एक सच्चाई है कि जीवन में निराशा है तो आशा भी है!
यह आपका जीवन है। इस जीवन के अंदर कम से कम कुछ तो अच्छा करें कि इस जीवन में भी आशा का दीपक जल उठे और यह तभी संभव है जब ऐसा मार्गदर्शक मिले जो हमारे अंधेरे जीवन में प्रकाश लेकर आये और हमारी समस्त निराशाओं को आशाओं में बदल दे।
मनुष्य अपने जीवन में सदैव यही आशा करता है कि उसका जीवन सुखमय हो। उसके जीवन में कभी दुःख न आये। परंतु सच तो यह है कि जीवन में सुख-दुःख जीवन भर चलता रहता है। जब दुःख आता है तो मनुष्य निराश हो जाता है, जब सुख आता है तो उसमें इतना खो जाता है कि उसे यह भी ध्यान नहीं रहता कि दुःख दोबारा भी आ सकता है क्यांकि वह सुख सिर्फ कुछ पल के लिये ही होता है। इसी सुख-दुःख के चक्कर में जीवन पूरा हो जाता है।
जीवन है तो समस्याएं भी हैं। मनुष्य इन समस्याओं से बच नहीं सकता। क्योंकि ये सभी समस्याएं हमारी ही बनाई हुई हैं। समस्याओं का बोझ अमीर-गरीब सबके लिए बराबर है। ये बात अलग है कि ये समस्याएं प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक नया रूप ले लेती हैं, जिससे सभी को दुःख पहुंचता है और दुःखों को झेलते-झेलते मनुष्य में निराशा आ जाती है।
परंतु एक सच्चाई यह है कि जीवन में निराशा है तो आशा भी है! आशा यह है कि जैसे सूर्य उदय होता है, अस्त होता है और एक नई सुबह आती है, ठीक उसी प्रकार मेरा भी हर दिन आशाओं से भरा होना चाहिए। जो कुछ भी मैंने कल किया, जो भी मेरी कल समस्याएं थी, वह सब आज मेरे लिए बदल सकती हैं। मैं अपने जीवन में अपनी असली आशा को पाऊं।
क्योंकि बनाने वाले ने हमको यह शरीर दिया है, यह स्वांस दिया है, जो अनमोल है। परंतु हम दुनिया के और चक्करों में फंस जाते हैं और जो सच्चाई हमारे हृदय में स्थित है उससे अंजान रह जाते हैं। हम सोचते हैं कि नौकरी, परिवार, जिम्मेदारियां हैं — यही सब कुछ हमारा जीवन है। लेकिन यह जीवन नहीं है। इस जीवन की अगर कोई कड़ी है तो वह है एक-एक स्वांस जो अंदर आता है और जाता है। जिस दिन इस स्वांस का आना-जाना बंद हो जाएगा, आपका मान-सम्मान, आपके रिश्ते-नाते, आपकी नौकरी, आपका धन-वैभव और वो सारी चीजें, जिनको आप अपना जीवन समझते हैं, वे सब समाप्त हो जाएंगी।
अगर जीवन का कुछ लक्ष्य होना चाहिए, तो वो यह है कि मैं उस चीज को जान लूं, जिसके अभाव में मैं कुछ नहीं हूं और जिसके होने से मैं सब कुछ हूं। अगर मैं उस चीज को नहीं जानता हूं तो मेरा जीवन अधूरा है। क्योंकि इस संसार से जाना सबको है! कब जाना है, यह किसी को नहीं मालूम। परंतु कम से कम कुछ तो अच्छा करें कि इस जीवन में भी आशा का दीपक जल उठे, क्योंकि यह आपका जीवन है। और यह तभी संभव है जब ऐसा मार्गदर्शक मिले जो हमारे अंधेरे जीवन में प्रकाश लेकर आये और हमारी समस्त निराशाओं को आशाओं में बदल दे।
- प्रेम रावत