सभी लोगों को नए साल की मुबारकबाद देना चाहता हूँ मैं।
नया साल आ रहा है, और इस साल में लोगों की ख़्वाहिशें हैं कि कुछ ऐसा होना चाहिए, कुछ ऐसा होना चाहिए। परन्तु एक ख़्वाहिश हृदय की भी है। और जो हृदय की ख़्वाहिश है, अगर उसको हम किसी तरीके से पूरा कर पायें, क्योंकि उस हृदय की ख़्वाहिश में है शांति। उस हृदय की ख़्वाहिश में है सच्चा प्यार, उस हृदय की ख़्वाहिश में है आनंद। कैसा आनंद? परमानन्द का आनंद कि हमारे जीवन के अंदर हम उन चीज़ों का अनुभव कर पाएं, जो सचमुच में असली हैं, जो वास्तविकता रखती हैं।
बहुत कुछ होता है बाहर। हम अखबार पढ़ते हैं, आजकल अखबारों की कमी नहीं है। न्यूज़ की कमी नहीं है, जहां देखो न्यूज़ आ रही है। पहले तो यह था कि सबेरे का अखबार सबेरे पढ़ते थे, शाम का अखबार शाम को पढ़ते थे। अब जो नई-नई devices हैं, उनमें सारे दिन खबर आ रही है। तो ऐसी दुनिया के अंदर अगर कोई चाहे भी, तो क्या उसकी चाहत होनी चाहिए नए साल के लिए ? कि हमारे जीवन में आनंद हो। बंटवारा न हो हमारा। हमारे जीवन में आनंद हो, और हम सब मनुष्य जो इस पृथ्वी पर हैं, एक साथ होकर के आगे बढ़ पाएं। ताकि इसमें सभी का भला हो।
आजकल लोगों का भला, लोग सिर्फ इसी दृष्टि से देखते हैं कि "हमारा भला कैसे हो?" दूसरे का भला नहीं। परन्तु वो भला, जो हमारा भी भला हो और दूसरों का भी भला हो। वो है असली भला। और वही, उसी की ख़्वाहिश हृदय को है।
तो अगर ये हमारी चाहतें रहीं अगले साल के लिए, तो इसमें हमारी भी उन्नति होगी, और सारे संसार की भी उन्नति होगी। और यही कहकर के मैं... आप सभी लोगों को, ये wish करना चाहता हूँ कि नया साल जो आ रहा है, इसमें आपकी बहुत उन्नति हो, आपके जीवन के अंदर प्यार बढ़े, आपके जीवन के अंदर शान्ति बढ़े, और आपके जीवन के अंदर आनंद ही आनंद हो।
- प्रेम रावत
अमारू 2018 के चौथे एपिसोड में प्रेम अपने श्रोताओं को स्वयं देखने और महसूस करने के लिए ज़ोर देते हैं - बजाय इसके कि हम अनुमान लगायें, कि इस जीवन रुपी डिब्बे में क्या है? और इस जीवन के मूल का (आशीर्वाद का) अनुभव करना।
आत्म विरोधी हास्य से लेकर निरंतर बढ़ती प्रेरणा तक: चौथा एपिसोड पूरी लय-ताल से चलता है। हालाँकि प्रेम हज़ारों लोगों से बात कर रहे हैं, परन्तु महसूस यह होता है जैसे वह सिर्फ आपसे ही बात कर रहे हैं, एक-एक व्यक्ति से, एक हृदय से दूसरे हृदय तक।
पिछले साल, क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में प्रेम रावत के साथ हुए अंतर्राष्ट्रीय रिट्रीट के नौ भागों की श्रंखला के इस एपिसोड को देखना न भूलें ।
अमारू 2018 के चौथे एपिसोड में प्रेम अपने श्रोताओं को स्वयं देखने और महसूस करने के लिए ज़ोर देते हैं - बजाय इसके कि हम अनुमान लगायें, कि इस जीवन रुपी डिब्बे में क्या है? और इस जीवन के मूल का (आशीर्वाद का) अनुभव करना।
आत्म विरोधी हास्य से लेकर निरंतर बढ़ती प्रेरणा तक: चौथा एपिसोड पूरी लय-ताल से चलता है। हालाँकि प्रेम हज़ारों लोगों से बात कर रहे हैं, परन्तु महसूस यह होता है जैसे वह सिर्फ आपसे ही बात कर रहे हैं, एक-एक व्यक्ति से, एक हृदय से दूसरे हृदय तक।
पिछले साल, क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में प्रेम रावत के साथ हुए अंतर्राष्ट्रीय रिट्रीट के नौ भागों की श्रंखला के इस एपिसोड को देखना न भूलें ।
अच्छा, बुरा, सही, गलत, स्वर्ग, नरक - नियमों और मान्यताओं को स्वीकार करने के बजाय, अमारू 2018 के तीसरे एपिसोड में प्रेम हमें अपनी आजादी पाने और बस जीवित रहने का एहसास करने के लिए आमंत्रित करते है।
2018 में क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में प्रेम रावत के साथ हुए इस अंतर्राष्ट्रीय रिट्रीट के नौ भागों की श्रंखला के नए एपिसोड को देखिये, यह आपकी सदस्यता में शामिल है (और आप इसका ऑडियो डाउनलोड कर, ऐप में ही सेव कर सकते हैं, ताकि बिना इंटरनेट के भी आप इसका आनंद ले सकें।
अच्छा, बुरा, सही, गलत, स्वर्ग, नरक - नियमों और मान्यताओं को स्वीकार करने के बजाय, अमारू 2018 के तीसरे एपिसोड में प्रेम हमें अपनी आजादी पाने और बस जीवित रहने का एहसास करने के लिए आमंत्रित करते है।
2018 में क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में प्रेम रावत के साथ हुए इस अंतर्राष्ट्रीय रिट्रीट के नौ भागों की श्रंखला के नए एपिसोड को देखिये, यह आपकी सदस्यता में शामिल है (और आप इसका ऑडियो डाउनलोड कर, ऐप में ही सेव कर सकते हैं, ताकि बिना इंटरनेट के भी आप इसका आनंद ले सकें।
ऐंकर : हर पल को खूब जीओ, ये तो सब कहते हैं, लेकिन हर पल को जी भर के कैसे जिया जा सकता है ? ये दूसरा सवाल है।
प्रेम रावत जी : अगर तुम हर पल को जीना चाहते हो तो ‘पल’ क्या है, इसको समझने की कोशिश करो! ‘पल’, इस ‘पल‘ में से — अगर इसको समझना चाहते हो कि ये ‘पल‘ क्या है, जो अभी-अभी, अभी आया तुम्हारे पास। अभी-अभी आया। गया! अब गया! और अभी-अभी आया है! तो इसको अगर समझना चाहते हो तो इस ‘पल‘ में से ‘बीते वाले पल‘ को निकाल दो! और ‘आने वाले पल‘ को भी इस ‘पल‘ से निकाल दो! तो जो बचेगा वो है तुम्हारा असली ‘पल‘।
- प्रेम रावत, मुंबई