MC: ग्रैहम रिचर्ड्स:
और ये भी सवाल पूछा गया था, “अगर आपके लिए माफ करना मुश्किल है तो बाकियों को माफ करना और भी कठिन है ? इसे उस तरफ मोड़ना, जिस व्यक्ति को आप सबसे अच्छी तरह जानते हैं, जिसे आप सबसे ज्यादा परखते हैं। आप खुद को कैसे माफ करें ?”
प्रेम रावत:
देखिये! ये एक बढ़िया सवाल है, क्योंकि ये इतना जरूरी है खुद को माफ कर पाना और मैं कहूंगा ‘आपको और किसी और को’ बात में नहीं लाते। बात करें सिर्फ माफ करने की। ‘ये क्या है ?’
और कई लोग सोचते हैं “माफी देने से, निचले स्तर को बढ़ावा मिल जाएगा। किसी की गलती को बढ़ावा मिल जाएगा।” ये माफी देना नहीं है। “माफ करना” होता है उस चीज से नाता तोड़ना, जो आपको नीचे धकेल रहा है।”
तो अब जो भी और जानते हैं किसी ने आपके साथ बहुत बुरा किया और वो काफी लम्बे समय पहले हुआ था। पर, उस व्यक्ति का आप पर अब भी असर है। उनकी आप पर पकड़ है। पूरी तरह से। क्योंकि हर रोज जब आप उठते हैं, तो शायद, एक अकेले पल में आप उसे गाली देते हैं; आप उसके बारे में सोचते हैं। वह व्यक्ति आप से अब भी जुड़ा हुआ है। और माफी कह रही है “और नहीं! आपका मुझ पर नियंत्रण नहीं है। मुझे जीवन चाहिए। मुझे मेरा जीवन दें। और मैं आपको हक़ नहीं देता, इसके बाद मुझे डराने का।” ये होता है माफ करना।
तो ऐसा नहीं, वो ऐसा कहती है कि “ओह, हां! मैं तुम्हें जानती हूं।” हां, मेरा मतलब, मेरे हिसाब से ये है। मेरा मतलब, मेरे साथ एक बार बहुत बुरी चीज हुई। और फिर हर बार मैं उसके बारे में सोचता ये होता कि, "हे भगवान, हे भगवान, हे भगवान!”
फिर मैंने कहा, “उस दुष्ट का अब भी मुझ पर नियंत्रण है। मैं तो उसके देश में भी नहीं हूँ। मैं उसे अपने ऊपर नियंत्रण नहीं होने दूंगा।” और मैंने कहा, “बस! ख़त्म!”
ये है माफ करना। माफ करना ताकतवर होता है। ये कहता है – “नहीं! मेरा जीवन मेरे पास है। बहुत धन्यवाद!”
वापिस – वापिस आ रहा है। क्योंकि अगर नहीं आये, फिर वो बेड़ियाँ रहेंगी और वो आपके साथ क्या करेंगी, ये बेड़ियाँ क्या करती हैं, ये पंजे जो आप में गड़े हैं। ये आपको गुस्सा दिलाते हैं। इससे गुस्सा आता है; डर आता है; ये आपको सोचने नहीं देता; ये आपको आगे बढ़ने से रोकता है; ये सराहना को रोकता है।
आप डर में जीते हैं। आप सिर्फ और सिर्फ डर में जीते रहते हैं और वो व्यक्ति तो जा चुका है, पर वो पंजे गड़े हुए हैं और वो कह रहे हैं, “और नहीं। धन्यवाद!”
और जब आप माफी को इस तरह देखते हैं, इसका एक बिल्कुल अलग मतलब निकलता है। क्योंकि अब तक तो ऐसा था जैसे कि — “ओह! मैंने माफ कर दिया, और जानते हैं ठीक है! अच्छा ये क्या किया तुमने।”
पर जानते हैं, ऐसी चीजें होती हैं आपके साथ जीवन में, जो अगर आप बात करें दूसरों के काम को अपनाने की, तो ऐसा नहीं होगा, बिल्कुल भी नहीं! ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। क्योंकि आप उनमें से कुछ चीजें नहीं मान सकते, वो इतनी बुरी होती हैं। और आप खुद को शिकार नहीं बनने दे सकते, क्योंकि कुछ चीजें ऐसी है, जो आप स्वीकार कभी नहीं कर पाएंगे कि "हां! ये ठीक है!" पर ये आप पर है कि उस व्यक्ति के पंजे और उस घटना का अब भी आप पर पकड़ रहे या नहीं। क्योंकि अगर आप नहीं करते तो इस्तेमाल करें, माफी की तलवार को और आज़ाद हो जाएं।
तो मैं माफी को ऐसे देखता हूँ। ऐसे नहीं कि — "हां! ये तुमने किया!" क्योंकि कुछ बातें बहुत बुरी होती हैं। और आप देखते हैं उन्हें होता हुआ देखें, इतनी जगह पर।
एक और तरीका समझने का है, एक दिन बुद्ध चल रहे थे और कई लोग उन्हें भला-बुरा बोल रहे थे। उनके भक्त जो उनके साथ थे, वापिस आ गए और उन्होंने कहा — “बुद्ध, वो लोग इतनी बुरी चीजें कर रहे थे, बुरी बातें कह रहे थे, आपको इससे फर्क़ नहीं पड़ता ?”
और बुद्ध ने कहा — “ओके, देखिये! ये कटोरा देखा! ये किसका है ?”
वो उनका ही था।
उन्होंने कहा — “हां! ये आपका है।”
तो उन्होंने कटोरे को अपने भक्त की तरफ सड़का दिया।
उन्होंने कहा — “अब ये किसका कटोरा है ?”
भक्त ने कहा — “अब भी ये आपका ही है।”
उन्होंने थोड़ा और सड़काया, अब ये किसका कटोरा है ? और अब किसका कटोरा है ? अब बताओ ? वो ये करते रहे और अंत में कटोरे को अपने भक्त की गोद में रख दिया।
उन्होंने कहा — “अब ये किसका कटोरा है ?”
उसने कहा — “बुद्ध! आप ही का है।”
उन्होंने कहा — “बिल्कुल, बिल्कुल! मुझे नहीं मानना। जिस दिन मैं मानूंगा, ये मेरा बन जाएगा। पर अगर मैं नहीं मानूंगा, वो तब भी उनका है।”
आप जानते हैं, मैं समझता हूँ, मेरा मतलब कभी-कभी ये कहानियां कहनी आसान होतीं हैं, बल्कि जीवन में उतारने से। पर, अंत में अगर आप अलग होने लगें, तो फिर शायद रस्सी इतनी मोटी हो जाए कि एक दिन आप काट न पाएं। पर कम से कम आप काटना शुरू तो करें। इसे समझना शुरू करें कि आपमें ताकत है रस्सी को काटने की। माफ करने का यही मतलब होता है… कि अंत में एक दिन आप रस्सी को कमजोर करेंगे और फिर ये कट जायेगी।
पर आपको शुरू करना होगा। आपको इसे समझना होगा।