प्रेम रावत:
नमस्कार! आप सभी को नमस्कार !
मुझे उम्मीद है आप ठीक हैं। मुझे पता है यह मुश्किल समय है हालांकि मैंने कुछ मुद्दों पर बात की है। जैसे-जैसे सवाल आने शुरू हुए हैं, वह इकट्ठे हो रहे हैं, लेकिन जो भी हो रहा है लोग उससे काफी डरे हुए हैं और मैं इस वक्त आपसे बस इतना कहना चाहता हूं कि देखिए, जानते हैं नियम आसान है "वायरस ना ही दीजिये, वायरस मत लीजिये" — इतना आसान है, पर आपको यह करना पड़ेगा। दूर रहना अच्छा है। पर सवाल आता है कि आप अकेलेपन में क्या करेंगे ?
यह अफसोस की बात है सबसे पहले यह कि हमें यह सब देखना पड़ रहा है, क्योंकि खुद के साथ रहना प्राकृतिक होना चाहिये। खुद के साथ रहना अच्छा लगना चाहिए, कमाल होना चाहिए यह बुरा नहीं होता है लेकिन, अफसोस ऐसा है बिल्कुल नहीं। यह है — "हे भगवान! अब मैं क्या करूंगा!" लोग पागल हो रहे हैं और यह हो रहा है और वह हो रहा है। लेकिन मेरी मानिये जो मुद्दा है वह यह है कि सबसे पहले तो आप यह वक्त कैसे बिताना चाहते हैं ? बहुत आसान है —"हिम्मत रखिए, डर को छोड़ दीजिए!" ऐसे नहीं कि हे भगवान! अब क्या होगा, अब क्या होगा, अब क्या होगा, अब क्या होगा!" नहीं, हिम्मत रखिए!
दो चीजें चाहिए आपको — अगर आप चाहते हैं कि यह समय आराम से निकल जाए, जल्दी भी, जो भी दो चीजें चाहिए। ‘धैर्य’ — आपने सोचा आप में है क्यों ? यह आपकी परीक्षा है ‘धैर्य’ और दूसरी बात 'हिम्मत' — बस यही दोनों चाहिए और यह समय बीत जाएगा। स्पष्टता आपके भीतर ही है, उसे ढूंढिए और बाहर मत देखिए उसे अंदर तलाशिये। खुशी आपके भीतर है, खुशी को तलाशें। वह सुंदर खजाने को जो दबे हुए हैं, अब आपको उसकी जरूरत है। देखिए! अब उनकी जरूरत है आपको। पहले पता है, मैं आता था, बैठता था, लोगों से बात करता था आपके भीतर है यह। लोग कहते थे “हां हां हां!” अब आपको उनकी जरूरत है, क्योंकि इसके बिना आप क्या करेंगे ? हम क्या करेंगे ? यह बुरा हो सकता है इसलिए ढूंढिए, उस धैर्य को खोजें, हिम्मत को खोजें। खुशी अब भी आप में ही है और आप इस समय को अच्छा बना सकते हैं, अकेलेपन में, हां आप इसे कमाल का समय बना सकते हैं।
यह सब मुझे हमेशा उस व्यक्ति की याद दिलाता है जो एक व्यक्ति — वह जेल में था और वह बंद था। वह पीस एजुकेशन प्रोग्राम को सुन रहा था और वह मानता भी था। और मैं हमेशा स्वांस की बात करता हूं और यह कैसे शांति देती है और स्वांस हमारी कितनी सुंदर है और ये सब चीजें। एक दिन वह गया और अपने कारावास के बिस्तर में लेट गया और यह तज़ुर्बा वह किसी को सुना रहा था और उसने कहा कि "प्रेम हमेशा स्वांस की बात करते रहते हैं, तो मैं स्वांस पर ध्यान दे रहा था। मैंने जैसे ही स्वांस पर ध्यान देना शुरू किया और ध्यान दिया, मैं शांति से भरने लग गया — कितना सुंदर है यह, कितना कमाल का, जबरदस्त है। उसने कहा, अचानक से ही इतनी शांति मिली मुझे, शांति का एहसास हुआ, जो पहले मुझे कभी नहीं हुआ था।"
