अगर मैं आपको कहूं कि पहला कदम आपका आगे नहीं होगा।
ये सब सोच रहे हैं कि आगे कदम लेना है। आगे कैसे बढ़ेंगे ?
आगे नहीं लेना है, अंदर की तरफ लेना है। क्योंकि Peace — जो शांति आपको चाहिए, वह आपके अंदर है। अभी भी है। और जब आप गुस्सा होते हैं न, तब भी है और जब आप अपने को कोसते हैं किसी वज़ह से, तब भी है। और जब आप खुश होते हैं, तब भी है। जब आप दुःखी होते हैं, तब भी है और आपके अंदर है।
और पहला कदम है, सबसे पहला कदम है कि — इस बात को आप जानिए कि आपके अंदर शांति है। क्योंकि अभी तक जो कुछ सिखाया गया है आपको, वो ये है कि जो आप — जिस चीज की आपको जरूरत है, वह आपके पास नहीं है।
खिलौना जो आपको चाहिए था, वो कहां है ?
बाजार में है। वो तो जाकर लेना पड़ेगा।
एज़ुकेशन जो आपको चाहिए थी, वो कहां है ?
वो स्कूल में है। स्कूल में आपको जाना पड़ेगा।
परंतु शांति की जहां बात है, वो बाहर नहीं है, वह आपके अंदर है। और जिस दिन आप यह जान जाएंगे कि — एक, शांति आपके अंदर है और दूसरी, शांति आपकी जरूरत है, चाहत नहीं। क्योंकि चाहत आपकी बदलती रहती है। इसीलिए आपके क्लॉज़ेट में ऐसी चीजें हैं, जो एक दिन आपने खरीदी और आज आप उनको इस्तेमाल नहीं करते हैं। क्योंकि आपकी चाहत बदलती रहेंगी। परंतु जिस दिन आप पता कर लेंगे कि शांति आपकी जरूरत है, उस दिन...
क्योंकि आज लोग यही कर रहे हैं, "मैं खोज रहा हूं। मैं शांति को खोज रहा हूं।"
तो ये रूमाल मेरे जेब में है। अब ये रूमाल को कहां ढूंढ़ूं मैं ? और कितना ढूंढूं ? कहां ढूंढ़ूं ?
मैं चाहे सारे संसार की यात्रा कर लूं, परंतु ये नहीं मिलेगा मेरे को संसार में। क्योंकि मेरी जेब में है और जेब में ढूंढ़ूंगा तो तुरंत मिलेगा। तो यही बात है। तो लोग खोज रहे हैं। मैं कह रहा हूं, खोज रहे हो तो खोजते रहो। खोज लो! आज तक किसी को मिली नहीं खोजने से, क्योंकि वो तुम्हारे अंदर है।
- प्रेम रावत