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जो आप हैं, जैसे आप हैं, इस पृथ्वी पर ऐसा न कभी कोई था और न कभी कोई होगा। आप जिस प्रकार रोते हैं वह आपका रोना है। जब आप हंसते हैं तो जिस प्रकार आप हंसते हैं, वह आपका हंसना है। ये जो सिग्नेचर आप हैं यह फिर कभी नहीं होगा। आप जैसे बहुत हैं, पर आप जैसा कोई नहीं है।
(प्रेम रावत) हमारे सभी श्रोताओं को हमारा नमस्कार। धीरे-धीरे चीजों में परिवर्तन आ रहा है। धीरे-धीरे मौसम में परिवर्तन आ रहा है। कल मैंने देखा कि यहां हवा में थोड़ी-थोड़ी ठंडी चालू हो गयी है। और ये सारे परिवर्तन आयेंगे। पहले भी आये थे। अब भी आ रहे हैं। और आगे भी आयेंगे। मैं एक चीज की चर्चा कर रहा हूं आजकल। और बात यह है कि कोई भी चीज है उसको हमारे देखने का तरीका, हमारा नज़रिया कैसा है! हम उस चीज को किस प्रकार देखते हैं। क्या, कोई भी चीज होती है
कबीरा कुंआ एक है, पानी भरे अनेक। भांडे का ही भेद है, पानी सबमें एक।
एक ही कुंआ है। एक ही कुंए के पास आते हैं। एक ही कुंए से सब लोग पानी भरते हैं। पानी वही है। हां, भांडे अलग-अलग हैं। किसी ने किसी तरीके से सजाया हुआ है। किसी ने किसी तरीके से सजाया हुआ है। किसी ने किसी तरीके से सजाया हुआ है। सबके अलग-अलग हैं, पर पानी सबमें एक ही है। यही बात है समझने की कि ये जो है, ये भांडा ये सब अलग-अलग हैं। पर इसके अंदर जो बैठा है वो एक ही है। वो सबके लिए एक है। और बात उसी से शुरू होती है, उसी से शुरू होती है।
अब लोग हैं घबरा जाते हैं। अभी मैं पढ़ रहा था किसी ने चिट्ठी लिखी कि “मेरा भाई भी बीमार है। मेरा दूसरा भाई भी बीमार है और मैं क्या करूं ?”
तो देखिये, दुखी होने की बात तो ये है। परंतु दुख से ही सारा काम नहीं होगा। दुख से ही सारा काम नहीं होगा, हिम्मत से भी काम लेना है। तो दुखी होना कि “हां, ये अच्छा नहीं हो रहा है कि मेरा भाई बीमार है या मेरा दूसरा भाई भी बीमार है।” परंतु अगर तुम भी बैठ जाओगे, तुम भी रोने लगोगे तो उनका क्या होगा ? क्योंकि जब किसी के जीवन के अंदर दिक्कत आती है तो उसको और दिक्कत वाले नहीं चाहिए। उसको ऐसा व्यक्ति चाहिए जो खुद परेशान न हो ताकि वो उनको हिम्मत दे सके, उनकी मदद कर सके। और जो मदद कर सकता है उसकी उनको जरूरत है। समझने की बात है।
तो लोगों के सामने समस्याएं आती हैं लोग घबराने लगते हैं अब क्या होगा ? पर एक के साथ तुमने अपना तार नहीं जोड़ा, वो क्या ? जो था, जो है, जो रहेगा। और जो वो है, क्या वो भी ये सोचता है कि आगे क्या होगा ? उसके लिए तो सबकुछ है। तुम्हारे लिए, अगर तुम उसको पहचान लो अपने जीवन में तो तुम्हारे लिए भी सबकुछ है। क्योंकि तुम्हारे लिए वो है चौबीसों घंटे तुम्हारे अंदर वो है। क्योंकि वो है तुम जीवित हो और जिस दिन वो नहीं रहेगा तुम भी नहीं रहोगे। क्या उससे नाता जोड़ा ? क्या उससे जो नाता जुड़ना है, क्या उस नाते को तुम समझे ?
तीन चीजें हैं। और इनके बारे में मैं आगे वीडियो में आपसे चर्चा करूंगा। एक तो वो है जो अनंत है — जो था, जो है, जो रहेगा। दूसरे हैं आप — जो नहीं थे, अब हैं और आगे नहीं रहेंगे। नहीं थे, हैं और आगे नहीं रहेंगे। अब लोग हैं “हां जी हम तो, हम तो थे, पहले थे हम, थे!”