मेरे लिए यह हमेशा से था कि "हे भगवान! इस व्यक्ति को शांति का तज़ुर्बा हुआ जेल में बंद रहते हुए भी।" उनका क्या जो जेल में बंद नहीं हैं। हां, वो — वह भी तज़ुर्बा कर सकते हैं। मैं कुछ करने के लिए तत्पर हूं और हम इसकी संभावना को देख रहे हैं कि जितने भी लोग लॉकडाउन में हैं, शायद हम सभी मेरे साथ पीस एजुकेशन प्रोग्राम को देख सकते हैं और मैं मदद करूंगा उनकी, पीस एजुकेशन प्रोग्राम को करने में। मेरा मतलब, यह कमाल की बात होगी सच में। क्योंकि यह उन पर कमाल का काम करता है, जो जेल के अंदर बंद हैं और एक तरह से हम सभी जेल के अंदर बंद हैं। यह ऐसा है कि हम सभी घरों में हैं, लेकिन बंद ही तो हैं, तो हम इसकी संभावना को देख रहे हैं मेरा मतलब, यह कमाल का हुआ, यह कमाल होगा।
लेकिन उस वक्त तक कृपया डरिये नहीं, बिलकुल मत डरिये, हिम्मत रखिये आप सभी लोग, धैर्य रखिये; समझ रखिये यह भी गुजर जायेगा वक्त। जी बिलकुल, यह चला जाएगा। और जहां तक सवाल है आपके परिवारजनों का और उनके साथ समय बिताने का — चाहे पसंद हो या ना हो वह आपका ही हिस्सा हैं और ठीक है, यह अच्छा है कि आप उन्हें स्वीकारें, उन्हें प्यार करें। आपको केवल उनके प्रति एक जिम्मेदारी का भाव ही नहीं रखना है कि “देखिए मुझे यह करना है; मुझे वह करना है; अब मुझे यह पता करना है; मुझे ऐसे पता करना है; यह करना है।” नहीं! बस वह रहिये, जो आप हैं और उन्हें वैसा रहने दीजिए जैसे वह हैं। बहुत-बहुत अच्छे तरीके हैं सब से जुड़ने में।
क्या लगता है कि लोग पुराने समय में क्या करते थे उस वक्त ? मेरा मतलब, हम वह सब भूल गए हैं "आइए! यहां आइए एक कहानी सुनते हैं या एक कहानी पढ़ते हैं, एक कहानी पर चर्चा करते हैं।" किसी बात पर खुश होते हैं। मैं खुशकिस्मत था लगता है मुझे — जब मैं बड़ा हो रहा था तब टीवी नहीं था, ऐसा नहीं कि इसका आविष्कार नहीं हुआ था। यह बस इंडिया में, यह नहीं आया था और मैं क्या करता था ? कहानी सुनता था मैं उनसे खुश होता था कोई भी ऐसा, जो मुझे कहानी सुना सकता था मैं उन पर ध्यान देता था। यह कितना अच्छा होता था। एक समय था जब टीवी नहीं था और उस समय इंडिया में जब रेडियो आया ही था, यह कभी-कभी आता था और यह कभी-कभी नहीं आता था। शायद एक घंटा या डेढ़ घंटा या फिर दो घंटे और फिर यह बंद हो जाता था — आप क्या करते थे उस समय ? कुछ समझते हैं, आप कुछ खोजते थे। आजकल तो इतना कुछ आता ही रहता है कि हम अपने आपको भूल गए हैं। इस तकनीकी का प्रयोग किए बिना रहना और इस फोन के बिना रहना और सोशल मीडिया के बिना रहना — हम यह सब बातें भूल गए हैं और एक समय की बात है लोग बस ऐसे ही थे और वह खुश भी थे। मेरा मतलब, कुछ बुरी बातें थीं, क्योंकि नालियां नहीं थीं शायद और सबकुछ बदबू देता था थोड़ी-सी लेकिन उन सबके अलावा, हे भगवान, लोग कहते हैं "मैं तो पागल हो रहा हूं!"
पर आप पागल कैसे हो सकते हैं, आप जीवित हैं। यहां पर कुछ कमाल का चल रहा है और फिर ऐसे लोग हैं जो उम्मीदों में बंधे हुए हैं कि उनकी उम्मीदें क्या हैं और एक-दूसरे से उनकी उम्मीदें और फिर वह साथ नहीं आ पाते। क्योंकि उम्मीदें बीच में आ जाती हैं। यह समय उम्मीदों का नहीं है। यह समय है जीने का। आप हो सकते हैं, जी हां! रह सकते हैं। आप एक इंसान हैं सबसे पहली चीज जो आप हैं वह, "आप एक इंसान हैं" और अब यह कहना ही अजीब-सा लगता है, पर मुझे कहना ही पड़ेगा, क्योंकि यही तो आप भूल गए हैं कि "आप एक इंसान हैं" और अगर हम यही भूल जाएं कि हम इंसान हैं तो हम क्या बन गए ?
