक पिक्चर बनाई, जो महिला ने सोच ली थी कि वैसे ही वह बचेगी। पर ऐसा नहीं होने वाला था। तीन नाव वहां पर आईं — वह एक में भी नहीं बैठी और अंत में वह डूब गई।
जी! तो अब एक अच्छी कहानी है, मज़ाकिया है — पर प्रिंटर के बारे में ध्यान आकर्षित करती है यह। क्योंकि हम प्रिंटर का पालन करते हुए यह बात भूल जाते हैं पूरा दिन कि यह प्रिंटर प्रिंट करता रहता है और ज्यादा पिक्चरें और ज्यादा पिक्चरें।
अपना जीवन सचेतना से जीयें और इसका मतलब होगा कि आप खुद को अलग करें; खुद को बचायें उस पिक्चर से जब भी आप उसके करीब जा रहे हों। आपको अपने हृदय का पालन करना है; आपको अपने जीवन में पूर्ण होने की प्यास के पीछे चलना है, स्पष्ट होना और उस शांति में होना। यही तो है आपकी हृदय की प्यास।
मन की तलाश नहीं जो कहती है कि "मुझे यह चाहिए; मुझे वह चाहिए; वह चाहिए।" मतलब, अच्छा यह बड़ी बात नहीं है, आप कभी-कभी ऐसा भी कर सकते हैं। लेकिन अगर आप हर वक्त ऐसा चाहते हैं और हृदय का पालन नहीं करते, यह थोड़ी समस्या की बात हो जाती है। तो अच्छे रहें! सुरक्षित रहें और आप रहें सचेत। आनंद लें; इस समय का लाभ उठाएं। मैं आपसे फिर बात करूंगा। धन्यवाद!