आपने कभी अखबार पढ़ा है ? अखबार में एक हिस्सा होता है उसे कहते हैं — Obituaries तो उसमें लिखा जाता है कि फलां-फलां चले गये। फलां-फलां चले गये। फलां-फलां चले गये। श्री राम दयाल शर्मा हमको छोड़कर चले गये। श्री पंकज श्रीवास्तव चले गये। फलां-फलां के बारे में हम आपके परिवार आपको बहुत मिस कर रहे हैं। चले गये। चले गये। चले गये। चले गये। चले गये। तो जाने वालों का तो सारा एक वो बना हुआ है, पेज। फलां-फलां चले गये। फलां-फलां चले गये। फलां-फलां चले गये। फलां-फलां चले गये। पर कभी आपने अखबार में वो वाला पेज देखा है कि वो फलां-फलां वापस आ गये। वो फलां-फलां वापस आ गये। वो फलां-फलां वापस आ गये। श्रीवास्तव जी वापस आ गये। अब उनका नाम ये है। वो नहीं मिलेगा आपको। क्यों ? क्यों नहीं मिलेगा ? गये। कहां गये ? किसी को नहीं मालूम। कहां गये, किसी को नहीं मालूम। पर इन तीन चीजों के बारे में चर्चा करना चाहता हूं मैं। और इसके बारे में और भी चर्चा करूंगा — जो था, जो है, जो रहेगा।
पहला — था, है, रहेगा। उसका कभी नाश नहीं होता है। एक आप हैं — जो नहीं थे, हैं, हैं पर आगे नहीं रहेंगे। ये भी समझने की बात है। और तीसरा, तीसरी बात है इस माया की। जिसके पीछे आप लगे हुए हैं — देखिये तीन चीजें जो हो गयीं। एक तरफ तो वो है जो था, जो है, जो रहेगा। और बीच में हैं आप — जो नहीं थे, हैं, नहीं रहेंगे। और तीसरी चीज क्या है इसके बीच में आप हैं — जो नहीं थी, जो नहीं थी। और संत महात्माओं का कहना है — जो नहीं है। सबसे बड़ी बात — जो नहीं है। और तीसरी — नहीं रहेगी। और आप पड़े हुए हैं उसके पीछे जो नहीं थी, जो नहीं है, जो नहीं रहेगी। और पड़ना चाहिए आपको किसके पीछे — जो था, जो है, जो रहेगा। क्योंकि आप नहीं थे, अब हैं और आगे नहीं रहेंगे। पर उसके पीछे नहीं पड़े। पड़े किसके पीछे? जो नहीं थी, नहीं है, और नहीं रहेगी। इसीलिए उसको माया कहा। ये माया है। ये सब माया का खेल है।
तिजोरी में सोना पड़ा है। लाला क्या सोचता है कि “ये मेरा है।” ये तुमसे पहले किसी और का था, आज तुम्हारा है, कल तुम्हारा नहीं रहेगा। नहीं रहेगा। सारी चीजों के बारे में अगर देखा जाये। यही सब जगह हो रहा है। ये तुम्हारा था! नहीं, ये तुम्हारा नहीं था, इससे पहले किसी और का था, अब तुम्हारा है और आगे नहीं रहेगा। जबतक तुम हो तुम्हारा असली में है क्या ? ये माया या वो जो था, है और रहेगा। और उसको जान लो, उसको समझ लो, तो तुम्हारे जीवन में आनंद ही आनंद है। और उसको नहीं समझ पाए, उसको नहीं समझ पाए तो भटकते रहोगे। खोजते रहोगे क्या चीज तुमको खुशी लाती है ? क्या चीज तुम्हारे जीवन के अंदर तुमको खुश करेगी ? और तुम लग जाओगे पीछे जैसे रोमांस होता है और जब उम्र हो जायेगी तो कैसा रोमांस! तुम समझते हो जब यम आता है लेने के लिए तो वो भी देखेगा कि “हां, दोनों रोमांटिक हैं जरा बीस मिनट और छोड़ देते हैं।” ना, उसके लिए तो एक भजन है —
हंसा निकल गया पिंजरे से, खाली पड़ी रही तस्वीर।
और यमदूत के लिए क्या है —
जब यमदूत लेन को आवे, तनिक धरे नहीं धीर।
मार-मार के प्राण निकाले, बहे नैन से नीर।
हंसा निकल गया पिंजरे से खाली पड़ी रही तस्वीर।
वो थोड़ी देखेगा। ये है, वो है, ये रिश्ता है, वो रिश्ता है, ये नाता है, वो नाता है। ना, कुछ नहीं।
तो समझने की बात है। हिम्मत लेने की बात है। हिम्मत से काम करने की बात है। और उसको पहचानने की बात है — जो था, जो है, और जो रहेगा।
अपना ख्याल रखें, आनंद से रहें। इस कोरोना वायरस बीमारी से बचें।
और सभी लोगों को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार!