ये दुनिया अगर दूर से देखी जाए तो लगभग सबकुछ एक जैसा, पर पास से — रीति-रिवाज़ अलग, काम-काज़ अलग, बोली अलग, पहनावा अलग, त्यौहार ये भी अलग, पर सबकुछ बस एक चीज के लिए — थोड़ी सी हंसी, थोड़ी सी ख़ुशी। अलग-अलग दुकान, अलग-अलग पकवान — पर प्यास बुझाने के लिये बस पानी।
प्रेम रावत:
हर एक चीज मॉलिक्यूल्स की बनी हुई है। छोटे-छोटे-छोटे मॉलिक्यूल्स — चाहे वो मिट्टी हो, चाहे वो घास हो, चाहे वो हवा हो, चाहे वो पत्थर हो, चाहे वो फल हों, चाहे वो फूल हों। मॉलिक्यूल्स तो वही हैं। मॉलिक्यूल्स को अगर एक तरीके से रखा जाए, मनुष्य बन गया। चाहे वो औरत हो, चाहे वो मर्द हो। तुम अंतर देखते हो और अंतर है नहीं।
साक्षात्कार:
पुरुष: मैं अपने आपको ज्यादा स्मार्ट समझता हूं, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरे जैसा कोई बने।
महिला: मैं ज्यादा टेंशन नहीं लेती।
पुरुष: मैं एक संगीत प्रेमी हूं।
महिला: मैं बहुत हार्ड वर्किंग हूं।
महिला: आई एम ए वैरी डैडिकेटेड मदर।
महिला: आई थिंक मैं बहुत अलग हूं, मैं दूसरों की बहुत ज्यादा सोचती हूं।
पुरुष: मैं कॉमन पीपल हूं। मुझे नहीं लगता मेरे में ऐसी कोई चीज है, जो मुझे दूसरों से अलग करती है।
महिला: मुझे तो लगता है, मैं खुद ही पूरी डिफरेंट हूं सबसे।
पुरुष: मेरे अंदर ऑनेस्टी बहुत ज्यादा है, जो मुझे सबसे अलग बनाती है।
महिला: लोगों से मिलना अच्छा लगता है मुझे, जो शायद हर किसी को नहीं अच्छा लगता।
महिला: एक ही घर के दो लोगों को दो जगह में डाल दें आप, तो परफेक्टली डिफरेंट रिजल्ट मिलेगा।
पुरुष: उन लोगों की सोच — जिसकी एक-सी होगी वो एक साथ रहेंगे, डिफरेंट होगी अलग चला जायेगा।
प्रेम रावत:
इस दुनिया के अंदर जहां भी देखो, हर एक चीज में दीवाल डाल दी — तुम गोरे हो, तुम काले हो, तुम औरत हो, तुम मर्द हो, तुम बच्चे हो, तुम बूढ़े हो। सब हम एक ही हैं।
साक्षात्कार:
पुरुष: समानता तो बहुत है।
महिला: आई थिंक, समान बहुत सारी चीजें होती हैं।
पुरुष: समानता कुछ नहीं है।
महिला: पीस, सबसे पहले शांति चाहिए।
महिला: सिमिलैरिटी आई थिंक, इस जनरेशन की सब लोगों के जैसे मुझे भी घूमना-फिरना, पार्टी करना।
पुरुष: समानता यही है कि, जैसे हर ह्यूमन बीइंग चाहता है कि हम दूसरों की हेल्प करें।
महिला: प्यार है, गुस्सा है, शेयरिंग है। काफ़ी चीजें इंसान की समान होती हैं एक-दूसरे से।
महिला: ज्यादा लोग पीस चाहते हैं दुनिया में, शांति चाहते हैं और बहुत कम ऐसे हैं जो वॉयलेंस चाहते हैं तो मेरे ख्याल से कहीं-कहीं सिमिलैरिटी है सोच में, कहीं-कहीं डिफरेंटस हैं।
महिला: सब लोग इंसान हैं, ये समानता है।
Text on screen: हर मनुष्य में एक चीज समान है... वो शांति का अनुभव कर सकता है।