कहानी
एक बार एक राजा ने अपने माली को बुलाया और कहा, "इस पहाड़ी पर जो हमारा महल है, यहां एक बहुत सुंदर बगीचा होना चाहिए।"
माली ने कहा, "जी हजूर!"
वह बगीचे की तैयारी में लग गया। पानी पहाड़ी के नीचे था, नीचे नदी थी। माली दो बड़े-बड़े मटकों को लेकर हर रोज नीचे जाता था, पानी से भरता था, फिर धीरे-धीरे करके वह ऊपर पहुँचता था और अपने बगीचे में पानी देता था।
काफी दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। एक दिन जो पीछे वाला मटका था, उसमें किसी चीज से ठोकर लगने के कारण या अन्य किसी कारण छेद हो गया। वह माली पहाड़ी के नीचे जाए, दोनों मटकों को पानी से भरे और जबतक वह ऊपर तक आये तो आगे वाले मटके में तो पूरा पानी भरा रहता था, परन्तु पीछे वाला मटका खाली हो जाता था। यह सिर्फ कहानी है।
एक दिन आगे वाले मटके ने पीछे वाले मटके से कहा, "तू तो किसी काम का नहीं है। तुझ में तो छेद हो गया है। तू किसी काम का नहीं रहा। देख! मेरी वजह से राजा का बगीचा इतना हरा-भरा रहता है, क्योंकि मैं ही यहां तक पानी लाता हूं। जबतक तू यहाँ पहुँचता है, तुझ में तो एक बूंद भी पानी नहीं बचता है। अब तू किसी काम का नहीं है।"
पीछे वाले मटके ने जब यह सुना कि वह किसी काम का नहीं है तो बड़ा उदास हुआ। दूसरे दिन माली आया, उसने दोनों मटकों को देखा तो उसने देखा कि पीछे वाला मटका बड़ा उदास है। उसने मटके से पूछा, "क्या बात है ? तू उदास क्यों है ?"
तब उस मटके ने कहा, "आगे वाले मटके ने मुझसे कहा है कि मैं किसी काम का नहीं हूं। जब सवेरे-सवेरे पानी लेने के लिए आप जाते हैं, फिर जबतक आप बाग में पहुंचते हैं तो आगे वाले मटके में तो पानी रहता है, परन्तु मेरे अंदर छेद होने की वजह से एक बूंद भी पानी नहीं बचता है। इस आगे वाले मटके का यह कहना है कि जो बाग हरा- भरा है, वह उसकी वजह से है, मेरी वजह से नहीं है।"
माली ने हँसते हुए कहा, "तू जानता नहीं है। तेरे भीतर छेद होने के बावजूद भी मैंने तुझे फेंका नहीं है। मैं तुझे हर रोज नीचे ले जाता हूं, तेरे अंदर पानी भरता हूं और तुझे ऊपर तक लाता हूं। हाँ, यह सही बात है कि इस बाग में जो कुछ भी हरियाली है, हरा-भरा है, वह इस आगे वाले मटके की वजह से है, परन्तु क्या तुमने देखा नहीं कि उस नदी से लेकर ऊपर इस बाग तक जो फूल उग रहे हैं, वे सब तुम्हारी वजह से उग रहे हैं ? उन सबको तेरी वजह से पानी मिलता है। यह तो एक ही बाग है, पर तेरी वजह से वह सारा का सारा रास्ता — उस नदी से लेकर इस बाग तक हरा-भरा है, क्योंकि उनको तुझसे पानी मिलता है।"
-----
मेरे संदेश का मकसद इस बात से है कि आपको यह मनुष्य शरीर मिला है और आप इसका महत्त्व समझें, जानें। क्योंकि अन्य सारी चीजें तो इस संसार के अंदर बदलती रहेंगी। आज आप हैं। एक दिन ऐसा भी आएगा कि आप इस संसार में नहीं रहेंगे। यह नियम संसार का हमेशा रहा है। परन्तु सबसे बड़ी बात है कि जबतक हम जीवित हैं, जीवन होने की वजह से हमारे जीवन में अनंत सम्भावनाएं हैं।
- श्री प्रेम रावत