Title : निराशा क्यों होती है ?
कनुप्रिया: निराशा न सिर्फ एक पीढ़ी को, हर पीढ़ी में फैल रही है। क्या है यह निराशा का इतना प्रभाव कि उठने को ही नहीं आने दे रहा है ? सबकुछ होते हुए भी, सबकुछ ना होते हुए भी, निराशा एक है, जो है साथ में।
प्रेम रावत जी: एक छोटा बच्चा डॉक्टर के पास गया और बच्चे ने डॉक्टर से कहा कि ‘‘डॉक्टर साहब! मैं अपने को जहां भी छूता हूं, दर्द होता है।
कनुप्रिया: बहुत सही बात है!
प्रेम रावत जी: ‘‘मेरे घुटने में भी दर्द हो रहा है, मेरे सिर में भी दर्द हो रहा है, मेरे कान में भी दर्द हो रहा है, मेरी नाक में भी दर्द हो रहा है, मेरे दांत में भी दर्द हो रहा है, मेरे सिर के ऊपर भी दर्द हो रहा है, मैं यहां लगाता हूं फिर भी दर्द हो रहा है, सब जगह दर्द हो रहा है।’’
डॉक्टर ने जांच-बींच की और कहा, ‘‘तेरी उंगली टूटी हुई है। तू अपनी उंगली को जहां भी लगाता है, दर्द होता है।’’
तो यही बात हमारे साथ है। मतलब, मैं अपने को इस बात से जुदा नहीं कर रहा हूं। क्योंकि जो निराशा का कारण है, वो है हमारी नासमझ! और नासमझ एक ऐसी चीज है, जो हमारे साथ चलती है। जहां हम जाते हैं, हमारे साथ आती है। नासमझ यह थोड़े ही है कि किसी चीज को निकाल करके यहां रख दिया। ना! हमको यह समझना है कि समझ भी हमारे अंदर है और नासमझ भी हमारे अंदर है। अंधेरा भी हमारे अंदर है, प्रकाश भी हमारे अंदर है। जिसको आप प्रकट करेंगे, वही प्रकट होगा, जिसको आप प्रकट करेंगे।
गुस्सा करने में आपको कितने मिनट लगते हैं, कितने सेकेंड लगते हैं ?
क्योंकि गुस्सा भी आपके अंदर है। परंतु आपकी समझ क्या है ? झुंझलाए हुए हैं। सब के सब झुंझलाए हुए हैं। एक तिनका और अगर सिर पर पड़ जाए, खत्म! स्ट्रेस! स्ट्रेस! स्ट्रेस! स्ट्रेस! स्ट्रेस! सबके ऊपर!
होता क्या है ? लोग हैं, लगे हुए हैं, लगे हुए हैं, लगे हुए हैं, लगे हुए हैं...। चैन का कोई नाम नहीं ले रहा है। शांति का कोई नाम नहीं ले रहा है। जब उम्र ज्यादा हो जाएगी तो जितना कमाया, जितना कमाया, ये सब डॉक्टरों के पास जाएगा, सब डॉक्टरों के पास जाएगा। क्यों ?
फिर तबियत खराब होगी, फिर अस्पताल में ले जाएंगे और पड़े रहेंगे — अब ये चाहिए, अब ये चाहिए, अब ये चाहिए! अरे! मैं मर गया! अरे! मेरा यहां दर्द हो रहा है। अब यहां दर्द हो रहा है। चैन से तो जिंदगी गुजारी नहीं।
तो जब हमारी जिंदगी के अंदर कुछ इस प्रकार की चीजें होने लगती हैं, तो यह गलत दिशा है। और कम से कम मैं इस बात को समझता हूं और जो मैं कह रहा हूं, इस बात को आप लोग भी समझते हैं।
आप लोगों ने भी देखा है, क्या होता है ? बेपरवाही! इस जिंदगी के अंदर बेपरवाही!
इस स्वांस को न समझना, इस आशीर्वाद को न समझना — तो इसके साथ यही होगा। और सारी दुनिया कन्फ्यूज़ पड़ी है।
और मेरा यह कहना है कि वो, जो तुम्हारे हृदय के अंदर व्यापक है, वह ठीक करना चाहता है, परंतु उसको ठीक करने तो दो! और वह कहां से करेगा ठीक ? तुमसे करेगा ठीक!
Text on screen:
हमारी नासमझी ही हमारी निराशा का कारण है!