प्रेम रावत:
सबको नमस्कार! उम्मीद है कि इस ड्रामा और ट्रामा में आप ठीक हैं। मैं हूं प्रेम रावत।
एक और दिन, एक और मौका आपसे बात करने का इस अजीब स्थिति में जहां गलत फैसले, विचार और डर और बाकी सबकुछ यूं ही फैल रहे हैं और फैलते जा रहे हैं और फैलते जा रहे हैं। पर, मैं जो बात करना चाहता हूं इस सबके बीच में वह है स्पष्टता — आपके पास स्वांस के रूप में एक तोहफा है आप जीवित हैं। आप इस सुंदर धरती पर हैं।
सूरज नहीं बदला है वह वही है। हम खबरें सुन रहे हैं “कोरोना वायरस” वही न्यूज़, केंद्रित न्यूज़: “यह गलत है; वह गलत है। यह इस तरीके का नहीं हो रहा; यह उस तरीके से नहीं हो रहा।”
हर रोज संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती रही है और बढ़ती जा रही है और बढ़ती जा रही है और फिर मैं कुछ पढ़ रहा था 'न्यू ऑरलियंस' के बारे में जहां उनके पास मार्डी ग्रास है और सभी लोग बाहर आ गए और अब काफी लोग बीमार हो गए हैं। ऐसे बहुत सारे लोग हैं आज जवान लोग जो कह रहे हैं “कोरोना वायरस होने से फर्क नहीं पड़ेगा मुझे तो बस मजे करने हैं।” और जिस उम्र के लोग बीमार पड़ रहे हैं अमेरिका में वह बहुत-बहुत अलग है। सच मानिये, बाकी जगह के मुकाबले अमेरिका में जवान लोग ही बीमार पड़ रहे हैं। हां! सच है यह!
तो आप सोचते होंगे “हम क्या करने में समर्थ हैं ?” यह आसान-सी बात है आपको दूर रहना है। अगर दूर रहेंगे संक्रमण नहीं लगेगा। आज नहीं तो कल यह बीमारी खत्म होगी आपको बीमार नहीं पड़ना है। आपको बाकियों से दूरी बनानी ही है। बस दूर रहना है सिर्फ इतना। यह लोगों के लिए मुश्किल है बहुत ज्यादा कि वह बाकियों से दूरी बनायें। वह तो बस होना चाहते हैं। “हमें यह भी करना है; हमें वह भी करना है” उनकी ऐसी आदत है। लेकिन उनको आदत पड़ चुकी है और अचानक से ही कुछ होता है और सब जो आपको साधारण लगता है वह साधारण नहीं रहता और आप नहीं कर पाते असल में तो अगर आप करेंगे तो वह आपके लिए बुरा होगा। तो इससे मुझे एक कहानी याद आती है “कौन-सा सच्चा है ?”
तो एक बार काफी समय पहले एक राजा था वह बहुत अमीर था और एक सुंदर राज्य था और सबकुछ अच्छा था और एक दिन उसने एक सपना देखा और उस सपने में उसने देखा कि वह पड़ोसियों से लड़ रहा है और एक जंग चल रही है — यह बहुत-बहुत बड़ी जंग है और अचानक ही वह सबकुछ हार जाता है।
उसे जंग के मैदान से भागना पड़ता है और उसे दूर जाना है जितना दूर हो सके उतना दूर जिंदा रहने के लिए और वह भागता है, भागता है, भागता है, और अंत में एक जंगल में पहुंचता है और उस जंगल के बीच में वह यह बात सोचता है कि वह थक गया है; वह घायल है; वह बहुत देर से भाग रहा था; वह भूखा है। यह अच्छा दृश्य बिल्कुल नहीं है और अचानक से उसे एक झोपड़ी दिखती है वह उस झोपड़ी में जाता है और उसमें वहां एक बूढ़ी महिला है। वह उनके पास जाकर कहता है "क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकती हैं ?"
वह कहती हैं, "देखो तुम्हें देने के लिए ऐसा कुछ भी नहीं है जो पका हुआ हो, पर यह रहे थोड़े-से चावल और यह रही थोड़ी-सी दाल। तुम दोनों को पका लो, खिचड़ी बना लो और भूख मिटा लो अपनी!"
