टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल कैसे हो सकता है ?
प्रश्नकर्ता :
आज का दौर साइंस और टेक्नोलॉजी का है। लेकिन जैसे-जैसे हम उन्नति करते जा रहे हैं, आगे बढ़ते जा रहे हैं, अपने आपसे दूर होते जा रहे हैं। तकनीक का इस्तेमाल विनाश के हथियार बनाने के लिये भी हो सकता है और मनुष्य के कल्याण के लिये भी। हम किस तरह से तकनीकी प्रगति का इस्तेमाल मानवता और शांति के लिये कर सकते हैं ?
प्रेम रावत :
यह तो वो वाली बात है न कि अगर मैं किसी चीज की जरूरत नहीं समझता हूं, मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं है तो फिर मैं उसकी तरफ ध्यान नहीं दूंगा। यही बात होती है कि क्या हम इस बात को इसकी जरूरत समझते हैं कि इस संसार के अंदर शांति होनी चाहिए ? क्या यह हमारे लिए कोई महत्व रखती है या नहीं या सिर्फ यह है कि मैं इस चीज का आविष्कार करूंगा तो मेरे को मान्यता मिलेगी, मेरे को पैसा मिलेगा, मेरे को मान-सम्मान मिलेगा ?
तो अब एक वही व्यक्ति, जो चक्कू बनाता है, वह तलवार भी बना सकता है। चक्कू घर में भोजन बनाने में मदद करेगा और एक दूसरे को मारने में मदद करेगा। परंतु यहां क्या हो रहा है ? यहां (दिमाग में) क्या बसा हुआ है ? अगर सिर्फ बात है मान-सम्मान की, बात है पैसे की तो फिर आदमी के लिए कोई लिमिट ही नहीं है।
"बनाओ, ये बनाओ! ठीक है, ये बम हजारों लोगों को मार सकता है।"
और अगर बात है कि नहीं, मेरी भी कोई जिम्मेवारी है तो लोग फिर उस टेक्नोलोजी को उस तरीके से इस्तेमाल करने लगेंगे, जिसमें लोगों का भला होगा। तो दोनों ही बातें हैं।
अब एक कैप्टन है, अगर वो समझता है कि जो उसके पैसेंजर हैं, जहाज में पैसेंजर हैं, वो उसकी जिम्मेवारी है और उसकी जिम्मेवारी है कि वो उनको सुरक्षित रखे तो वो उस पर ध्यान देगा। और अगर उसके दिमाग में यह बात नहीं है, कोई और फितूर चढ़ा हुआ है तो वही जहाज, वो पत्थरों पर चढ़ा सकता है, सबको मार सकता है।
तो यह तो बात मनुष्य की है। अब उसको अगर समझ में नहीं आई है बात तो फिर वो वही करेगा, जो उसकी मर्ज़ी आती है। जिसमें वो यह देखता है शॉर्टकट क्या है ?
"मेरे को मान-सम्मान चाहिए!" अब लोगों को मान-सम्मान चाहिए!
लोग कहते हैं, "अजी! आपको ये पदवी मिली हुई है! आपको शांतिदूत की पदवी मिली हुई है।" शांतिदूत की पदवी का मतलब क्या है ? शांतिदूत की पदवी का मतलब है कि जहां जाओ, और शांतिदूत बनाओ! ये है। और मैं यही लोगों को प्रेरित करता हूं — तुम भी शांति के इस मार्ग में मदद करो।
तो अगर यह हमारी समझ रही तो कोई भी टेक्नोलोजी हमारे पास आएगी, हम उसका सदुपयोग करेंगे। दुरूपयोग नहीं करेंगे! परंतु अगर हमारी समझ खराब है तो दुरूपयोग होगा।