"जो ह्रदय में विराजता है, उससे अपना सम्बन्ध बनाओगे, तो दुखी नहीं होना पड़ेगा।" —प्रेम रावत
जीवन, स्वयं के साथ संबंध बनाए रखने और मन की शक्ति को समझने के बारे में है। दुखद बातों से बचना हमारा लक्ष्य नहीं होना चाहिए। सुख-दुख का सामना करने के लिए ह्रदय से सम्बन्ध निभाना ज़रूरी है। यह समझ, कि सुख और दु:ख अस्थायी हैं, हमें शांति से जीने में मदद करती है।
मन के बहुत तरंग है, छिन छिन बदले सोए, एक ही रंग में जो रहे, ऐसा बिरला कोय।"
समझ लो, किस चीज के पीछे भागना है। भागना तो तुमको है, भागना तो तुमको है, पर कहां भागोगे? किसके पीछे भागोगे? एक वो, जो तुम्हारे हृदय में विराजता हैं, उससे अपना संबंध बनाओगे, उससे अपना तार जोड़ोगे, तो वो चीजें, जो तुमको दुखी करती थीं, वो होंगी पर तुमको दुखी नहीं होना पड़ेगा। इसका ये मतलब नहीं है कि अगर तुम अपने पिता से प्रेम करते हो, तो तुम्हारे पिता इस संसार से कभी नहीं उठेंगे। नहीं। उठेंगे!ये तो इस संसार की रीत है,तुम्हारे मां बाप, तुम्हारे सामने ही जाएंगे। ना तो उनको दुख होगा कि तुम पहले चले गए, और वो दुख बहुत ही बड़ा दुख होता है।
तो भाई वो चीज़ें, जिनको तुम समझते हो कि ये तुमको दुखी करती हैं, और तुम उनको रोकने की कोशिश करते हो। उस रोकने में अपना सारा समय, जो अपना टाइम बर्बाद करते हो, उसमें अपना टाइम बर्बाद करने की तुमको जरूरत नहीं है, अगर तुम वो कनेक्शन उसके साथ बनाए रखो। वो चीजें होंगी। विद्वान कौन है? विद्वान कौन है? जिसके लिए सुख भी और दुख भी, वो दोनों की ही जो टेंपरेरीनेस है, उसको देखता है। ना सुख रहेगा ना दुख रहेगा। जब दुखी हो, तो जानो की थोड़ी देर इंतजार करो, सुख आएगा। जब सुख चल रहा है तो थोड़ी देर इंतजार करो, दुख आएगा। थोड़ी देर और इंतजार करो, सुख आएगा। थोड़ी देर और इंतजार करो, दुख आएगा। ये तो एक चक्कर है इस चरखे का, जो चलता रहता है, चलता रहता है, चलता रहता है।