बहुत जरूरी है कि हम अपने आपको जानें! यह है शांति की सबसे पहली सीढ़ी।
बुरा समय भी आता है, अच्छा समय भी आता है। जब बुरा समय आता है तो एक बात का ख्याल रखो — एक दिन यह जाएगा।
श्री प्रेम रावत, पी.टी.सी न्यूज़ के साथ संवाद
एक झलक
ऐंकर :
थोड़ा-सा पंजाब में लेकर चलता हूं। पंजाब में एक सबसे मेजर प्रॉब्लम चल रही है — farmers suicides की। किसान बहुत आत्महत्याएं कर रहे हैं। हर रोज तीन-चार की एवरेज बन रही है कि किसान suicide कर रहे हैं और सबसे बड़ा कारण है कि उनके ऊपर कर्जा बहुत है। कर्ज बहुत है! तो बहुत बार ये हुआ कि पंचायतें इकट्ठी हों, उनका मनोबल बढ़ाया जाए कि नहीं, suicide किसी भी बात का हल नहीं है, कोई जरिया नहीं है। हम आपके साथ हैं। कुछ न कुछ मिल-बांटकर करेंगे। But, इसका कोई असर नहीं हो रहा है। लगातार suicides हो रहे हैं।
ऐसी स्थिति में जब बैंक वाले उसके घर में रोज आते हैं, ऐसी स्थिति में जब वो गांव के बाहर नहीं जा सकता, ऐसी स्थिति में जब घर का चूल्हा ठंडा पड़ा है, उस स्थिति में क्या किसान जी पाएगा ? उसके अंदर की परिस्थिति ऐसी बनी होती है — उसको लगता है कि एक जरिया — मैं मर जाऊं, सब खत्म! ये नहीं पता कि पीछे वाले तिल-तिल मरते रहेंगे फिर भी।
प्रेम रावत जी :
देखिए! लाचारी, ये बहुत बड़ी बीमारी है। बहुत बड़ी बीमारी है! क्योंकि जब मनुष्य अपने आपको देखता है कि वह लाचार है, उसके पास कोई रास्ता नहीं है, कोई आशा नहीं बची। निराश हो जाता है! ये ठीक बात नहीं है। किसान अन्नदाता है। वह अन्न उपजाता है। उससे ये दुनिया चल रही है।
ऐंकर :
बिल्कुल!
प्रेम रावत जी :
हम फ्यूल की तरफ, पेट्रोल की तरफ लगते हैं। पेट्रोल से दुनिया नहीं चल रही है। मनुष्य चल रहे हैं तो उस पेट्रोल से, जो किसान उगाता है। जो उस जमीन से, उस धरती से निकलता है। और उन सभी लोगों को, जो भी कभी लाचार हों, उनको मैं यह कहना चाहता हूं कि जब सारे संसार के अंदर अंधेरा, अंधेरा, अंधेरा ही दिखाई देता है, तब भी तुम्हारे हृदय के अंदर एक दीया है, जो जल रहा है। अगर उस दीये को तुम बाहर ले आए तो वह तुम्हारी अंधेरी दुनिया में उजाला कर देगा। निराश मत हो!