प्रश्नकर्ता : सर! मैं पूछना चाहता हूं कि परिवार की समस्याओं के साथ शांति कैसे लाई जा सके। चूंकि हमारी जिम्मेदारी परिवार के प्रति बहुत होती है और कोशिश भी करते हैं, फिर भी उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाते। तो कृपया मार्गदर्शन करें!
प्रेम रावत जी : देखिए! जहां तक परिवार की बात है — मैं एक चीज आपको याद दिलाऊं कि — आप जानते हैं कि चेन क्या होती है। जैसे बाइसिकिल की चेन होती है। तो उसमें छोटे-छोटे, छोटे-छोटे लिंक्स होते हैं। आपको अच्छी तरीके से मालूम है कि एक — अगर उसमें सौ लिंक भी हैं और एक लिंक निकाल दिया जाए और 99 हैं तो वो चेन, चेन नहीं रहेगी। अब उसका वो लिंक टूट गया है।
सबसे पहले आप यह मालूम करिए अपने आप में कि आप क्या योगदान करते हैं, अपनी फैमिली की happiness के लिए ?
मैं खाने की बात नहीं कर रहा हूं, मैं घर की बात नहीं कर रहा हूं! देखिए! फैमिली एक ऐसी चीज है कि वो भूखे हैं, आप हैं, प्यार है तो वो भूखे भी चलेगा, फैमिली रहेगी! बारिश भी हो रही है, छत नहीं है, फैमिली है, आप सब साथ हैं, तो भी चलेगा। फैमिली चीज ही एक ऐसी है। तो आप अपनी फैमिली को क्या योगदान कर रहे हैं ? आप उनके problems solver बन गए हैं या अभी भी आप वो फैमिली के हिस्से हैं, जो कि उस फैमिली में सुकून, चैन, happiness, joy ला सकते हैं। और वो, जब आपकी फैमिली है तो वो रहेगा।
अब लोग क्या हैं! लोगों को फैमिली में भी — अभी ये बात मेरे से दो-तीन साल पहले किसी ने पूछी थी कि हमारे फैमिली में ये सब चुगली होती रहती है, ये सबकुछ होता रहता है और disharmony होती रहती है।
तो मैंने कहा कि "आपका क्या योगदान है उसमें ?"
तो पहले तो उनको लगा कि "ऐं ? मेरा क्या योगदान है ?" फिर उनको समझ में आया कि मैं क्या कह रहा हूं और उनका वो योगदान था।
देखिए! आप घर आते हैं अपनी नौकरी से। थके-मांदे आते हैं। और आपको ये है कि थोड़ा-सा चैन मिल जाए। और घर आते हैं तो कई बार ये होता है कि "मेरे को ये चाहिए, पापा! ये चाहिए, पापा! ये चाहिए, मेरे को ये कर दो! मेरे को ये कर दो, ये कर दो!" ये एक दिन में नहीं बदलेगी बात। क्योंकि ये माहौल आपने बनाया, इसमें मदद किया आपने इस माहौल को बनाने में। क्योंकि जब वो छोटे ही छोटे, छोटे, छोटे, छोटे थे — "वो! बहुत प्यारा है! हां! मैं ऑफिस से आया हूं, ये है, वो है!" पर धीरे-धीरे वो बड़े हो रहे हैं। ये तो वही वाली बात है, जैसे शेर पाल रखा है न ? जब वो छोटा है तो म्याऊं-म्याऊं करता है। और जब बड़ा हो जाता है तो वही शेर "हाऽऽऽऽऽऽ' करके आता है। इस माहौल को भी आप बदल सकते हैं। इस माहौल को भी आप बदल सकते हैं कि "आओ! बैठो! दो बात करो! दो बात! डिमांड नहीं।"
देखिए! अब मैं यहां इसलिए नहीं आया हूं कि मैं दुनिया की सारी समस्याएं solve करूं। परंतु सबसे बड़ी चक्कर — सबसे बड़ा चक्कर क्या है इस दुनिया के अंदर आप जानते हैं ? लोग एक-दूसरे की बात नहीं सुनते हैं। लोग एक-दूसरे की बात नहीं सुनते हैं। विद्यार्थी, टीचर की बात नहीं सुनते हैं। और कई बार — विद्यार्थी तो यही कहेंगे, टीचर हमारी बात नहीं सुनते हैं। नागरिक politician की बात नहीं सुनते हैं, politician नागरिक की बात नहीं सुनते हैं। पुलिस वाले यही कहेंगे, वो हमारी बात नहीं सुनते हैं और नागरिक यही कहेंगे, वो हमारी बात नहीं सुनते हैं। दो बात सुनने के लिए क्या लगेगा ? कुछ नहीं। कुछ नहीं! कुछ नहीं! कुछ नहीं। परंतु दो बात सुन लीजिए अपनी फैमिली से। और मैं सच कहता हूं कि वो दो बात अगर आप सुनना शुरू करें तो वो एक दिन तीन शब्दों में बदल जायेगी — I love you!