प्रश्नकर्ता : अंकिता
हैलो! प्रेम रावत जी, मेरा नाम अंकिता है और मैं एक स्टूडेंट हूं। मैंने आपके प्रोग्राम को बहुत बार सुना है और इतनी बार सुनने के बाद मेरे मन में एक क्वेश्चन आया है, जो कि मैं आपसे पूछना चाहती हूं। लोग जॉब करते हैं, पढ़ाई करते हैं, सबकुछ करते हैं सिर्फ सक्सेस पाने के लिए। क्योंकि उनका मेन मोटिव होता है that is to only achieve success, at onceलोग सक्सेसफूल हो जाते हैं। पर तब भी उन्हें सैटिस्फैक्शन नहीं होती है। They are always dissatisfied. कई लोग होते हैं कि सक्सेसपन नहीं मिलती तो डिप्रेशन में चले जाते हैं। तो मेरा क्वेश्चन यह है कि ये सैटिस्फैक्शन, मतलब हमें जिन्दगी में ऐसी कौन-सी और कब ऐसी सक्सेस मिलेगी जिसमें हम कम्प्लीटली सैटिस्फ़ाइड रहेंगे ?
प्रेम रावत:
चार चीजें — किसी भी मनुष्य के जीवन में स्थापित हो जाएं तो सारा रूख बदल जाए। अब मैं ये चार चीजों के बारे में इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि ये हमारे स्केल में नहीं हैं। जो हम लाइन बनाते हैं, उसमें नहीं है। और लाइन हो या न हो; आप अमीर हों या न हों; आप सक्सेसफुल हों या न हों; इससे कोई मायने नहीं रखता। ये आपकी चार निज़ी चीजें आपके अंदर होनी चाहिए।
सबसे पहली बात कि मनुष्य अपने आपको जाने!
दूसरा — उसके जीवन में आभार होना चाहिए। आभार! तो इसका मतलब है कि आप अपने बच्चे को, जिसने शैतानी की है, जिसको आप डाँटना चाहते हैं — डाँटने से पहले आप यह सोचें कि ये जो बच्चा है आपका, आपके जीवन में है, क्या आपके हृदय में इसके प्रति आभार है या नहीं ?
महिला एंकर : बच्चे के प्रति!
प्रेम रावत:
Are you thankful for your child ? किसी से आप लड़ने जा रहे हैं। आप भी जीवित हैं, वो भी जीवित है। क्या आपके जीवन में आपके जीने का आभार — इसका अनुभव करते हैं या नहीं ? आभार! To be thankful! इस जीवन के अंदर!
तीसरी चीज है कि आप अपने जीवन में असफलता को कभी स्वीकार न करें। आप अपने जीवन में असफलता को कभी स्वीकार न करें। असफलता हो — मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप कभी असफल न हों। नहीं। आप असफल तो होंगे। सफल भी होंगे, असफल भी होंगे। परंतु जब आप असफल हों तो उस असफलता को कभी स्वीकार न करें।
उदाहरण देता हूं मैं। जब आप, सभी लोग, सारे श्रोता जब आप बच्चे थे और आपने चलना सीखा, तो आप खड़े हुए। सबसे पहले खड़े हुए! फिर आपने थोड़े हिलकर के कदम लिए और आप गिर गए। असफल हुए। तो आप बैठ गए ? फिर खड़े हुए। तो आपके अंदर एक समय था कि ऐसी प्रेरणा थी कि असफल होते हुए भी आपने असफलता को कभी स्वीकार नहीं किया और फिर खड़े हुए और फिर खड़े हुए, और फिर खड़े हुए, और फिर खड़े हुए। और एक दिन आपने चलना सीख लिया। जब आपने बाइसकिल चलाना सीखा, साइकिल चलाना सीखा, आप गिरे, पर आपने कभी उस असफलता को स्वीकार नहीं किया। तो ये सफल होना और असफल होना, अपने में एक बात है और उस असफलता को स्वीकार करना अपने में दूसरी बात है। और आप अपने जीवन के अंदर असफलता को स्वीकार न करें।
और चौथी चीज — आपके बारे में कोई क्या सोचता है, इससे आपको मतलब नहीं होना चाहिए।
पुरुष एंकर : बहुत अच्छी आपने यह बात बोली।
प्रेम रावत : तो ये चार चीजें अगर मनुष्य के जीवन में हो जाएं...
महिला एंकर : यही नहीं हो पाता। कोई आपके बारे में क्या सोचता है, इससे बहुत फर्क पड़ता है।
पुरुष एंकर : हमारा ज्यादा वक्त इसी में निकल जाता है कि लोग हमारे बारे में क्या सोच रहे हैं।
प्रेम रावत:
जो आप सोच रहे हैं, वो आप सोच रहे हैं और जो आपको मालूम है, वो उसको नहीं मालूम है, जिसके बारे में आप सोच रहे हैं कि वो मेरे बारे में क्या सोच रहा है। तो वो क्या सोच रहा है ? वो सोच रहा है — किस फिल्म को देखने जाएं ? क्या खाएं ? आपके बारे में थोड़े ही सोच रहा है ? वो अपने सोच में मस्त है! परंतु आप बैठे-बैठे ये सोच रहे हैं कि वो मेरे बारे में क्या सोच रहा है, जबकि आपको नहीं मालूम कि वो नहीं सोच रहा है। परंतु फिर भी, क्योंकि आप हैं। आप कह रहे हैं, ‘‘अच्छा, मैं — ये सोच रहा होगा। ये सोच रहा होगा। क्योंकि, मैं होता तो मैं ये सोचता।’’ परंतु ये सबकुछ हो नहीं रहा है। ये सिर्फ एक इमेजिनेशन है आपके दिमाग में कि ऐसा होगा, ऐसा होगा, ऐसा होगा, ऐसा होगा। परंतु ये सारी चीजें दरअसल में नहीं होती हैं।
सफलता की जो लाइन है, जो दर्ज़ा है, वो हमसे शुरू होना चाहिए। किसी और से नहीं। तो ये चीजें अगर हम जरा ध्यान में रखें और अपने हृदय में हमेशा आभार! हर एक चीज की — हमारी माता हैं, हमारे पिता हैं, हमारे भाई हैं, हमारे बंधु हैं। अपने जीवन में जो कुछ है — जो कुछ नहीं है, नहीं। जो कुछ है, उसके लिए आभार है या नहीं ?