प्रेम रावत
दुनियादारी की जो बातें हैं, उनमे लोग ऐसा उलझ जाते हैं कि पूछो मत।
यहाँ कोई ऐसा नहीं है बैठा हुआ, जिसको यह नहीं मालूम हो कि एक दिन जाना है। और कितने दिन तुम यहाँ रहोगे। ये जो तुम्हारा समय है, ये कितना लम्बा है?
सोंचने की बात है। सोंचना इसके बारे में। अपने आप को बिना सोंचे जवाब मत देना।
सोंचना।
जो तुम्हारा यहां समय है, जबसे तुम पैदा हुए और जिस दिन तुमको जाना है, वह समय कितना लम्बा है ? तुमको तो लम्बा लगता है। तुमको तो 24 घाटे लम्बे लगते हैं। तुमको एक दिन ज़्यादा लम्बा लगता है।
दो दिन...कोई कह दे, "हाँ चार दिन के बाद आएगा।" "चार दिन के बाद? अरे यह तो बहुत समय हो गया।"
हर एक चीज़ तुमको तुरंत चाहिए तुरंत, तुरंत, तुरंत, तुरंत, तुरंत। हर एक चीज़।
लोगों को 15 घाटे हवाई जहाज में बैठना पड़ता है, लोगों को अच्छा नहीं लगता। वो चाहते हैं कि हवाई जहाज उड़े और नीचे उतरे। बस, पहुँच जाएं, तुरंत। बस में, तुरंत। और एक घंटे की यात्रा है, दो घंटे की यात्रा है, तीन घंटे की यात्रा है, चार घंटे की यात्रा है, ये तुमको बड़ी लगती है। बहुत ज़्यादा है। पर तुम्हारी यात्रा, तुम्हारी। बस की नहीं, टैक्सी की नहीं, स्कूटर की नहीं, हवाई जहाज की नहीं, पानी के जहाज की नहीं, तुम्हारी यात्रा कितनी लम्बी है ?
अगर किसी से कहा जाए कि, "पछत्तर साल के बाद मिलेंगे", तुमको नहीं लगेगा कि पछत्तर साल तो बहुत होते हैं? पछत्तर साल के बारे में तो मच्छर सोंच भी नहीं सकता है कि वो कितना समय है।
पर जो तुमको लगता है कि अभी तुम्हारे पास समय है, ये माया का प्रकोप है। क्योंकि यह है नहीं। और उससे पहले कि तुम संभल पाओ, जाने का समय हो जाएगा। कोई नहीं रहेगा।
सब कुछ बदलेगा।
तुम बदलाव नहीं चाहते हो पर बदलाव होता है तुम्हारे जीवन में, और एक ऐसा बदलाव होगा तुम्हारे जीवन में, ऐसा बदलाव होगा, ऐसा बदलाव होगा, जिसके बारे में तुम सोंच भी नहीं सकते।
तो मैं ये सब कुछ क्यों कह रहा हूँ ? मैं इस लिए कह रहा हूँ, कि, "तुमको अपने जीवन में सबसे पहली चीज़ क्या होनी चाहिए", इसको समझना बहुत ज़रूरी है।
क्यों ? क्यों ज़रूरी है ?
इस लिए ज़रूरी है, कि जितना समय तुम चाहते हो, या जितना समय तुम सोंचते हो कि तुम्हारे पास है, उतना समय तुम्हारे पास नहीं है। तो जब समय नहीं है तो सबसे पहले वो करना चाहिए जो सबसे ज़रूरी है। नहीं ?
"मानुष जनम अनमोल रे, माटी में न रोल रे अब तो मिला है, फिर न मिलेगा, कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे।"