बहुत-सी कंपनियां हैं, वह सब ज्यादा तकनीकी बनाती जा रही हैं, बनाती जा रही हैं और भी ज्यादा और असल में उनमें से एक — पर बात यह है हमें फर्क नहीं पता कि “जरूरत और चाहत क्या है ?” हम चाहत के गुलाम बन चुके हैं यह हम भूल गए हैं कि हमारी जरूरत क्या है ? एक बहुत ही बड़ी कंपनी है, यह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी में से एक है और वह बहुत-सी चीजें बनाते हैं और उसमें से एक भी चीज की हमें जरूरत नहीं है और वह बहुत-बहुत बड़ी कंपनी है। मेरा मतलब, बहुत ही बड़ी, आर्थिक रूप से बहुत बड़ी। लोग बस उनके लिए पागल से हैं और उनकी बनाई गई एक भी चीज हमें असल में चाहिए। यह हैरानी की बात है, चौंकाने वाली बात है और इतनी सारी चीजें जिन पर हम आकर्षित होते रहते हैं। हम नहीं समझते कि वह चीजें, जिन्हें हम सच में आकर्षण कहते हैं वह हमें भटकाती हैं। क्योंकि अगर वह आपको खुद से दूर ले जाती हैं — यही परिभाषा है ध्यान भटकाने की, जो आपसे आपको दूर ले जाए। यही है परिभाषा ध्यान भटकाने की।
आपको खुद के पास घर लौटना ही होगा। आपको वह अच्छाई महसूस करनी है, जो आपके हृदय में है; वह खुशी, जो हृदय में है; वह स्पष्टता, जो आप में नृत्य करती है; वह शांति, जो आपके भीतर है; वह धैर्य, जो आप में है; वह हिम्मत, जो आपके भीतर है; आपको उन चीजों को जानना ही है और यही वह मौका है यह सब करने का। यही मौका है वह करने का। जब मैं यह देखता हूं जैसे कि "हे भगवान! यह कोरोना वायरस अच्छा कैसे है ?" यह अच्छा नहीं है, सच मानिये अच्छा नहीं है। पर फिर मैंने एक फुटेज देखी — एक मछली पोर्पोइस (Porpoise) वेनिस इटली में प्रदूषण इतना कम हो गया है कि यह पोर्पोइस मछली यहां पर वापस आ गई है। आप पानी के भीतर देख सकते हैं, आप समुद्र की गहराई देख सकते हैं। जी हां! आप मछलियां देख सकते हैं; आप स्वॉनस (Swans) देख सकते हैं और ऐसा है, “हम्म!” फिर मैंने देखा जैसे चाइना का प्रदूषण बिल्कुल चला गया है जैसे कि “हम्म!”
हमने क्या किया है ? हमने क्या बनाया है ?” हमने अपनी चाहत की वजह से एक दैत्य बनाया है और यह धरती को नष्ट कर रहा है, हमें तबाह कर रहा है और इसके अलावा कुछ नहीं।
जब आप इस कोरोना वायरस के कुछ आंकड़ों को देखते हैं, हजारों-हजारों-हजारों की तादाद में लोग ठीक भी हुए हैं और कुछ लोगों को कम लक्षण दिखते हैं, काफी कम। कुछ जगह हैं जहां पर लोग मर रहे हैं वह मर रहे हैं हॉस्पिटल्स के ना होने की वजह से और इसलिए क्योंकि सही चिकित्सक उपकरण नहीं है वहां पर। पर, जो भी हो रहा है शायद यह एक तरीका है याद दिलाने का कि हम इंसानों की तरह हमें लौटना है उस कमाल की चीज पर जो कहलाती है "इंसानियत!" हमें दोबारा इंसान बनना है, हमें समझना है कि हम कौन हैं और जरूरतें हमारी क्या हैं ? चाहत नहीं, हमारी जरूरतें। शायद यही एक बढ़िया तरीका है पुरानी चीजों पर लौटने का, उस तक लौटने का जो हमारे भीतर पहले से है।
तो मेरे दोस्तों चाहे जो भी हो बस याद रखिए — “धैर्य रखें; हिम्मत से काम लें!” आपके भीतर कमाल की चीजें हैं वह। अब समय है उसे साझा करने का, उसे बाहर लाने का, समय है खजाना निकालने का और यही है संभावना; यह मौका। तो ख्याल रखिये; सुरक्षित रहिए; सेहतमंद रहिये — और सबसे जरूरी बात खुश रहिये आप सभी!