राजा कहता है — धन्यवाद! चावल लेता है, दाल लेता है, एक भगोना लेता है। अब उसे लकड़ियां चाहिए — बारिश की वजह से लकड़ियां गीली हैं और वह आग जलाने की कोशिश करता है उसे बहुत वक्त लगता है। पर, अंत में आग जल जाती है तो, बहुत भूखा है वह। बहुत थका है, परेशान है, उसका राज्य खो गया है मतलब कि सब कुछ उस पर हावी है और बस अंत में चावल बन ही जाते हैं, दाल बन जाती है लेकिन खाने के लिए अभी गर्म है तो वह एक पत्ता ढूंढता है और उस पर दाल और चावल रख लेता है उसे ठंडा होने के लिए। इसी बीच यह दो बैल — जो आपस में लड़ रहे हैं वह उस जगह आ जाते हैं, जहां खाना ठंडा हो रहा है और फिर उसके बाद क्या हुआ ? वह ले लेते हैं उस सबको जो उसने बनाया है और सबकुछ मिट्टी में मिला देते हैं, नष्ट कर देते हैं और यह उसके लिए बहुत ज्यादा हो जाता है।
तो अंत में वह रोने लगता है और आंसू टपकने लगते हैं। वह उठ जाता है। उसका चेहरा गीला है, चेहरे के आंसू उसे उठा देते हैं और वह उठ जाता है। वह आस-पास देखता है और अचानक से वह देखता है वह अपने कमरे में है और उसके पास यह सुंदर मखमल का बिस्तर है और सजे हुए खंभे हैं, दीये और उसके पास सुरक्षाकर्मी — यह सब लोग हैं और वह हैरान हो जाता है यह सपना उसके लिए सच था।
वह वाकई हैरान है और वह उठकर कहता है कि "हे भगवान कौन-सा वाला सपना है कि जंग हारना, जंगल में होना; वह खाना बनाना, क्या वह सपना था — और यह सच है ? या यह दूसरी बात सच है कि यह सब सपना है कि मैं राजा हूं और सब कुछ ठीक है और वह सच था कि मैं जंग में हारा; मैं कोई नहीं हूं; मैं उस स्थिति में फंसा हुआ हूं, वह सच था, वह?"
वह उससे घबरा जाता है तो अगले दिन वह उठकर अपनी सभा में जाता है और उसी समय वह घोषणा करता है। वह कहता है "मैं जानना चाहता हूं, मुझे एक सपना आया और मुझे पता करना है कौन-सा वाला सच था ? यह है सच या वह था सच कि मैं फंसा हुआ हूँ, वह सच था ? या फिर मैं राजा हूँ यह सच है?"
बहुत से लोग (और मैं कहानी को छोटा करता हूं) कि कई लोगों ने कहा कि "हां वह सपना था। यह सच है आप राजा हैं, आप चाहे कुछ भी सोचें।” पर वह संतुष्ट नहीं होता और अंत में यह बच्चा जिसका नाम था — अष्टावक्र, जो असल में (जिसका मतलब है शरीर से अजीब-सा) और वह राजा को बताता है और यह कहता है वह बच्चा (क्योंकि मुझे लगता है थोड़ा बहुत ड्रामा है) वह आया और जब वह आया सबने उसे सभा में आते हुए देखा कि सबको लगा कि क्या यह जवाब देगा ? सभी लोग हंसने लग गए जैसे कि "कैसे हो सकता है कि ऐसा व्यक्ति जो कि ऐसा अजीब-सा है! यह कैसे इस सवाल का जवाब दे सकता है?"
अचानक से उसने राजा को देखा और उसने कहा कि “राजा आपने मुझे इन लोगों के बीच, इनके समक्ष बुलाया है जो मुझे देखकर ही मेरे बारे में कह रहे हैं, मेरी चमड़ी को देखकर (चमड़ी मतलब खाल) यह लोग यही देखते हैं और इन्होंने पहले ही सोच लिया है कि मैं कौन हूं! इन्होंने मुझसे बात भी नहीं कि इन्होंने देखा भी नहीं कि मेरे भीतर क्या है और बस मुझे बाहर से देखकर अंदाजा लगा रहे हैं।”
राजा को एहसास हुआ कि यह कोई आम आदमी नहीं है मतलब आम नहीं है, यह खास है और वह उसे सिंहासन दे देता है यह कहकर कि "यहां पर बैठें।" उसका स्वागत करता है और फिर वह बच्चा कहता है कि "राजा यह सवाल पूछने के बाद कि वो जब आप जंग हार गए थे और आप जंगल में थे, वह एक सपना था राजा।" और आपका सवाल कि "आप राज्य देख सकते हैं; आप देख सकते हैं; महल, बिस्तर; यह देख सकते हैं क्या यह सपना है ?"
बच्चा कहता है “यह भी सपना ही है। सच्चाई इन दोनों से परे है सच्चाई, वह सच्चाई है जो आपके भीतर है उसमें नहीं जो आप देखते हैं पर आप जो समझते हैं यह सब बदल जाएगा।”
इसलिए इन समय में मैं उसी कहानी के बारे में सोच रहा हूं कि जो भी हम समझते हैं वह सब एक सपना है (सच्चाई जैसा ही एक सपना)। यह सपना है दो दीवारों की वजह से — जिस दीवार से हम आए और जिस दीवार में हम गायब हो जाएंगे। उसकी दूसरी तरफ, यही इससे एक सपना बनाता है, सच्चाई जैसा सपना… पर, कई-कई संतों ने अपने-अपने समय में कहा है कि “यह बस एक सपना ही है। क्योंकि एक दिन आप उठेंगे और यह ऐसा नहीं रहेगा। यह कुछ और ही बन जाएगा सब बदलता रहता है, सब बदलता रहता है और बुरे सपने आते हैं और यह होता है और वह होता रहता है तो आप क्या करेंगे ?
अब आपको किसी तरह उस असल सच्चाई तक पहुंचना ही है और वह असल सच्चाई है, वह सच्चाई जो आपके भीतर है। कोई विचार नहीं, कोई बात नहीं और शायद, शायद इस समय में परिस्थिति की वजह से यह कहानी थोड़ी ज्यादा सच्ची लगती है। बाकी साधारण आम दिनों से जहां सब हमारे हिसाब से हो रहा होता है और अब जब हमारे हिसाब से नहीं हो रहा है, पर आपको कहना ही है कि "हां मैं यहां हूँ सबसे जरूरी बात है — यह स्वांस मुझसे अंदर और बाहर जा रही है। मैं हूं! अस्तित्व है! सबसे बड़ा जादू हो रहा है यह। मैं यहां हूं और क्योंकि मैं हूं, क्योंकि मैं जानना चाहता हूं कि मैं कौन हूं! मुझे भीतर जाकर पता लगाना होगा कि यह प्रक्रिया क्या है जानने की, कि मैं कौन हूं! यह सब बदलेगा। चीजें पहले जैसी हो ही जाएंगी।”
वह जीवन जब सब साधारण-सा था। और जब जीवन नीरस हो जाए तो आप खुद से संपर्क में नहीं रहते क्योंकि हर रोज कुछ ना कुछ मजेदार होता ही है। हर एक क्षण मजेदार हो रहा है और आप में आती है वह स्वांस जो मजेदार है और यह आप की सच्चाई है — यह है आप की सच्चाई जो आप देख रहे हैं, जो आप समझ रहे हैं यह ऐसा नहीं है। यह तो नहीं रहेगा ऐसा, यह है इसकी सच्चाई और फिर कुछ ऐसा है जो था और वह ऐसा ही रहेगा। मेरा मतलब अंत में इस धरती और बाकी चीजों का बनना ज्यादा पुराना नहीं है। हम यहां पर तुलनात्मक रूप से हम यहां उतने लंबे समय से नहीं है। हां! हमने काफी तरक्की की है पर, वह तरक्की, वह हमारे लिए क्या करती है ? अचानक से हम देखते हैं कि आम इंसानी जरूरतें और आवश्यकताएं आ गई हैं।
आम बातें साधारण-सी, जो बहुत साधारण-सी हैं और आप इन साधारण बातों से क्या समझते हैं ? क्या आपको यह पसंद है ? क्या आप इनसे मजे ले सकते हैं ? क्या आप हैं, आपका अस्तित्व ? क्या आप में समझ है ? क्या आप आज के लिए कृतज्ञता महसूस करते हैं ? यह ऐसा है कि आप हैरान हैं कि "हे भगवान हमारी यह समस्या है और हमारी वह समस्या है और क्या आपने वह खबर सुनी और यह सब — हां, सब जगे हुए हैं, सब जानते हैं, सब लोग जानते हैं कि यह नकारात्मक खबर है, वह नकारात्मक खबर है! यह समझते हैं आप कि “सब ठीक है”, सब ठीक है। अस्तित्व है, शुक्रगुज़ार रहें, सकारात्मक रहें, सच्चे रहें, सच्चाई को समझें क्योंकि आप एक हिस्सा हैं जो आपके आस-पास चल रहा है। उसके भाग हैं, आप उसके एक हिस्से हैं और जब आप चमक सकते हैं तब अंधकार किनारे हो जाता है और यह बहुत जरूरी है और यह हर रोज जरूरी है।
कोरोना वायरस हो या ना हो, हर एक रोज उस अंधकार को दूर रखना, भ्रान्ति को दूर रखना, स्पष्टता को भीतर आने देना और जीवित होने के लिए हर रोज कृतज्ञता महसूस करना, क्या आसान है ?
हे भगवान! आसान है, बिल्कुल आसान है यह। यह बेहद-बेहद आसान है। फिर भी मुझे पता है कि यह बहुत मुश्किल हो जाता है यह गहन है — पर मुश्किल भी है कि हर एक क्षण उस सच्चाई के साथ आपका रह पाना। तो उस राजा की तरह नहीं जो भ्रमित हो गया था, लेकिन स्पष्टता के साथ आगे बढ़ें हर रोज और उस सुंदर जगह में रहें।
तो मैं जल्द बात करूंगा आपसे। ध्यान रखिये; खुश रहिए और सेहतमंद — आप सभी लोग। नमस्कार!